सहारनपुर में एक परिवार के 4 लोगों सहित 5 को फांसी की सजा

सहारनपुर,बीएनएम न्यूजः सहारनपुर में वकील कर्मवीर सिंह (35) की हत्या में 5 दोषियों को जिला कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई है। 9 साल पहले 26 दिसंबर 2015 को कार रोककर कर्मवीर सिंह की चाकू से गोदकर हत्या की गई थी।

जस्टिस महेश कुमार की कोर्ट ने गुरुवार को हत्याकांड में अमरजीत बत्रा (71), भूपेंद्र बत्रा (64), गुरुप्रताप सिंह उर्फ हनी (34) गुरनीत सिंह उर्फ सनी (36) और गुरमीत सिंह उर्फ राजू (59) को फांसी की सजा सुनाई है। अमरजीत और भूपेंद्र सगे भाई हैं। गुरुप्रताप भूपेंद्र और गुरनीत अमरजीत का बेटा है।

कार से घसीटकर की थी हत्या

ADGC विक्रम सिंह वर्मा ने बताया- घटना के दिन प्रॉपर्टी डीलर सतपाल छाबड़ा और उनके बेटे एडवोकेट कर्मवीर सिंह कार से कहीं जा रहे थे। रास्ते में हत्यारोपियों ने कार को रोक किया। जैसे ही दोनों ने कार रोकी। हमलावरों ने उनको कार से घसीट लिया। उन पर टूट पड़े। कर्मवीर सिंह को 10 बार चाकू मारे। इससे कर्मवीर का दिल डैमेज हो गया था। पिता सतपाल छाबड़ा भी हमले में गंभीर घायल हो गए।

2 बार IAS मेन क्वालीफाई कर चुके थे कर्मवीर

कर्मवीर IAS मेन 2 बार क्वालीफाई कर चुके थे। जब उनकी हत्या हुई थी, तब पत्नी 4 महीने की प्रेग्नेंट थी। दो साल पहले ही शादी हुई थी। दोषी और कर्मवीर आपस में रिश्तेदार थे। दोनों का प्रॉपर्टी डीलिंग का काम करते थे। इसी को लेकर विवाद था। एक प्लाट के विवाद में ही हत्या की गई थी।

मृतक कर्मवीर की पत्नी का नाम सोनम है। कर्मवीर की पत्नी उस वक्त 4 माह की गर्भवती थी। 5 माह बाद सोनम ने एक बेटी को जन्म दिया। जिसका नाम ईशा छाबड़ा (7) रखा है। मासूम ने अपने पिता का चेहरा तक नहीं देखा।

सतपाल के परिवार पर भी किया था हमला

सरकारी वकील विक्रम सिंह वर्मा ने बताया, मामले की शिकायत कारोबारी सतपाल सिंह छाबड़ा उर्फ मंगला ने थाना कुतुबशेर में 26 दिसंबर 2015 को की थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि भूपेंद्र सिंह बत्रा पुत्र हरकरण बत्रा उनसे रंजिश रखता है। भूपेंद्र ने दो महीने पहले सतपाल के परिवार के अनिल पर जानलेवा हमला किया था। मामला कोर्ट में था। सतपाल छाबड़ा मुख्य गवाह थे।

26 दिसंबर 2015 की रात लगभग साढ़े आठ बजे सतपाल छाबड़ा अपने बेटे कर्मवीर के साथ कार से प्रिंटिंग प्रेस जा रहे थे। रास्ते में भूपेंद्र सिंह बत्रा ने अपने बेटे गुरुप्रताप, भाई अमरजीत और भतीजा सन्नी ने साथी गुरमीत सिंह के साथ मिलकर उनकी कार को रोक लिया।

कार से सतपाल और कर्मवीर को खींच लिया। चाकू, कृपाण और सरिया से हमला कर दिया। कर्मवीर को गंभीर चोट लगने से मौत हो गई। जबकि सतपाल को गंभीर हालत में हायर सेंटर रेफर कर दिया। इस मामले में सभी के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ। चार्जशीट कोर्ट में पेश हुई।

जज ने कहा- हत्या से भयावह स्थिति बनी

फैसला सुनाते हुए जज ने कहा- कर्मवीर सिंह एक नौजवान वकील थे। कर्मवीर के पिता सतपाल सिंह छाबड़ा एक कारोबारी हैं। जब यह घटना घटी, उस समय वकीलों और व्यापार संघ में काफी रोष था। इस घटना को लेकर बार काउंसिल आफ उत्तर प्रदेश ने भी एक दिन की हड़ताल की थी। उस समय अधिवक्ता समाज में असुरक्षा की भावना भी उत्पन्न हुई और एक भयावह स्थिति बन गई।

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