सिख विरोधी दंगा मामले में 40 वर्ष बाद कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर पर चलेगा हत्या का मुकदमा, अदालत ने दिया आदेश

कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर
नई दिल्ली, बीएनएम न्यूज : वर्ष 1984 के सिख विरोधी दंगों के दौरान उत्तरी दिल्ली के पुल बंगश इलाके में तीन लोगों की हत्या के मामले में अदालत ने कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर के खिलाफ हत्या और अन्य अपराधों के लिए आरोप तय करने का आदेश दिया। राउज एवेन्यू कोर्ट के विशेष सीबीआइ न्यायाधीश राकेश सियाल ने कहा कि टाइटलर के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए पर्याप्त सुबूत हैं। अदालत ने औपचारिक रूप से आरोप तय करने के लिए 13 सितंबर की तारीख तय की है और टाइटलर को सुनवाई में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित रहने का आदेश दिया है। इस दिन अदालत टाइटलर से पूछेगी कि क्या वह अपने खिलाफ लगाए गए आरोपों को स्वीकार करते हैं। यदि टाइटलर निर्दोषिता का दावा करते हैं, तो अदालत औपचारिक रूप से उनके खिलाफ आरोप तय कर मुकदमा चलाने का आदेश देगी।
इन धाराओं में चलेगा मुकदमा
टाइटलर के खिलाफ आइपीसी की धारा 109 (उकसाना), धारा 143 (अवैध सभा), 147 (दंगा), 188 (लोक सेवक के विधिवत आदेश की अवज्ञा), 153 ए (विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना), 295 (पूजा स्थल को नुकसान पहुंचाना या अपवित्र करना), 436 (घर को नष्ट करने के इरादे से आग लगाना या विस्फोटक पदार्थ द्वारा उत्पात), 451 (घर में अनाधिकार प्रवेश), 380 (घर में चोरी) और 302 (हत्या) के आरोप हैं। हालांकि, अदालत ने टाइटलर को आइपीसी की धारा 148 (दंगा करना, घातक हथियार से लैस) के तहत अपराध से मुक्त कर दिया गया।
एक गवाह का हवाला
मामले से जुड़े एक एक गवाह का हवाला देते हुए सीबीआइ ने अपने आरोप पत्र में कहा था कि टाइटलर एक नवंबर, 1984 को गुरुद्वारा पुल बंगश के सामने एक सफेद एंबेसडर कार से बाहर आए और सिखों को मार डालो, उन्होंने हमारी मां को मार डाला है, चिल्लाते हुए भीड़ को उकसाया। इसके बाद भीड़ ने तीन सिखों की हत्या कर दी। एक अन्य बयान के मुताबिक उस समय सांसद रहे टाइटलर ने दिल्ली के आजाद मार्केट में गुरुद्वारा पुल बंगश में भी भीड़ को उकसाया था। टाइटलर निषेधाज्ञा का उल्लंघन करते हुए गुरुद्वारे के सामने मौजूद थे।
सीबीआइ ने अपने आरोपपत्र में कहा कि स्थिति को देखने के बाद, एक बस में मौजूद कुछ यात्रियों ने एक सिख प्रत्यक्षदर्शी को अपनी पगड़ी उतारने और अपने घर वापस जाने की सलाह दी। बता दें कि 31 अक्टूबर, 1984 को प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उनके सिख अंगरक्षकों द्वारा हत्या के बाद देश के कई हिस्सों में सिख विरोधी दंगे भड़क उठे थे। पिछले साल अगस्त में एक सत्र अदालत ने इस मामले में टाइटलर को अग्रिम जमानत दे दी थी।
टाइटलर ने आरोपों से किया है इन्कार
एक गवाह ने दावा किया कि उसने गुरुद्वारे के सामने भीड़ को पेट्रोल भरे कनस्तर, लाठियां, तलवारें और राड लिए उस समय के सांसद जगदीश टाइटलर के साथ देखा था। अन्य ने दावा किया कि उन्होंने टाइटलर को सफेद एंबेसडर से बाहर निकलते और एकत्रित भीड़ को उनके निर्देशों का पालन करते देखा। हालांकि टाइटलर ने जोर देकर कहा है कि उनके खिलाफ एक भी सुबूत नहीं है। टाइटलर ने पिछले वर्ष अगस्त में सीबीआइ की फोरेंसिक लैब में आवाज का नमूना देने के बाद बाहर निकलने पर कहा था, मैंने क्या किया है? मेरे खिलाफ सुबूत हैं तो मैं फांसी लगाने को तैयार हूं। इस मामले का 1984 के दंगों के मामले से कोई लेना-देना नहीं है, जिसके लिए वे मेरी आवाज का नमूना चाहते थे।
