कांग्रेस को बीजेपी के खिलाफ किसानों, पहलवानों के गुस्से का सहारा, लेकिन 30% वोट के अंतर की खाई कैसे कम होगी?

नरेन्द्र सहारण, चंडीगढ़।  2019 में बीजेपी ने हरियाणा में क्लीन स्वीप किया था। राज्य की सभी 10 लोकसभा सीटों पर पार्टी को जीत मिली थी। इसमें से 8 सीटों पर उसके उम्मीदवारों ने बड़े अंतर से जीत हासिल की थी। लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव में अपने पिछले प्रदर्शन को दोहरा पाना या होने वाले नुकसान को कम कर पाना, बीजेपी के लिए मुश्किल दिखाई देता है। इसके पीछे वजह 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद हुए हुई कुछ घटनाएं हैं।

अगर कांग्रेस बीजेपी को नुकसान पहुंचाने में सफल हो जाती है तो यह उसके लिए एक बड़ी कामयाबी होगी क्योंकि 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस के बीच वोटों का अंतर 30% था। 2019 में बीजेपी को 58.02% वोट मिले थे जबकि कांग्रेस को 28.42%।

जननायक जनता पार्टी को 4.2% और इनेलो को 1.89 प्रतिशत वोट मिले 

इस बार भी मतदान पिछली बार की ही तरह रहने की संभावना है। कांग्रेस और बीजेपी हरियाणा की 9 सीटों पर सीधे एक-दूसरे के आमने-सामने हैं। कुरुक्षेत्र में आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार सुशील गुप्ता चुनाव लड़ रहे हैं। यहां उनके सामने इनेलो के नेता अभय चौटाला हैं।

Farms Law 2020: कृषि कानूनों के खिलाफ हुआ था आंदोलन

2019 के बाद से हरियाणा के भीतर जो बड़ी घटनाएं हुई हैं, उसमें 2020-21 के बीच एक साल तक चला किसान आंदोलन सबसे पहली घटना है। मोदी सरकार के द्वारा लाए गए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान सड़क पर उतरे थे। पंजाब के अलावा हरियाणा के किसानों ने भी इस आंदोलन में बड़े पैमाने पर हिस्सा लिया था। हरियाणा में 65% आबादी ग्रामीण इलाकों में रहती है और कृषि कानून को लेकर यहां मुखर विरोध देखने को मिला था।

इन दिनों पंजाब के शंभू बॉर्डर पर किसान धरना दे रहे हैं। यह मुद्दा भी हरियाणा के चुनाव प्रचार के दौरान चर्चा में रहा। हरियाणा में बीजेपी के लगभग सभी उम्मीदवारों को किसानों के विरोध का सामना करना पड़ा।

Women Wrestlers Protest: बीजेपी सांसद बृजभूषण पर हैं आरोप

दूसरी बड़ी घटना जिसे लेकर नाराजगी है, वह महिला ओलंपियन पहलवानों के साथ हुआ व्यवहार है। इस मामले में बीजेपी के सांसद बृजभूषण शरण सिंह पर महिला पहलवानों के यौन उत्पीड़न का आरोप लगा है। आरोप लगाने वाली महिला पहलवानों में से अधिकतर हरियाणा के ग्रामीण इलाकों से आती हैं।

Khattar Government: सैनी को सौंपी कुर्सी

तीसरा सबसे बड़ा फैक्टर बीजेपी सरकार के 10 साल के शासन के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी है। यह हरियाणा में बीजेपी की सरकार और केंद्र में बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकार दोनों को लेकर है। एंटी इनकंबेंसी से निपटने के लिए ही बीजेपी ने मनोहर लाल खट्टर और उनकी कैबिनेट को बदल दिया था। खट्टर की जगह पर नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बनाया गया। हरियाणा में कुछ महीने बाद ही विधानसभा के चुनाव होने हैं।

खट्टर करनाल लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं जबकि नायब सिंह सैनी करनाल विधानसभा सीट से उपचुनाव में उतरे हैं। बीजेपी ने इस बार हरियाणा में अपने 6 सांसदों की जगह नए उम्मीदवारों को उतारा है।

Agnipath Scheme Protest: अग्निपथ योजना को लेकर नाराजगी

कांग्रेस ने किसान आंदोलन और पहलवानों के मुद्दे को चुनाव में उठाने के साथ ही महंगाई, बेरोजगारी, कानून और व्यवस्था, सेना में भर्ती के लिए लाई गई अग्निपथ योजना को लेकर युवाओं में नाराजगी के मुद्दे को भी चुनाव प्रचार के दौरान उठाया है। हरियाणा से बड़ी संख्या में युवा सशस्त्र बलों में जाते हैं। लोकसभा चुनाव में बीजेपी के खिलाफ यह भी एक बड़ा मुद्दा है।

Haryana BJP: मोदी के चेहरे पर मांगे वोट

अन्य राज्यों की तरह हरियाणा में भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही भाजपा के सबसे बड़े चेहरे के तौर पर चुनाव में सामने आए। बीजेपी ने हरियाणा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार की उपलब्धियों के नाम पर वोट मांगे। इनमें जम्मू-कश्मीर से धारा 370 की समाप्ति पाकिस्तान के खिलाफ एयर स्ट्राइक आदि शामिल हैं। प्रधानमंत्री ने हरियाणा में चुनाव प्रचार के दौरान अंबाला, सोनीपत के गोहाना और भिवानी-महेंद्रगढ़ में चुनावी रैलियां की। बीजेपी के चुनाव प्रचार में गांधी परिवार और अरविंद केजरीवाल निशाने पर रहे।

