Haryana LS Election Results: जानें कैसे हरियाणा सरकार की विफलताओं ने बिगाड़ा भाजपा का खेल, स्थानीय मुद्दे रहे हावी

नायब सिंह सैनी और मनोहर लाल।

नरेन्द्र सहारण, सोनीपत : Haryana LS Election Results: हरियाणा के लोकसभा चुनाव में कई सीटों पर भाजपा की हार के कई तरह के कारण सामने आ रहे हैं। अग्निवीर योजना, किसानों के प्रदर्शन, पहलवान के प्रदर्शन, बेरोजगारी, महंगाई और भ्रष्टाचार को लेकर राज्य में प्रदर्शन होते रहे। हरियाणा सरकार ने इस पर ध्यान ही नहीं दिया। अब भाजपा कार्यकर्ता ही कह रहे हैं कि पूर्व में मनोहर लाल की नीतियों के कारण भाजपा को नुकसान उठाना पड़ा है। हरियाणा सरकार की योजनाओं के विफलता के कारण लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। डिजिटाइजेशन के नाम पर हरियाणा सरकार ने प्रापर्टी आइडी, परिवार पहचान पत्र, किसानों की फसलों के आनलाइन पंजीकरण की योजनाएं तो शुरू कर दीं लेकिन अधिकारी उन्हें ठीक तरीके से लागू नहीं कर पाए। सर्वे करने वाली कंपनियों ने लगभग हर व्यक्ति की प्रापर्टी आइडी में गलतियां कर दीं, इससे उन्हें ठीक करवाने के लिए लोगों की लंबी लाइनें लगानी पड़ी। इसके साथ ही परिवार पहचान पत्र आय गलत दिखाकर राशन कार्ड और पेंशन जैसी सरकारी योजनाएं काट दी। इससे भी लोग परेशान हुए। वहीं किसानों को कंप्यूटर और मोबाइल का अधिक ज्ञान न होने के कारण फसलों के पंजीकरण में दिक्कत हुई। बाद में उनकी फसलें बिकी नहीं। इसके साथ ही भितरघात व सही प्रबंधन न होने के कारण भाजपा को हार का सामना करना पड़ा। इसके साथ ही ग्रामीण क्षेत्र में भाजपा का विरोध भी हार का कारण बना।

सोनीपत में गुटबाजी रही हावी

सोनीपत लोकसभा सीट पर भाजपा ने मोहन लाल बड़ौली को टिकट देकर मैदान में उतारा था। टिकट मिलते आधा दर्जन बड़े नेता जो टिकट की दौड़ में थे, उन्होंने बड़ौली से दूरी बना ली। पूर्व सांसद और विधायक समेत कई बड़े दिग्गज नेता भी उनसे नाराज हो गए। आपको बता दें कि सोनीपत से पूर्व सांसद रमेश कौशिक भाजपा के प्रत्याशी घोषित किए गए थे, लेकिन उनका अश्लील वीडियो सामने आने के बाद उनका टिकट काट दिया गया। चुनाव के दौरान कई बड़े नेता प्रचार में घूमते तो रहे, लेकिन उन्होंने मन से काम नहीं किया। भाजपा के एक पुराने नेता ने बताया कि भाजपा के 35 वरिष्ठ नेता व पदाधिकारी ऐसे थे, जिन्हें प्रचार के लिए ठीक से बुलाया नहीं गया और न ही उन्हें कोई जिम्मेदारी सौंपी गई। इस कारण वे अपने घर बैठे रहे। अगर वे नेता प्रचार में शामिल होते तो नुकसान की जगह इसका लाभ मिल सकता था। इसके साथ नाराज नेताओं को मनाया नहीं गया, उन्हें यह कहकर रूठा ही रहने दिया गया। जो आना चाहे, वह आ जाए, जो नहीं आना चाहते उनकी हमें जरूरत नहीं है। इससे पार्टी के पदाधिकारियों व नेताओं में नाराजगी और बढ़ी।

