पत्नी ने अलग हुए पति से मांगा IVF प्रोसेस में सहयोग, तलाक की कार्यवाही पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक , जानें क्या है मामला
नई दिल्ली, एजेंसी। सुप्रीम कोर्ट ने एक-दूसरे से अलग रह रहे दंपती के बीच तलाक की कार्यवाही पर रोक लगा दी है। दरअसल पत्नी ने ‘इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन’ (IVF ) प्रक्रिया के जरिये गर्भधारण करने के लिए अपने पति से सहयोग मांगा है। पत्नी आइवीएफ के लिए पति का शुक्राणु चाहती हैं। आइवीएफ को टेस्ट ट्यूब बेबी भी कहते हैं। महिला ने पति द्वारा भोपाल में दायर तलाक के लंबित मामले को लखनऊ स्थानांतरित करने का आग्रह करते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया है।
महिला ने सुप्रीम कोर्ट से किया है मामले को लखनऊ स्थानांतरित करने का आग्रह
याचिकाकर्ता महिला (पत्नी) लखनऊ में अपने माता-पिता के साथ रह रही हैं। यह याचिका जस्टिस पंकज मित्तल की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आई, जो मामले पर सुनवाई के लिए सहमत हो गए। याचिका के साथ महिला ने एक आवेदन भी दायर किया है जिसमें उसने अपने पति को यह निर्देश दिए जाने का आग्रह किया है कि वह ‘आइवीएफ प्रक्रिया में याचिकाकर्ता और चिकित्सकों के साथ सहयोग करें। जब भी जरूरत हो या आइवीएफ चिकित्सकों द्वारा सलाह दी जाए तो शुक्राणु और अन्य सहयोग दें। पीठ ने एक दिसंबर के अपने आदेश में कहा, दोनों पक्षों के बीच तलाक की याचिका परिवार अदालत, भोपाल में लंबित है। याचिकाकर्ता-पत्नी लखनऊ में रहती हैं और चाहती हैं कि मामले को लखनऊ स्थानांतरित किया जाए। पति को नोटिस जारी किया जाए और उनसे छह सप्ताह के भीतर जवाब मांगा जाए। इस बीच तलाक मामले में आगे की कार्यवाही पर रोक रहेगी।
पति ने भोपाल की परिवार अदालत में दायर की है तलाक की याचिका
याचिका में 44 वर्षीय महिला ने कहा कि उन्होंने (दंपती) नवंबर 2017 में शादी की थी। बार-बार अनुरोध के बावजूद पति ने पिता बनने में देरी के लिए बेरोजगारी का बहाना बनाया। लगातार अनुरोध के बाद इस साल मार्च में पति आइवीएफ के माध्यम से संतान पैदा करने के लिए सहमत हुए। इसके बाद दंपती ने विभिन्न चिकित्सा परीक्षण कराए।
लेकिन पति ने आइवीएफ उपचार के बीच ही तलाक के लिए मामला दायर कर दिया। पत्नी के साथ संपर्क तोड़ दिए, काल ब्लाक कर दीं और भावनात्मक रूप से परेशान किया। याचिका में कहा गया है कि महिला को उसके ससुराल के घर से निकाल दिया गया। महिला ने कहा कि भोपाल में तलाक मामले की सुनवाई में शामिल होने में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। क्योंकि वह लखनऊ में अपने माता-पिता के साथ रह रही हैं। याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता की उम्र लगभग 44 वर्ष है। वह रजोनिवृत्ति के कगार पर हैं, चिकित्सक ने उन्हें 45-46 वर्ष की उम्र पूरी करने से पहले आइवीएफ प्रक्रिया द्वारा बच्चा पैदा करने की सलाह दी है।