Haryana Congress: हुड्डा ने संभाला चुनाव अभियान

कांग्रेस के चुनाव प्रचार का जिम्मा पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने संभाला। कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व हरियाणा में चुनाव प्रचार के लिए 21 मई को उतरा। राहुल गांधी ने महेंद्रगढ़ के दादरी और सोनीपत में चुनावी रैलियों को संबोधित किया और पंचकूला में संविधान सम्मान सम्मेलन में भी वह मौजूद रहे।

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने यमुनानगर के जगाधरी में चुनावी रैली की और चंडीगढ़ में प्रेस कॉन्फ्रेंस की जबकि प्रियंका गांधी वाड्रा ने सिरसा में रोड शो किया।

Bhupinder Hooda: हुड्डा की प्रतिष्ठा है दांव पर

76 साल के हो चुके भूपेंद्र सिंह हुड्डा को चुनाव के दौरान कांग्रेस के भीतर से भी चुनौतियों का सामना करना पड़ा। हुड्डा कहते हैं, ‘बीजेपी ने अपना काम किया और हमने अपना। लेकिन बीजेपी अपनी कोई भी उपलब्धि नहीं बता पाई क्योंकि उन्होंने कुछ किया ही नहीं है। लोग इसे समझते हैं और इस बार को कांग्रेस को वोट देंगे।’

2019 के विधानसभा चुनाव में भूपेंद्र सिंह हुड्डा की अगुवाई में कांग्रेस ने बीजेपी को जोरदार चुनौती दी थी। इस लोकसभा चुनाव में हुड्डा की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी हुई है। उनके बेटे दीपेंद्र हुड्डा रोहतक लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। 2019 में दीपेंद्र हुड्डा को यहां से बेहद नजदीकी मुकाबले में 7503 वोटों से हार मिली थी। रोहतक लोकसभा सीट हुड्डा परिवार का गढ़ है।

पिछले लोकसभा चुनाव में भूपेंद्र सिंह हुड्डा भाजपा के रमेश चंद्र कौशिक से सोनीपत सीट पर 1.64 लाख वोटों से हारे थे। जबकि हरियाणा की बाकी आठ लोकसभा सीटों पर बीजेपी के उम्मीदवारों की जीत का अंतर औसत रूप से हर सीट पर 3.14 लाख वोटों का रहा था।टिकट देते वक्त कांग्रेस और बीजेपी ने जातीय समीकरणों का भी पूरा ख्याल रखा है इसलिए अधिकतर सीटों पर एक ही जाति के उम्मीदवार एक-दूसरे से चुनावी लड़ाई लड़ रहे हैं।

Shruti Choudhry: किरण चौधरी की बेटी को नहीं मिला टिकट

बीजेपी और कांग्रेस, दोनों को ही चुनाव के दौरान कुछ हद तक अंदरुनी लड़ाई का भी सामना करना पड़ा। बीजेपी की ओर से कुलदीप बिश्नोई तो कांग्रेस की ओर से किरण चौधरी नाराज दिखीं। कुलदीप चौधरी हिसार लोकसभा सीट से अपने या अपने बेटे भव्य बिश्नोई के लिए टिकट मांग रहे थे जबकि किरण चौधरी अपनी बेटी श्रुति चौधरी के लिए टिकट चाहती थीं। हालांकि दोनों नेताओं ने अपनी मौजूदगी दर्ज कराई और अपनी पार्टियों के लिए चुनाव प्रचार भी किया।

Haryana Lok Sabha Chunav: 2004, 2009 में जीती 9 सीटें

2019 से पहले कांग्रेस को दो बार हरियाणा में सभी 10 लोकसभा सीटों पर हार का सामना करना पड़ा था। आपातकाल के बाद 1977 में हुए चुनाव और 1999 में ऐसा हुआ था। 1999 में बीजेपी ने केंद्र में एनडीए की अगुवाई वाली सरकार भी बनाई थी।

हरियाणा में कांग्रेस का सबसे अच्छा प्रदर्शन 2004 और 2009 में रहा था, तब उसने 10 में से 9 लोकसभा सीटों पर जीत दर्ज की थी। तब दोनों ही बार केंद्र में कांग्रेस की सरकार बनी थी।मोदी युग की शुरुआत के बाद बीजेपी हरियाणा के अंदर ताकतवर होती गई। 2014 में पार्टी ने 7 लोकसभा सीटों पर जीत दर्ज की थी और तब कांग्रेस को सिर्फ एक सीट मिली थी। 2019 में बीजेपी ने सभी लोकसभा सीटें जीती थी।हरियाणा कांग्रेस में हुड्डा की विरोधी मानी जाने वाली कुमारी सैलजा को इस बार लोकसभा का टिकट दिया गया है। वह सिरसा सीट से चुनाव लड़ रही हैं। कुमारी सैलजा कहती हैं, ‘बीजेपी दोबारा सत्ता में नहीं आएगी। इस बार बालाकोट एयर स्ट्राइक जैसा कोई फैक्टर नहीं है। इसके बजाय लोग वादे पूरा न करने को लेकर बीजेपी से सवाल पूछ रहे हैं।’

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