Jaunpur News: सपा-भाजपा के लिए मुश्किल बनी जौनपुर लोकसभा सीट, धनंजय सिंह की जमानत के बाद बदल गए समीकरण
जौनपुर, बीएनएम न्यूजः पूर्वांचल के राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि धनंजय सिंह की जमानत के बाद जौनपुर लोकसभा सीट का चुनाव रोमांचक हो गया है। अभी तक जहां मामला फंसा हुआ दिख रहा था, धनंजय के जेल से बाहर आने से जौनपुर का चुनाव क्यों रोमांचक हो गया है? पूर्व सांसद धनंजय सिंह को शनिवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट से जमानत मिलने के बाद राजनीतिक गलियारों में यह सवाल चारों ओर है कि क्या वह जौनपुर लोकसभा सीट के फैसले की धुरी बनेंगे? दरअसल, बीते एक माह में जौनपुर सीट यूपी की सबसे चर्चित सीटों में एक बन गई है।
यही वह सीट है, जहां विभिन्न दलों की दावेदारी ने सबको चौंका दिया है। पहले धनंजय सिंह भाजपा के सहयोगी दल के टिकट पर इस सीट से दावेदारी की तैयारी में थे लेकिन ऐन वक्त पर भाजपा ने यहां से कृपाशंकर सिंह को अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया। इस पर धनंजय ने भी सोशल मीडिया पर ऐलान कर दिया कि वह चुनाव लड़ेंगे। वह चुनाव के लिए दावेदारी करते, इससे पहले ही उन्हें अपहरण के मामले में सात साल की सजा हो गई और वह जेल चले गए।
बसपा के टिकट पर धनंजय की पत्नी लड़ रही चुनाव
जेल जाने के बाद भी धनंजय ने जौनपुर सीट से दावेदारी नहीं छोड़ी। उन्होंने अपनी पत्नी जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीकला रेड्डी और पिता राजदेव सिंह को सपा से टिकट दिलवाने के प्रयास शुरू किए। यहां एक बार फिर धनंजय सिंह की कोशिश नाकाम हो गई और सपा ने बसपा सरकार में मंत्री रहे बाबू सिंह कुशवाहा को टिकट दे दिया। सपा से भी झटका खाए धनंजय ने बसपा में प्रयास किया और यहां सफलता मिल गई। बसपा ने धनंजय की पत्नी श्रीकला को अपना प्रत्याशी बना दिया।
Watch: Jaunpur BSP candidate Shrikala Dhananjay Singh starts the election campaign along with party leaders and supporters, and receives a warm welcome. pic.twitter.com/8ejuVqBxW6
— IANS (@ians_india) April 20, 2024
धनंजय की जमानत से समर्थकों में जोश
श्रीकला प्रत्याशी तो बन गईं, लेकिन बिना धनंजय के चुनाव प्रचार में रंग नहीं आ रहा था। शनिवार को हाई कोर्ट से धनंजय की जमानत मंजूर होते ही उनके समर्थकों में जोश भर गया। अब धनंजय बाहर आते हैं तो विपक्षियों के लिए चुनाव मुश्किल होना तय है। साथ ही यह भी तय है कि परिणाम जिसके भी पक्ष में आए, फैसले की धुरी कहीं न कहीं धनंजय ही होंगे। दरअसल, धनंजय साल 2009 में बसपा के ही टिकट पर चुनाव जीतकर संसद पहुंचे थे। इससे पहले वह खुद विधायक रहे और सांसद बनने के बाद पिता को विधायकी जितवाई। फिर पत्नी श्रीकला रेड्डी को जिला पंचायत अध्यक्ष बनवाया। बीते तीन चुनाव (2009, 2014 और 2019) में दो बार (2009 व 2019) में जौनपुर सीट पर फैसला बीएसपी के पक्ष में रहा है।
जातीय समीकरण पर भी नजर
जौनपुर में ब्राह्मणों (15.72%) के बाद सबसे ज्यादा राजपूत (13.30%) मतदाता हैं। धनंजय की पत्नी मैदान में हैं तो उनके और भाजपा प्रत्याशी कृपा शंकर सिंह के बीच राजपूत वोट का बंटवारा तय है। यह स्थिति दोनों प्रत्याशियों के लिए नुकसानदायक है। खासतौर से तब जब यहां हुए 17 चुनाव में से 11 बार राजपूत प्रत्याशी ने जीत हासिल की हो। क्षेत्र में इस बात की भी चर्चा है कि दो मजबूत राजपूत प्रत्याशियों की लड़ाई सपा प्रत्याशी बाबू सिंह कुशवाहा के लिए फायदेमंद साबित न हो जाए। क्योंकि कुशवाहा, मौर्य और अन्य पिछड़ों की एक बड़ी संख्या है जो किसी भी चुनाव परिणाम को बदलने की क्षमता रखती है। जौनपुर में नामांकन प्रकिया 29 अप्रैल से शुरू होनी है।