इंदिरा गांधी की हत्या के बाद भड़की थी हिंसा
वर्ष 1984 में विवादास्पद आपरेशन ब्लू स्टार के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उनके सिख अंगरक्षकों द्वारा हत्या के बाद हिंसा भड़क गई थी और देश भर में सिखों पर हमले हुए थे। आधिकारिक तौर पर कम से कम 3,000 लोग मारे गए। दिल्ली में कांग्रेस के कद्दावर नेता रहे टाइटलर का नाम सिख विरोधी दंगों की जांच करने वाले नानावटी आयोग की रिपोर्ट में भी था। इस समय 80 वर्ष के हो चुके टाइटलर के खिलाफ यह मामला उन तीन मामलों में से एक था, जिसे पैनल ने 2005 में सीबीआइ द्वारा फिर से खोलने की सिफारिश की थी।
सिख नेताओं ने कहा, पीड़ितों को न्याय की उम्मीद जगी
अदालत की ओर से टाइटलर के खिलाफ हत्या और अन्य अपराधों के लिए आरोप तय करने का आदेश देने का सिख नेताओं ने स्वागत किया है। फरवरी 2018 में दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के तत्कालीन अध्यक्ष मनजीत सिंह जीके ने पांच वीडियो क्लिप जारी कर यह दावा किया था कि 1984 के सिख विरोधी दंगे में कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर 100 सिखों की हत्या की बात स्वीकार कर रहे हैं। बाद में, उन्होंने सीबीआइ को वीडियो क्लिप सौंप दी थीं। जीके का कहना था कि किसी अनजान व्यक्ति ने उन्हें वीडियो दिए थे। उनके अनुसार वीडियो वर्ष 2011 का था जिसमें टाइटलर सिखों की हत्या की बात कर रहे हैं। सीबीआइ ने जीके से भी इस मामले में पूछताछ की थी।
सीबीआइ की सराहना
उन्होंने कहा कि अदालत के निर्णय से यह संदेश जाएगा कि अपराध करने वाला कितना भी शक्तिशाली हो, कानून से बच नहीं सकता है। इस मामले में गवाहों को धमकाने और लालच देने के बाद भी वह नहीं झुके। उन्होंने सीबीआइ की भी सराहना की। कहा, पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए उन्होंने और कौम के अन्य लोगों ने संघर्ष जारी रखा, इसमें सफलता मिली है। इस मामले पहले टाइटलर को जमानत मिल गई है। जमानत निरस्त कराने व सजा दिलाने के लिए कानूनी लड़ाई जारी रहेगी। शिरोमणि अकाली दल (शिअद बादल) के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष परमजीत सिंह सरना ने कहा पीड़ितों को न्याय मिलने की उम्मीद जगी है। सिखों की हत्या के मामले में साक्ष्य होने के बाद भी कांग्रेस के शासनकाल में टाइटलर को क्लीन चिट दी गई थी।
40 वर्षों बाद सिखों की आवाज सुनी गई
डीएसजीएमसी अध्यक्ष हरमीत सिंह कालका, महासचिव जगदीप सिंह काहलों और उपाध्यक्ष आत्मा सिंह लुबाना ने कहा कि 40 वर्षों बाद सिखों की आवाज सुनी गई है। हमें न्यायपालिका पर पूरा विश्वास है। केंद्र में कांग्रेस की अगुवाई वाली सरकारों ने बार-बार टाइटलर व इस मामले में आरोपित अन्य कांग्रेस नेताओं को क्लीन चिट दी थी। नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद उन्होंने सिख विरोधी दंगे के सभी मामलों की फिर से जांच के आदेश दिए। विशेष जांच दल गठित की गई, जिसके परिणाम सामने आ रहे हैं। पहले कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को जेल भेजा गया। अब टाइटलर के खिलाफ आरोप तय हो रहे हैं। डीएसजीएमसी ने जांच में सीबीआइ को हरसंभव मदद की है।
सजा दिलाने तक जारी रहेगा हमारा संघर्ष: लुभाना
