West Bengal : अगले 4 माह में ममता सरकार के लिए होंगे मुश्किल, कई बड़े नेता होंगे CBI-ED की रडार पर

 

कोलकाता, BNM News। West Bengal News: पश्चिम बंगाल में अगले लोकसभा चुनाव के अलावा अगले चार माह तक मनी लांड्रिंग के विभिन्न मामलों, विशेष रूप से शिक्षा विभाग में नौकरी के लिए करोड़ों रुपये के लेन-देन में सीबीआइ और ईडी की जांच की प्रगति पर सभी की नजर रहेगी। अगले कैलेंडर वर्ष के पहले 4 महीने यानी लोकसभा चुनाव से पहले की अवधि केंद्रीय एजेंसियों द्वारा जांच किए जा रहे भ्रष्टाचार मामलों के परिप्रेक्ष्य में बेहद महत्वपूर्ण होगी। ऐसा इसलिए क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने कथित स्कूल नौकरी घोटाले के सभी मामलों को कलकत्ता उच्च न्यायालय वापस भेजते हुए यह स्पष्ट कर दिया है कि वह हाई कोर्ट की विभिन्न पीठों के अंतिम फैसले तक इस मामले में हस्तक्षेप नहीं करेगा। वर्तमान में, क्रिसमस और साल के अंत की छुट्टियों के कारण कलकत्ता उच्च न्यायालय की नियमित पीठें काम नहीं कर रही हैं। अदालतें दो जनवरी से फिर से शुरू होंगी। इस मामले में न्यायमूर्ति देबांग्शु बसाक व न्यायमूर्ति शब्बर रशीदी की खंडपीठ के साथ-साथ न्यायमूर्ति अमृता सिन्हा की एकल पीठ, दोनों में महत्वपूर्ण सुनवाई होनी है।

समय सीमा को पूरा करने के लिए 24 घंटे काम कर रही हैं दोनों एजेंसियां

पर्यवेक्षकों का कहना है कि इन सुनवाई में दिए जाने वाले निर्देश स्कूल नौकरी मामले की जांच में निर्णायक क्षण साबित होंगे। सुप्रीम कोर्ट और कलकत्ता उच्च न्यायालय दोनों ने स्कूल नौकरी मामले में अपनी जांच पूरी करने के लिए सीबीआइ और ईडी के लिए समय सीमा तय की है और अधिकारी अपनी समय सीमा को पूरा करने के लिए 24 घंटे काम कर रहे हैं। दोनों एजेंसियों के वकीलों ने अदालतों को सूचित किया है कि जांच अंतिम चरण में है और जल्द ही समाप्त हो जाएगी इसलिए, 2024 के पहले चार महीनों में जांच की प्रगति पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा क्योंकि अटकलें हैं कि राजनीतिक रूप से प्रभावशाली कई और व्यक्ति ईडी और सीबीआइ के दायरे में आ सकते हैं।

लोकसभा चुनाव में भाजपा और तृणमूल का रहेगा फोकस

आगामी लोकसभा (लोस) चुनाव में बंगाल सबसे अधिक उत्सुकता से देखे जाने वाले राज्यों में से एक होगा। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने यहां 2024 में 35 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है। 2019 में भाजपा ने बंगाल में 18 सीटें जीती थीं। दूसरी ओर मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी बंगाल में भाजपा को रोकने का हर संभव प्रयास करेंगी। यह देखना है कि क्या भाजपा भ्रष्टाचार और केंद्रीय एजेंसियों की जांच के मुद्दे पर सत्तारूढ़ तृणमूल के संगठनात्मक वर्चस्व को खत्म करने में सक्षम होगी या ममता का जादू फिर से काम करेगा, जैसा कि 2021 के विधानसभा चुनाव में हुआ था।

खजाने की है सेहत खराब

फोकस का एक और मुद्दा सरकारी खजाने की खराब सेहत होगी। आरबीआइ के नवीनतम निष्कर्षों के अनुसार बंगाल के स्वयं के कर राजस्व से सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) प्रतिशत के मामले में राष्ट्रीय औसत से पीछे है। यह राष्ट्रीय औसत 7 प्रतिशत की तुलना में पांच प्रतिशत है। बंगाल में गैर कर राजस्व के मामले में स्थिति और भी दयनीय है। आरबीआइ के अनुसार राज्य के गैर-कर राजस्व का जीएसडीपी में हिस्सा महज 0.4 प्रतिशत है, जो राष्ट्रीय औसत 1.2 प्रतिशत से कम है। जीएसडीपी के प्रतिशत के रूप में बुनियादी ढांचे के विकास के लिए बंगाल सरकार का वर्तमान खर्च केवल 2 प्रतिशत है। इससे भी अधिक चिंताजनक तथ्य यह है कि बंगाल सरकार के 2024-24 के बजट दस्तावेजों के अनुसार राज्य का संचित ऋण 31 मार्च, 2024 तक बढ़कर 6,47,825.52 करोड़ रुपये हो जाएगा।

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