गुड़गांव लोकसभा सीट का लेखा-जोखा: राव इंद्रजीत-राज बब्बर में सीधी लड़ाई, अहीरवाल के राजा के आगे पंजाबी मतदाताओं वोटर्स का पेंच फंसा

राज बब्बर, राव इंद्रजीत सिंह और राहुल फाजिलपुरिया।
नरेन्द्र सहारण, सिरसा। Gurgaon Lok Sabha Seat : देश की राजधानी दिल्ली से सटा गुरुग्राम कई मायनों में अहम है। यहां की राजनीति भी चर्चा में रहती है। इस शहर का ऐतिहासिक महत्व है। हरियाणा के गुरुग्राम का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा है। हरियाणा में 65% राजस्व अकेले गुरुग्राम ही सरकार को देता है। वर्तमान में यह शहर साइबर सिटी के नाम से भी जाना जाता है। हरियाणा में 10 लोकसभा सीटें हैं। इनमें मतदाताओं के हिसाब से सबसे ज्यादा वोटर्स इसी सीट पर हैं। 2008 में हुए परिसीमन के बाद फिर से अस्तित्व में आई गुड़गांव लोकसभा सीट पर पिछले 3 चुनाव में दक्षिणी हरियाणा के कद्दावर नेता और केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह जीतते आए हैं।
सीधा मुकाबला राव इंद्रजीत और राजबब्बर के बीच
नामांकन प्रक्रिया खत्म होने पर चुनाव मैदान में 23 प्रत्याशी है। चुनावी विशेषज्ञों और जमीन पर लोगों से बातचीत करने के बाद सामने आया कि यहां मुख्य मुकाबला राव इंद्रजीत सिंह और राज बब्बर के बीच ही है। जजपा उम्मीदवार राहुल फाजिलपुरिया अपनी लोकप्रियता और जाट मतदाताओं के जरिए कांग्रेस को नुकसान पहुंचा सकते हैं। वहीं इनेलो से हाजी सोहराब खान चुनावी मैदान में जरूर हैं, लेकिन मुस्लिम मतदाताओं का रुझान उम्मीदवार के बजाय पार्टी विशेष पर ज्यादा है। यहां पिछले दोनों चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार ही बढ़त बनाते आएं है। इस बार भी कांग्रेस की तरफ नूंह, पुन्हाना और फिरोजपुर झिरका में माहौल दिखाई दे रहा है।
यहां महंगाई, बेरोजगारी, अग्निवीर, अहीर रेजिमेंट के अलावा स्थानीय मुद्दे ज्यादा हावी हैं। गुरुग्राम शहर में जलभराव की समस्या और विकास कार्य जैसे अहम मुद्दे हैं। इसकी वजह से बीजेपी उम्मीवार को नुकसान भी उठाना पड़ सकता है। इसके अलावा उनके साथ तीन बार की एंटी इंकमबैंसी भी है। वहीं दूसरी तरफ शहरी क्षेत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर आज भी वोटर्स का नजरिया पहले जैसा ही बना हुआ है। इसका सीधा फायदा बीजेपी उम्मीदवारों को मिलेगा।
क्या है गुड़गांव सीट का जातीय समीकरण
अहीर- 19%, मेव मुस्लिम- 18%, अनुसूचित जाति-18%, ओबीसी-9%, पंजाबी-8%, राजपूत-8%, ब्राहमण-7%, जाट-7%, वैश्य-5%,
कुल वोट –25 लाख 49 हजार 628। 2019 के लोकसभा चुनाव में गुड़गांव ससंदीय सीट पर 21,39,788 मतदाता थे। पांच साल में 4,38,788 मतदाता बढ़ गए हैं।
3 बिंदुओं में समझें गुड़गांव सीट का समीकरण
- राव इंद्रजीत सिंह अहीरवाल इलाके (दक्षिणी हरियाणा) के बड़े नेता हैं। वे इस इलाके की दोनों लोकसभा सीट महेंद्रगढ़ और गुरुग्राम से 5 बार सांसद बन चुके हैं। पिछले 3 चुनावों में उन्होंने गुड़गांव सीट से चुनाव जीता है। राव इंद्रजीत सिंह के लिए सकारात्मक बात यह है कि इस इलाके में उनका खुद का वजूद है। इसके अलावा सूबे के अन्य क्षेत्र के मुकाबले ज्यादा शहरी क्षेत्र होने के कारण यहां पीएम मोदी के चेहरे का असर ज्यादा है। साथ ही बीजेपी का मजबूत संगठन और लंबे समय से यहां का प्रतिनिधित्व करने के कारण हर क्षेत्र में नफा-नुकसान भली भांति जानते हैं।
- अहीरवाल को ही बीजेपी का मजबूत किला कहा जाता है, लेकिन इस बार परिस्थितियां बदली नजर आ रही हैं। कांग्रेस ने पंजाबी बिरादरी से आने वाले राजबब्बर को टिकट दिया है। राजबब्बर के लिए गुरुग्राम नया इलाका है, लेकिन वे भी 5 बार लोकसभा और राज्यसभा के सांसद रह चुके हैं। यहां वोटर्स की संख्या के मामले में चौथे नंबर पर उपस्थिति दर्ज कराने वाले पंजाबी बिरादरी से राज बब्बर का कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ना समीकरण बदल रहा है। पिछले दोनों चुनाव में पंजाबी वोटर्स ने एक तरफा बीजेपी का साथ दिया है, लेकिन इस बार राजबब्बर के जरिए कांग्रेस सेंधमारी की पूरी कोशिश में लगी हुई है।