माना जाता है कि सोनीपत सीट में भाजपा एक अच्छे अंतर से जीत सकती थी लेकिन अलग- अलग विधानसभाओं में सही तरीके से चुनाव प्रबंधन न होने से उसे हार का सामना करना पड़ा। पूर्व सांसद, विधायक, विधानसभा संयोजक, बड़े नेता अपने-अपने गांव व बूथों पर पार्टी को जिता नहीं सके, क्योंकि इन सबमें से किसी ने इस पर गंभीरता से काम नहीं किया। पांच विधानसभाओं में सोनीपत को छोड़कर किसी भी विधानसभा क्षेत्र में पार्टी को बड़ी जीत नहीं मिली। वहीं कांग्रेस की तीन हलकों में बड़ी जीत ने भाजपा को उबरने तक नहीं दिया।

हार का पहले ही हो गया था अहसास

मतदान के बाद ही नेताओं और कार्यकर्ताओं ने हार-जीत का आकलन करना शुरू कर दिया था। कई पदाधिकारियों ने चुनाव प्रचार के दौरान बड़ौली की हार का आकलन कर दिया था। सूत्रों ने बताया कि बड़ौली का अति आत्मविश्वास, अपनों की दूरी, रूठों को नहीं मनाना और मोदी के सहारे जीत का भरोसा ले बैठा इस हार के प्रमुख कारण रहे। मतगणना के दौरान सुबह से बड़ौली कांग्रेस के प्रत्याशी सतपाल ब्रह्मचारी से पीछे चल रहे थे। इस दौरान बड़ौली के चेहरे पर उदासीनता छाई रही।

इन मुद्दों की अनदेखी पड़ी भारी

हरियाणा में किसान आंदोलन, अग्निवीर योजना, बेरोजगारी और महंगाई को लेकर प्रदर्शन होते रहे। वहीं दूसरी ओर पटवारियों और कानूननगो की हड़ताल भी कई महीने चली, आंगनबाड़ी कर्मियों ने कई महीने प्रदर्शन किया। ऐसे में भाजपा ने लोगों की नाराजगी कम करने के लिए सीएम तक बदला लेकिन नाराजगी कम नहीं हुई। यहां तक कि जजपा से भाजपा ने गठबंधन तोड़ लिया लेकिन इससे बात नहीं बनी। राज्य में रजिस्ट्रियों में भ्रष्टाचार, टेंडरों में कमीशनखोरी व शराब की तस्करी के मामले उछलते रहे। इससे लोगों की नाराजगी बढ़ती गई।

हार के पांच बड़े कारण

1. स्थानीय मुद्दे ज्यादा असरदार : इस बार राष्ट्रीय मुद्दों के बजाय स्थानीय मुद्दे हरियाणा में ज्यादा असरदार रहे, जिसके चलते भी बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा।
3. किसान आंदोलन : किसानों की नाराजगी बीजेपी की हार का बड़ा कारण माना जा रहा है क्योंकि किसानों ने बड़ौली का कई जगह विरोध किया।
2. नेताओं की आपसी लड़ाई : मोहन लाल बड़ौली ने प्रेसवार्ता करके आरोप लगाया था कि कुछ बीजेपी नेताओं ने उनके साथ नहीं दिया।
4. बेरोजगारी : बेरोजगारी भी भाजपा की हार का कारण माना जा रहा है, अग्निवीर योजना को लेकर कई जगह प्रदर्शन हुए। सोनीपत, रोहतक और झज्जर में भारी संख्या में युवा सेना में जाते हैं।
5. आनलाइन पोर्टल : हरियाणा सरकार ने पोर्टल के जरिए कई योजनाओं को धरातल में उतरने की कोशिश की लेकिन वह सही तरीके से लोगों तक नहीं पहुंच पाई।

 

 

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