पानीपत में किसान को जिंदा जलाया :मौत से पहले बोला- बिल्डर कंपनी के बाउंसरों ने जलाया

पानीपत में मौत से पहले जलने से तड़पता बिजेंद्र। इनसेट में मृतक की फाइल फोटो।

नरेंद्र सहारण, पानीपत : पानीपत जिले के निजामपुर गांव में भूमि विवाद ने एक जघन्य घटना को जन्म दिया है, जिसने पूरे क्षेत्र को हिला कर रख दिया है। एक किसान बिजेंद्र संधु (55) को कथित रूप से आवासीय कंपनी ट्रेडिएंट पार्क लिमिटेड के बाउंसरों ने जिंदा जला दिया, जिससे उसकी मौत हो गई। यह मामला न केवल भूमि विवाद का परिणाम है, बल्कि इसने सामाजिक और कानूनी जटिलताओं का भी खुलासा किया है, जो इस क्षेत्र में लंबे समय से चल रही भूमि और संपत्ति के अधिकारों के संघर्ष का हिस्सा हैं।

भूमि विवाद का इतिहास और प्रारंभिक घटनाक्रम

 

पानीपत जिले के निजामपुर गांव निवासी बिजेंद्र संधु एक सामान्य किसान थे, जिनके पास लगभग दो एकड़ जमीन थी। यह जमीन उनके पारिवारिक स्वामित्व में थी और परंपरागत रूप से खेतीबाड़ी का केंद्र थी।

पिछले साल, गांव में एक बड़ी आवासीय परियोजना के नाम पर, ट्रेडिएंट पार्क लिमिटेड नामक कंपनी ने उक्त जमीन खरीदने की कोशिश की। कंपनी ने जमीन का अधिग्रहण करने के लिए स्थानीय तहसीलदार के साथ मिलीभगत का आरोप लगाया गया है, जिससे स्थानीय समुदाय में असंतोष पैदा हो गया। आरोप है कि कंपनी ने तहसीलदार से मिलीभगत कर बिजेंद्र संधु की जमीन को अपने नाम करा लिया, जबकि यह विवादित थी।

बिजेंद्र संधु ने इस मामले को लेकर हाई कोर्ट का रुख किया और अपने अधिकारों की रक्षा के लिए याचिका दायर की। साथ ही, प्रशासन ने भी इस जमीन पर कब्जा दिलाने के लिए प्रक्रियाएं शुरू कर दी थीं।

भूमि विवाद का वर्तमान स्वरूप

 

यह मामला अभी भी कोर्ट में विचाराधीन है और दोनों पक्षों के बीच कानूनी लड़ाई चल रही है। बिजेंद्र संधु का आरोप है कि कंपनी ने उनके साथ धोखाधड़ी की है और जमीन का अवैध रूप से अधिग्रहण किया है।

इसी बीच कंपनी के कर्मचारी और बाउंसरों ने गांव के खेत में बने एक कोठरे को तोड़ दिया जिससे इलाके में तनाव बढ़ गया। किसान परिवार ने इस घटना की शिकायत पुलिस में दर्ज कराई, लेकिन स्थिति अभी भी तनावपूर्ण बनी हुई है।

 हत्या और जले हुए शव की कहानी

 

सोमवार की शाम जब विवाद चरम पर था तब बिजेंद्र संधु अपने खेत में गए थे। उनके बेटे रोहित ने बताया कि शाम करीब साढ़े नौ बजे वह अपने पिता को फोन पर सूचित कर रहे थे कि कंपनी के कर्मचारी उनके साथ खेत में झगड़ा कर रहे हैं। उस रात बिजेंद्र को उनके ही खेत में झुलसी अवस्था में देखा गया। उन्होंने बताया कि उन्हें पेट्रोल डाल कर आग लगा दी गई है। अस्पताल पहुंचने पर उनकी हालत बेहद नाजुक थी और उन्हें तुरंत रोहतक के पीजीआइ अस्पताल रेफर कर दिया गया। बाद में उन्हें दिल्ली के एक निजी अस्पताल में भर्ती किया गया। मंगलवार सुबह लगभग 6 बजे बिजेंद्र संधु ने दम तोड़ दिया। उनके परिजन और ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि कंपनी के बाउंसरों ने उनके पिता पर पेट्रोल डाल कर आग लगा दी।