1984 के सिख विरोधी दंगा पीड़ितों के लिए बनी कालोनी तिलक विहार में रहने वाले आत्मा सिंह लुभाना कोर्ट के फैसले को काफी अहम मनाते हैं। इनका कहना है कि कोर्ट का यह फैसला हमारे संघर्ष के लिए काफी अहम है। हमारा संघर्ष दंगे के दोषियों को सजा दिलाने के लिए तब तक चलेगा, जब तक यह एक मुकाम पर नहीं पहुंच जाता है। आत्मा सिंह लुभाना बताते हैं कि वह 1984 में दंगे के समय करीब 27 वर्ष के थे। तब वह मंगोलपुरी में रहते थे। दंगे में उन्होंने अपने भाई, चाचा सहित अनेक स्वजन व जानने वाले खोए। ऐसे लोगों को मारा गया जो पूरी तरह निर्दोष थे। वर्ष 2005 में इस मामले में पहली एफआइआर हुई, लेकिन बाद में टाइटलर को क्लीन चिट इस आधार पर दी गई कि कोई गवाह नहीं मिला। हम लोगों ने गवाह ढूंढे। बाद में फिर एफआइआर हुए, लेकिन फिर क्लीनचिट मिल गई।
चार दशक की मेहनत को मिली सफलता
आत्मा सिंह लुभाना के अनुसार केंद्र में जब नरेन्द्र मोदी की सरकार बनी, तब इस मामले में एसआइटी का गठन हुआ। जांच शुरू हुई, गवाह भी मिले और अब इस यह मामला एक महत्वपूर्ण पड़ाव पर पहुंचा। कम से कम अब तंत्र ने यह तो माना कि जगदीश टाइटलर पर मुकदमा चलना चाहिए। आगे भी हमारा संघर्ष तब तक जारी रहेगा, जब तक हम लोग इस मामले में सभी दोषियों को सजा नहीं दिला देते। हमारे चार दशक की मेहनत को अब सफलता मिलनी शुरू हुई है। लुभाना कहते हैं कि, यह शुरुआत है, आगे हमें काफी उम्मीदें हैं। यह पल काफी भावुक पल है। 84 के दंगे में कई लोगों ने अपनों को खोया, कई परिवार तो पूरी तरह खत्म हो गए। भविष्य में कोई ऐसा दुस्साहस नहीं करे, इसके लिए जरूरी है कि दोषियों को कठघरे में खड़ा कर उन्हें उनकी किए की सजा दिलाई जाए। हमारा संघर्ष जारी रहेगा।
इंसाफ के इंतजार के 40 साल
नवंबर 1984: 31 अक्टूबर को प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए दंगों में सिखों का सामूहिक हत्याएं की गईं
फरवरी 2005: दंगों की जांच के लिए नियुक्त न्यायमूर्ति जीटी नानावटी आयोग ने अपनी रिपोर्ट पेश की
नवंबर 2005: आयोग की सिफारिश पर सीबीआइ ने जगदीश टाइटलर के खिलाफ मामला दर्ज किया
अक्टूबर 2007: सीबीआइ ने पुल बंगश मामले में पहली क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की
दिसंबर 2007: अदालत ने क्लोजर रिपोर्ट खारिज की, आगे की जांच के निर्देश दिए
मार्च 2009: सीबीआइ ने दूसरी क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की
अप्रैल 2010: मजिस्ट्रेट अदालत ने इसे स्वीकार किया
अप्रैल 2013: सत्र अदालत ने इसे खारिज कर दिया, मजिस्ट्रेट अदालत की स्वीकृति को दरकिनार कर दिया; व आगे की जांच के निर्देश दिए
दिसंबर 2014: सीबीआइ ने तीसरी क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की, टाइटलर को क्लीन चिट दी
दिसंबर 2015: दिल्ली हाई कोर्ट ने सीबीआइ की पिछली क्लोजर रिपोर्ट को खारिज कर दिया, जांच जारी रखने का आदेश दिया
नवंबर 2016: सीबीआइ ने टाइटलर से चार घंटे से अधिक समय तक पूछताछ की
2018: सीबीआइ को एक व्यवसायी के टेप मिले, जिसमें दावा किया गया कि टाइटलर ने एक स्टिंग आपरेशन में दावा किया है कि वह 1984 के सिख विरोधी दंगों में शामिल था।
जनवरी 2018: हाई कोर्ट ने टाइटलर से जुड़े पुल बंगश मामले में नए सिरे से जांच के आदेश दिए
अप्रैल 2023: सीबीआइ ने मामले में टाइटलर की आवाज के नमूने दर्ज किए
मई 2023: सीबीआइ ने टाइटलर के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया
2 जून 2023: अदालत ने टाइटलर के खिलाफ सीबीआइ के पूरक आरोपपत्र को मंजूरी दी
30 जून 2023: अदालत ने मामले से संबंधित निचली अदालत के रिकार्ड और सीबीआइ की प्राथमिकी को तलब किया
26 जुलाई 2023: अदालत ने टाइटलर को पेशी के लिए 5 अगस्त तलब किया
18 दिसंबर 2023: कोर्ट ने टाइटलर से दिल्ली पुलिस और सीबीआइ द्वारा उनके खिलाफ दर्ज सभी एफआइआर की सूची दाखिल करने को कहा
30 अगस्त, 2024: कोर्ट ने मामले में टाइटलर के खिलाफ आरोप तय करने का आदेश दिया
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