सवर्णों के साथ साथ दूसरे वोट बैंक पर भी असर
धनंजय सिंह का प्रभाव सवर्ण वोटर्स के साथ ही ओबीसी में भी खूब है। निषाद, मौर्य, कहार, कुम्हार, चौहान पटेल वोटरों में धनंजय की पैठ मानी जाती है। नेता बनने से पहले धनंजय सिंह निषादों के बीच रहकर ही एनकाउंटर से बच सके थे। उसके बाद से निषाद वोटर उनसे दूर नहीं जाता। वो धनंजय की मजबूती का बड़ा हिस्सा है।
मुस्लिम वोट बैंक का मिल सकता है फायदा
जौनपुर में मुस्लिम वोटर्स करीब 1.75 लाख के आसपास हैं। जो भाजपा के खिलाफ जाकर जिताऊ कैंडिडेट को वोट करेंगे, ऐसा माना जा रहा है। ऐसे समय में जब सपा के उम्मीदवार बाहरी हैं। सपा में उन्हें लेकर एकजुटता नहीं बन पा रही है। अगर मुस्लिम भी बसपा के साथ गए, तो जौनपुर लोकसभा सीट पर मुकाबला रोचक होता दिख सकता है।
यादव वोट बैंक एकजुट हुआ तो होगा नुकसान
जौनपुर की राजनीति में गहरी पैठ रखने वाले कहते हैं कि सपा का बेस वोटबैंक (यादव) किसी भी हाल में धनंजय सिंह के पक्ष में नहीं रहता। खासकर मल्हनी और जौनपुर में यादव-ठाकुर वोटर्स की अपनी टशन मानी जाती है। यादवों को लगता है कि धनंजय की जीत के बाद जिले की राजनीति में ठाकुरों का वर्चस्व होगा। ऐसे में वो किसी भी हाल में धनंजय सिंह के खिलाफ जाकर वोट करते हैं। यही कारण है कि धनंजय सिंह की मजबूत राजनीतिक जमीन होने के बाद भी पिछले 2 बार से लकी यादव से हार का सामना करना पड़ा। जबकि उससे पहले पारस नाथ यादव से भी वो हारे थे। अगर यादव वोटर्स इस फार्मूले पर कायम रहा कि धनंजय सिंह की पत्नी को हराने के लिए वो किसी भी रणनीति को अपनाता है, तो श्रीकला को नुकसान उठाना पड़ सकता है।
ठाकुर वोटरों के बंटने का डर
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि जौनपुर लोकसभा सीट पर राजपूत वोटरों में बंटवारा धनंजय के लिए कमजोर कड़ी साबित हो सकती है। कृपाशंकर सिंह के साथ भाजपा की ताकत है, बड़ा संगठन है वहीं सत्ता साथ होने की वजह से उनकी राजनीतिक हैसियत भी बड़ी है। अब श्रीकला के चुनाव मैदान में आने के बाद ठाकुरों के वोटबैंक में बंटवारा होगा। इस बात की चर्चा भी जमीनी स्तर पर खूब है कि 2 ठाकुर लड़ेंगे, तो नुकसान होगा। ऐसे में यह पक्ष भी श्रीकला रेड्डी और धनंजय सिंह के लिए कमजोरी कड़ी साबित हो सकती है।
धनंजय सिंह के जेल जाने के बाद से हॉट सीट बन गई थी जौनपुर
जौनपुर शहर की विधानसभा सीटों पर सपा का लगातार कब्जा है। इसका मुख्य कारण यह है कि यहां यादव मतदाता बड़ी संख्या में हैं। यही वजह है कि जौनपुर को पूर्वांचल की हॉट सीट माना जाता है। जहां तक जौनपुर लोकसभा सीट की बात है, तो इस सीट से हमेशा दिग्गज नेता दावेदारी करते रहे हैं। मिनी मुलायम कहे जाने वाले पारसनाथ यादव हों या फिर स्वामी चिन्मयानंद। संघ के दिग्गज नेता दीन दयाल उपाध्याय ने भी जौनपुर से चुनाव लड़ा था। यही वजह है कि यह सीट यूपी की राजनीति में काफी मायने रखती है।
भाजपा ने महाराष्ट्र के नेता कृपा शंकर सिंह को दिया है टिकट
भाजपा ने महाराष्ट्र के नेता कृपा शंकर सिंह को जौनपुर लोकसभा सीट से टिकट दिया है। सपा से बाबू सिंह कुशवाहा को टिकट मिला है। बसपा ने धनंजय सिंह की पत्नी श्रीकला रेड्डी को मैदान में उतारा है। अभी तक जौनपुर के चुनावी मैदान में कृपा शंकर सिंह मजबूत माने जा रहे थे। लेकिन धनंजय की एंट्री से समीकरण गड़बड़ा रहे हैं। भाजपा के स्थानीय नेता भी अच्छी तरह से जानते हैं कि धनंजय की चुनावी मैदान में एंट्री पासा पलट सकती है।
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