पीड़ित परिवार का बयान

 

बिजेंद्र संधु के बेटे रोहित ने अपने पिता की मृत्यु का जिम्मेदार कंपनी के कर्मचारी रवि और रजत को ठहराया। उन्होंने कहा कि उनके पिता को जिंदा जलाने के बाद आरोपितों ने घटना का वीडियो भी बनाया है, जिसमें वे खुद को निर्दोष साबित करने का प्रयास कर रहे हैं। रोहित ने बताया कि उनके पिता का दावा था कि कंपनी के कर्मचारी उनकी जमीन पर कब्जा करने का प्रयास कर रहे थे और इसी रंजिश में उनके पिता को आग के हवाले किया गया।

पुलिस कार्रवाई और कानूनी प्रक्रिया

 

घटना की जानकारी मिलते ही सेक्टर 13-17 थाना पुलिस ने तुरंत ही मामला दर्ज किया। किसान के बेटे रोहित की शिकायत पर, कंपनी के कर्मचारी रवि और रजत के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया गया है। पुलिस ने शव का पोस्टमॉर्टम कराकर रिपोर्ट तैयार की है और शव परिजनों को सौंप दिया है। साथ ही, आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी शुरू कर दी गई है। प्रभारी राकेश कुमार ने कहा कि पूरे मामले की जांच की जा रही है और जल्द ही आरोपितों को गिरफ्तार किया जाएगा।

कंपनी का पक्ष और प्रतिक्रिया

 

कंपनी के प्रतिनिधि सुधांशु शेखर ने कहा कि, हमें इस घटना की जानकारी नहीं है। हम मामले की पूरी जानकारी लेने के बाद ही कोई प्रतिक्रिया देंगे। हालांकि, कंपनी की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन कथित तौर पर कंपनी के प्रबंधकों को जांच के दायरे में लाने की प्रक्रिया चल रही है।

सामाजिक और कानूनी जटिलताएं

यह मामला केवल एक हत्या का मामला नहीं है बल्कि यह भूमि, अधिकार और संपत्ति के विवाद का भी प्रतीक है। भूमि विवाद का ऐतिहासिक संदर्भ: भारत में कृषि भूमि का अधिग्रहण और उससे संबंधित विवाद अक्सर सामाजिक संघर्ष का कारण बनते हैं, खासकर जब बड़े पैमाने पर निवेश और विकास परियोजनाएं स्थानीय समुदायों के हितों से टकराती हैं।

कानूनी जटिलताएं: वर्तमान में कोर्ट में चल रहा मामला भूमि के स्वामित्व का विवाद और उसके साथ जुड़े कई पक्षों की भागीदारी इस पूरे प्रकरण को और जटिल बना रही है।

सामाजिक प्रभाव: इस घटना ने स्थानीय स्तर पर भय और अस्थिरता पैदा कर दी है। ग्रामीणों में कंपनी और स्थानीय प्रशासन के प्रति अविश्वास की भावना घर कर गई है।

भविष्य की दिशा

यह जघन्य घटना एक चेतावनी है कि भूमि विवाद यदि समय पर हल न किया जाए, तो उसका परिणाम कितना भयावह हो सकता है। पुलिस की शुरुआती कार्रवाई और कोर्ट का निर्णय इस मामले में महत्वपूर्ण मोड़ हो सकते हैं। साथ ही, यह घटना स्थानीय प्रशासन, न्यायपालिका और कंपनी के बीच संवाद और सहमति की आवश्यकता को भी रेखांकित करती है। आगे की प्रक्रिया में पीड़ित परिवार को न्याय मिलना और दोषियों को सजा मिलना आवश्यक है ताकि इस तरह की घटनाएं दोबारा न हों।

अंतिम शब्द

 

पानीपत के निजामपुर गांव में हुई यह घटना न केवल एक किसान की हत्या का मामला है बल्कि यह भूमि विवाद, सामाजिक न्याय और विकास के नाम पर हो रहे संघर्ष का प्रतीक बन चुका है। इस जघन्य कृत्य के दोषियों को शीघ्र से शीघ्र कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए, ताकि समाज में न्याय का भरोसा कायम रहे और भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचा जा सके।

 

 

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