नितिन गडकरी बोले, आचार संहिता लगने से पहले शुरू होगी जीपीएस आधारित टोल प्रणाली

नई दिल्ली, BNM News: केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि आगामी लोकसभा चुनाव के लिए आदर्श आचार संहिता लागू होने से पूर्व देश में सेटेलाइट आधारित टोल प्रणाली शुरू हो जाएगी। माना जा रहा कि आगामी लोकसभा चुनाव आचार संहिता मार्च के पहले सप्ताह में लागू हो जाएगी।
केंद्रीय मंत्री ने राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में कहा कि हम संसद को आश्वस्त करना चाहते हैं कि टोल प्रणाली को लेकर दुनिया की सबसे अच्छी तकनीक सेटेलाइट आधारित प्रणाली जल्द शुरू की जाएगी। टोल नाके हटा दिए जाएंगे। इससे लोगों को रुकने की जरूरत नहीं होगी और नंबर प्लेट की फोटो से टोल वसूली होगी। यह प्रणाली हाइवे अथवा एक्सप्रेसवे का प्रयोग किए जाने वाले समय के आधार पर शुल्क वसूलेगी। यह शुल्क वाहन चालक के बैंक अकाउंट से स्वत: कट जाएगा।
फास्टैग से 49 हजार करोड़ रुपये से अधिक टोल वसूली
गडकरी ने फास्टैग से वसूली का आंकड़ा साझा करते हुए बताया कि फास्टैग से 49 हजार करोड़ रुपये से अधिक टोल वसूली हो चुकी है। प्रतिदिन का संग्रह 170 से 200 करोड़ के बीच का है। उन्होंने यह भी बताया कि संप्रग सरकार में शहर से एकदम सटे इलाकों में टोल प्लाजा बना दिए गए और इससे हजारों लोग प्रभावित हैं। ठेकेदारों द्वारा हर्जाना मांगे जाने के कारण हम इन टोल को नहीं हटा पा रहे हैं। गडकरी ने कहा कि ऐसे मामलों में हम केवल ठेके की अवधि समाप्त होने का इंतजार कर सकते हैं।
अगले माह हेमकुंड साहिब को रोपवे परियोजना का शिलान्यास
एक अन्य सवाल के जवाब में गडकरी ने कहा कि धर्म स्थलों से कनेक्टिविटी बढ़ाने के क्रम में हेमकुंड साहिब पर रोपवे परियोजना का अगले माह शिलान्यास होने की उम्मीद है। उन्होंने हेमकुंड साहिब तक बेहतर सड़क की मांग के संदर्भ में कहा कि यहां सड़क से बेहतर रोपवे का विकल्प है। अगले साल इस परियोजना का काम पूरा किया जा सकता है।
सिलक्यारा-बारकोट सुरंग का कोई हिस्सा 2019 में नहीं धंसा
केंद्रीय मंत्री ने एक अन्य सवाल के जवाब में बताया कि सिलक्यारा-बारकोट सुरंग के गत वर्ष ढहे हिस्से में 2019 में कोई दरार नहीं थी और न यह हिस्सा ढहा था। गत 12 नवंबर को निर्माणाधीन सुरंग का हिस्सा ढहने से 41 मजदूर फंस गए थे। मजदूरों को गत 28 नवंबर को निकाला जा सका था। वह सुरंग के ढहे हिस्से में 2019 में दरार अथवा ढहने के सवाल का जवाब दे रहे थे। उन्होंने बताया कि बीआरओ, रेलवे मंत्रालय, सड़क, परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय व प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों के विशेषज्ञों को शामिल कर विशेषज्ञ समिति सिलक्यारा सुरंग हादसे की जांच के लिए गठित की जा चुकी है।
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