- ग्रामीण क्षेत्र में भाजपा की हालत कुछ पतली नजर आ रही है। मुस्लिम और राजपूत वोटर्स की अच्छी खासी संख्या वाले सोहना, नूंह की तीनों विधानसभा सीटें फिरोजपुर-झिरका, पुन्हाना, नूंह में बीजेपी की स्थिति कमजोर दिख रही है। वहीं दूसरी तरफ रेवाड़ी, बादशाहपुर, गुरुग्राम, पटौदी में बीजेपी की स्थिति ठीक नजर आ रही है। अहीर और जाट मतदाताओं के प्रभाव वाली बावल विधानसभा सीट पर दोनों के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिल सकता है।

मुस्लिम और अहीरों का अहम रोल
गुड़गांव लोकसभा क्षेत्र में 9 विधानसभा क्षेत्र हैं। इसमें गुरुग्राम जिले की 4 विधानसभा गुरुग्राम, पटौदी, बादशाहपुर, सोहना, नूंह जिले की 3 विधानसभा फिरोजपुर-झिरका, पुन्हाना व नूंह और रेवाड़ी जिले की दो विधानसभा रेवाड़ी व बावल शामिल हैं। गुरुग्राम जिले के अलावा बावल विधानसभा में जाटों की संख्या अच्छी खासी है। इसके अलावा नूंह मुस्लिम बाहुल्य है। पिछले 2 चुनाव में वोटर्स की संख्या के हिसाब से तीसरे पायदान पर रहने वाले मुस्लिम का रुझान कांग्रेस की तरफ रहा है। वहीं अन्य बिरादरियों ने खुलकर बीजेपी के पक्ष में मतदान किया, लेकिन 2019 के मुकाबले 2024 का मुकाबला कई मायनों में अहम है। फिरोजपुर-झिरका, पुन्हाना और नूंह के मतदाता पिछले साल नूंह में हुई हिंसा को लेकर खुलकर कुछ नहीं बोल रहे है, इन तीनों की सीट पर हिंसा का असर दिखाई दे रहा हैं। नूंह में 80 प्रतिशत आबादी मुस्लिम तो 20 प्रतिशत आबादी हिंदुओं की है।
अकेले पड़ते दिख रहे राव इंद्रजीत, राजबब्बर पर बाहरी का टैग
राव इंद्रजीत सिंह के मुकाबले राज बब्बर को भीतरघात का कम खतरा है। किसी समय में गुटबाजी इस इलाके में कांग्रेस में देखने को मिलती थी, वो अब बीजेपी में भी दिखाई दे रही है। राव इंद्रजीत सिंह चुनावी प्रचार में भी अलग-थलग पड़ते दिख रहे हैं। इलाके में उनकी पार्टी के भीतर उनके विरोधियों की लिस्ट लंबी है। केंद्र में मंत्री और गुरुग्राम से ताल्लुक रखने वाले भूपेंद्र यादव, पूर्व कैबिनेट मंत्री राव नरबीर सिंह, पूर्व सांसद सुधा यादव, रेवाड़ी से पूर्व विधायक रणधीर सिंह कापड़ीवास जैसे नेताओं ने उनके प्रचार से एक तरह से दूरी बनाए हुए हैं। ये नेता सिर्फ बड़े लीडर की रैलियों में ही मंच पर जरूर नजर आ रहे है, लेकिन धरातल पर इनकी गतिविधि ना के बराबर है। ऐसे में राव इंद्रजीत सिंह के सामने बादशाहपुर, रेवाड़ी और गुरुग्राम सीट पर भीतरघात का खतरा बना हुआ हैं।
वहीं कांग्रेस प्रत्याशी राज बब्बर को भी गुटबाजी का शिकार होना पड़ सकता हैं। इस सीट पर कांग्रेस की टिकट के दावेदार सीनियर नेता कैप्टन अजय सिंह यादव की नाराजगी देखने को मिल चुकी है। हालांकि मान मनौवल के बाद कैप्टन अजय और रेवाड़ी से विधायक उनके बेटे चिरंजीव राव राज बब्बर के समर्थन में जनसभाएं कर चुके हैं। रेवाड़ी सीट पर कैप्टन ने खुलकर राज बब्बर की मदद की तो परिणाम कुछ और भी दिखाई दे सकता हैं। राज बब्बर स्थानीय मुद्दों पर जोर देते दिख रहे हैं, लेकिन विपक्ष उन पर बाहरी का टैग लगा रहा है।
पंजाबी वोट के विभाजन की संभावना ज्यादा
वरिष्ठ पत्रकार तरुण जैन ने बताया कि इस बार गुड़गांव सीट पर दिलचस्प मुकाबला देखने को मिलने वाला है। 2014 और 2019 में इस सीट पर राव इंद्रजीत सिंह ने आसानी से जीत दर्ज कर ली थी। तीसरी बार बीजेपी ने उन्हें टिकट दी है, लेकिन इस बार कांग्रेस ने नई रणनीति के तहत पंजाबी बिरादरी से आने वाले राजबब्बर को चुनावी मैदान में उतारा है। इस सीट पर पंजाबी बिरादरी के मतदाताओं की संख्या अच्छी खासी है। ऐसे में पंजाबी वोट के विभाजन की संभावना ज्यादा है। जहां तक इस सीट पर सबसे ज्यादा 20 प्रतिशत अहीर वोटर्स की बात है तो उनका झुकाव राव इंद्रजीत सिंह की तरफ रहा है। इस सीट पर मुस्लिम और अहीर वोटर्स काफी अहम रहे हैं, लेकिन इस बार पंजाबी बिरादरी के उम्मीदवार को उतारकर कांग्रेस ने मुकाबले को काफी कड़ा बना दिया है। 15 दिन पहले तक यहां एक तरफा सा माहौल दिख रहा था, लेकिन अब समीकरण बदले से नजर आ रहे हैं।
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