Bhiwani-Mahendragarh Loksabha Seat: भितरघात कर अपनों ने धर्मवीर को ‘दान’ कर दी भिवानी-महेंद्रगढ़ लोकसभा सीट, जानें कहां हुआ नुकसान

धर्मबीर सिंह और राव दान सिंह।

नरेन्द्र सहारण, भिवानी: Bhiwani-Mahendragarh Loksabha Seat: हमें तो अपनों ने लूटा, गैरों में कहा दम था, मेरी किश्ती वहां डूबी, जहां पानी कम था। जी हां कांग्रेस प्रत्याशी रावदान सिंह के साथ कुछ ऐसा ही हुआ है। हालांकि भाजपा प्रत्याशी धर्मबीर सिंह को उनके पैतृक जिले की बजाए महेंद्रगढ़ जिले ने एक बार फिर से हैट्रिक लगवाने में बड़ी मदद की और चारों विधानसभा क्षेत्रों ने उन्हें विजयी होने का आशीर्वाद दे डाला। कांग्रेस प्रत्याशी राव दान सिंह के लिए यह बड़े चौंकाने वाले परिणाम रहे। उन्हें अपनी कर्मभूमि महेंद्रगढ़ से बड़ी उम्मीद थी, लेकिन परिणाम अप्रत्याशित आए। यहां से जीतने की बजाए कांग्रेस प्रत्याशी हार गए, जबकि भिवानी जिले में उन्होंने भाजपा प्रत्याशी धर्मबीर सिंह को कड़ा मुकाबला दिया।

यादव और जाट वोटों को साथ लाने की रणनीति नहीं रही सफल

इस बार कांग्रेस ने श्रुति चौधरी की टिकट काटकर अहीर प्रत्याशी राव दान सिंह पर दांव खेला था। कांग्रेस के इस दांव से यादव और जाट वोटों को एक साथ लगाने की रणनीति अपनाई गई थी। काफी हद तक यह जातिगत समीकरण कारगर भी रही पर सफल नहीं हो पाई।

अतिउत्साह ने कांग्रेस प्रत्याशी को दिया झटका

असल में कांग्रेस प्रत्याशी राव दान सिंह इस चुनाव के दौरान अति उत्साहित नजर आए। उन्होंने अपना पूरा फोकस भिवानी और दादरी जिले में ही रखा। महेंद्रगढ़ जिले को उन्होंने हलके में लिया और उनका लगता था कि अहीरवाल का यह जिला तो उनके साथ वैसे ही है तो यहां ताकत झोंकने की जरूरत ही नहीं है। उनके आकलन के विपरित इसी जिले में कांग्रेस प्रत्याशी को अप्रत्याशित झटका लगा। खुद की विधानसभा महेंद्रगढ़ में भी हार का सामना करना उनके लिए बहुत बड़े झटके के रूप में देखा जा रहा है। इसका एक बड़ा कारण यह है कि तीन माह बाद विधानसभा चुनाव आ रहे हैं और ऐसे में अपने ही विधानसभा क्षेत्र में हार के साथ अगला चुनाव लड़ने को लेकर बड़ा सवाल खड़ा होगा।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की रणनीति हुई कामयाब

असल में 23 मई को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने महेंद्रगढ़ में रैली को संबोधित किया था। इस रैली के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राव तुलाराम को नमन कर अपने भाषण की शुरुआत की थी और अहीर मतदाताओं को साध लिया। पूर्व मुख्यमंत्री चौ. बंसीलाल के साथ बिताए पल की चर्चा कर उन्होंने जाट मतदाताओं में भी भाजपा की पहुंच बनाने में काफी हदतक कामयाबी हासिल कर ली । इसके साथ ही नारनौल और महेंद्रगढ़ के हलवाइयों का नाम लेकर महेंद्रगढ़ जिले की चारों विधानसभा सीटों पर हवा का रूख बदलने में कामयाब रहे। रही सही कसर गुड़गांव भाजपा प्रत्याशी राव इंद्रजीत सिंह ने पूरी कर दी। इसी दिन उन्होंने अटेली विधानसभा क्षेत्र में देर शाम तक लोगों के बीच में रहे और भाजपा की जीत सुनिश्चित कर गए। यहीं वजह रही कि अटेली क्षेत्र में भाजपा को करीब 20 हजार वोटों की बढ़त मिल गई। महेंद्रगढ़ जिले की सभी चारों विधानसभा से भाजपा ने जीत का परचम लहराया।

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खींचतान का खामियाजा भी कांग्रेस प्रत्याशी को उठाना पड़ा

कांग्रेस में खींचतान की बात कोई नई नहीं है। चुनाव के दौरान आपसी खींचतान खूब उभरकर सामने आई थी। यहां तक की राहुल गांधी की 22 मई की दादरी रैली में भी किरण चौधरी और राव दान सिंह आमने-सामने आ गए थे। बेशक किरण चौधरी के विधानसभा क्षेत्र तोशाम में कोई बड़ा फायदा भाजपा को नहीं हुआ पर आपसी खींचतान की चर्चा ने अन्य क्षेत्रों में नुकसान जरूर कर दिया।

 

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