Faridabad Crime: दुबई से आपरेट हो रहा साइबर ठगी का खेल, 400 मोबाइल सिम के साथ पांच गिरफ्तार, शेयर मार्केट में निवेश में दिखाते थे मोटा मुनाफा

नरेन्द्र सहारण, फरीदाबाद : Faridabad Crime: फर्जी शेयर ट्रेडिंग एप के माध्यम से लोगों की जीवन भर की जमा-पूंजी को हड़पने वाले पांच साइबर ठगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। यह साइबर ठग दुबई में बैठे गिरोह के सरगना के इशारे पर काम कर रहे थे। ठगी का पैसा भी दुबई के बैंकों में ट्रांसफर किया जा रहा था। पुलिस ने आरोपितों से 60 हजार रुपये व 400 सिमकार्ड बरामद किए हैं। सभी आरोपित छह महीने पहले एक-दूसरे से जुड़े थे। पूछताछ में इन्होंने 500 से अधिक वारदात कबूल की हैं और करोड़ों रुपये की ठगी की है। वैसे ठगी और इसकी सटीक रकम का सही आंकड़ा पुलिस के पास भी उपलब्ध नहीं है। मास्टर माइंड और उसके गुर्गों को पकड़ने के पुलिस दुबई भी जा सकती है। इन सभी तक पुलिस औद्योगिक नगरी में एक सेवानिवृत्त अधिकारी से हुई ठगी की शिकायत मिलने पर जांच के बाद पहुंची और गिरफ्तार कर लिया।

सेवानिवृत्त अधिकारी को ठगा

 

एसीपी साइबर क्राइम अभिमन्यु गोयत ने बताया कि आरोपितों ने शेयर मार्केट में निवेश कराकर मुनाफा दिेलाने के नाम पर सेक्टर-46 में रहने वाले सेवानिवृत्त अधिकारी चांद सिंह सुपारी से 53 लाख रुपये की ठगी की थी। यह मुकदमा 14 मार्च 2024 में साइबर थाना एनआइटी में दर्ज हुआ था। इस मामले को साइबर थाना एनआइटी प्रभारी अमित कुमार को जिम्मा सौंपा गया। इसके बाद जांच शुरू हुई। उनकी टीम में शामिल एएसआइ नरेंद्र कुमार,नीरज कुमार, मुख्य सिपाही राकेश, भागीरथ, संदीप तथा अमित कुमार ने कड़ी दर कड़ी जोड़ते हुए आरोपितों तक पहुंच बनाई और उन्हें पकड़ लिया। आरोपितों में अंकित, शमीम, सौरभ, रोशन तथा दिव्यांशु का नाम शामिल है। अंकित उत्तराखंड के उद्यमसिंह नगर, शमीम उत्तरप्रदेश के गौंडा के मोहम्मदपुर, सौरभ बुलंदशहर, रोशन धौजपुर आरा बिहार और दिव्यांशु अहमदाबाद गुजरात का रहने वाला है। सभी आरोपित आनलाइन एक-दूसरे से जुड़े थे और साइबर ठगी में अलग-अलग भूमिका निभाते थे।

छोटे निवेश पर कराते हैं बड़ा मुनाफा

 

पूछताछ में सामने आया कि साइबर अपराधी फर्जी शेयर ट्रेडिंग एप का उपयोग करते हैं। शुरुआत में साइबर अपराधी छोटे निवेश करवाते हैं और उसे पर मोटा मुनाफा दिखाते हैं। धीरे-धीरे उसे व्यक्ति को मुनाफा बढ़ता हुआ दिखाई देता है तो वह साइबर अपराधियों पर विश्वास करने लगता है। इस वजह से पीड़ित बड़ी पूंजी निवेश करता है। थाना पुलिस ने सबसे पहले अंकित को मुरादाबाद से गिरफ्तार किया था। पूछताछ के बाद दूसरे आरोपित समीम को दिल्ली, सौरभ तथा रोशन को गुरुग्राम तथा दिव्यांशु को गुजरात से गिरफ्तार किया गया।

सिम भारत की, प्रयोग हो रही दुबई से

 

साइबर ठग पहले देश में रहकर ग्रुप बनाकर लोगों को आनलाइन निवेश और पार्ट टाइम नौकरी के नाम पर ठगी का शिकार बना रहे थे। अब ठगों ने भारतीय नंबरों के सिम का प्रयोग कर दुबई से बैठकर लोगों को ठगी का शिकार बना रहे हैं। इन सिम को भारत से दुबई तक भेजने के लिए ठग कूरियर और लोगों की मदद ले रहे हैं। आरोपित इन सिम को जरूरतमंद लोगों को आफर और पैसे का लालच देकर ले लेते हैं।

जरूरतमंद लोगों से खरीद रहे अकाउंट

 

सामने आया है कि ठग अकाउंट के लिए भी मोटी रकम खर्च कर रहे हैं। आरोपित शमीम 8वीं पास है। वह अकाउंट देने का काम करता है। उसने इस मामले में खुद का अकाउंट एक लाख रुपये में आरोपित अंकित वर्मा को बेचा था। अंकित वर्मा सीधा दुबई में बैठे ठगों से डीलिंग करता है। आरोपित रोशन कुमार ने भी कई अकाउंट मुहैया कराए हैं। उसने अकाउंट की एवज में डेढ़ से दो लाख रुपये में अंकित से लिए हैं।

सौरभ उपलब्ध कराता था सिमकार्ड

 

पुलिस पूछताछ में सामने आया कि आरोपित सौरभ शमीम को सिम कार्ड उपलब्ध करवाता था। रोशन का बैंक में खाता है। इसने अपना बैंक खाता खुलवाकर शमीम को दिया था। शमीम ने आगे खाता अंकित को दे दिया। जिसे आगे यह खाता टोनी नाम के व्यक्ति को दिया। पुलिस आशंका जता रही है कि टोनी दुबई में बैठा है। वही खाते से पैसे निकालता था। पांचों आरोपितों को उनका हिस्सा दे दिया जाता था। पुलिस इसकी तलाश कर रही है। दिव्यांशु भी धोखाधड़ी की वारदात में टोनी के साथ काम करता था।

अंकित खूब पढ़ा लिखा

 

एएसआइ नीरज कुमार ने बताया कि आरोपितों में अंकित वर्मा बीए-बीएड है, दिव्यांशु ग्रेजुएशन कर रहा है। बाकी तीन आरोपित 8वीं व 12वीं पास हैं। आरोपित कहीं नौकरी नहीं करते थे। केवल ठगी के काम में लगे रहते थे।

बरामद मात्र 60 हजार रुपये

पुलिस ने आरोपितों से इसी मुकदमे में 60 हजार रुपये बरामद किए हैं। वैसे यह सवाल भी है कि सेवानिवृत्ति अधिकारी से ठगी तो 53 लाख की हुई और बरामद सिर्फ 60 हजार रुपये ही हुए। पुलिस के अनुसार ठगी की रकम तो दुबई पहुंच जाती थी, ऐसे में इनसे बरामदगी कहां से हो। मामले में जांच अभी जारी है जिसमें अन्य आरोपितों की गिरफ्तारी होने पर और रकम बरामद हो सकती है।

इस तरह से करें बचाव

– आनलाइन फ्राड करने वाले साइबर अपराधी किसी बैंकिंग वेबसाइट की हूबहू डुप्लीकेट वेबसाइट बनाते हैं। जिसपर आरबीआइ की सभी शर्त व गाइडलाइन भी मेंशन करते हैं।
– यदि कोई व्यक्ति आपको फोन या मैसेज करके कम समय में ज्यादा पैसे कमाने का लालच देता है तो समझ जाए कि वह साइबर ठग है
– लाटरी या गिफ्ट बांटने वाली कंपनी या वेबसाइट को खोलकर न देखें
– पोर्न साइट पर सर्फिंग न करें, केवल सेफ वेबसाइट को ही खोलें
– जिन वेबसाइट के यूआरएल से पहले ताला बना होता है उन साइट पर जाएं
– फ्रेंड रिक्वेस्ट स्वीकार करने से पहले उसकी पूरी तरह से जांच कर लें

 

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