Chandigarh News: डेरा मुखी गुरमीत राम रहीम ने हाईकोर्ट से मांगी 21 दिनों की फरलो, कहा- इसी माह चाहिए
नरेन्द्र सहारण, चंडीगढ़। Chandigarh News: डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह ने पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट से एक बार फिर 21 दिन की फरलो देने के निर्देश देने की मांग की है, ताकि वह इस अवधि के दौरान जेल से बाहर रहकर “कल्याणकारी गतिविधियां” कर सकें। इसके पीछे उन्होंने स्वतंत्रता और न्याय की मांग की। डेरा प्रमुख ने कहा है कि फरलो के लिए अधिकारियों को आवेदन दिया जा चुका है, लेकिन हाई कोर्ट के 29 फरवरी के स्थगन आदेश के कारण इस याचिका पर विचार नहीं किया गया है। जिसके पीछे उन्होंने तीखी स्वतंत्रता और न्याय की मांग की
2 जुलाई को होगी मामले की सुनवाई
हाई कोर्ट के जस्टिस विनोद एस भारद्वाज ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि आप अपना कार्यक्रम स्थगित कर लो। आप पहले कार्यक्रम रख लेते हो फिर बाद मैं कोर्ट आकर इसमें शामिल होने का दबाव डालते हो। कोर्ट ने कहा कि मुख्य न्यायाधीश की बेंच ही अब इस अर्जी पर जुलाई में सुनवाई करेगी क्योंकि उसी बेंच में यह मामला विचाराधीन है। कोर्ट ने एसजीपीसी सहित हरियाणा सरकार को नोटिस जारी मामले की सुनवाई 2 जुलाई तक स्थगित कर दी। सुनवाई के दौरान हरियाणा सरकार की तरफ से कहा गया कि वह डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह की अर्जी पर विचार कर रही है लेकिन अभी तक इस बारे में कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है। सरकार ने कहा कि कोर्ट के आदेश के बाद ही इस पर कोई अंतिम निर्णय लेगी।
सेवादार श्रद्धांजलि भंडारा का आयोजन
हाई कोर्ट में दायर अपनी अर्जी में डेरा प्रमुख गुरमीत सिंह ने कहा कि वह संस्था के धार्मिक प्रमुख हैं, जहां हर दो साल में एक बार जून माह में “सेवादार श्रद्धांजलि भंडारा” का आयोजन किया जाता है ताकि समाज सेवा में जीवन समर्पित करने वाले और दुर्घटनाओं, गंभीर बीमारियों या अन्य कारणों से जान गंवाने वाले स्वयंसेवकों को श्रद्धांजलि दी जा सके और उनके शोकाकुल परिवारों को हर संभव सहायता प्रदान की जा सके।
कई कल्याणकारी गतिविधियां की जानी हैं
फरलो पर रिहाई की मांग करते हुए उनकी अर्जी में कहा गया है कि आवेदक की अध्यक्षता में डेरा प्रमुख द्वारा कई कल्याणकारी गतिविधियां की जानी हैं-जैसे नशा मुक्ति, बड़े पैमाने पर पौधारोपण और गरीब लड़कियों की शादी आदि। इसके लिए आवेदक द्वारा प्रेरणा अभियान चलाने की आवश्यकता है। उन्होंने हरियाणा गुड कंडक्ट प्रिजनर (अस्थायी रिहाई) अधिनियम 2022 के तहत कानून के अनुसार पेरोल के लिए आवेदन पर विचार करने और निर्णय लेने के निर्देश मांगे हैं। यह तर्क दिया गया है कि हरियाणा सरकार ने पहले ही 89 ऐसे दोषियों को पैरोल और फरलो प्रदान किया है, जिन्हें आजीवन कारावास और निश्चित अवधि की सजा वाले तीन या अधिक मामलों में दोषी ठहराया गया है और सजा सुनाई गई है। हाईकोर्ट ने 7 अप्रैल, 2022 के आदेश में फैसला किया था कि डेरा प्रमुख कट्टर अपराधी की परिभाषा के अंतर्गत नहीं आते हैं क्योंकि उन्हें आईपीसी की धारा 302 के तहत दो हत्या के मामलों में दोषी नहीं ठहराया गया था, बल्कि आईपीसी की धारा 302 के साथ धारा 120-बी (आपराधिक साजिश) के तहत दो मामलों में दोषी ठहराया गया था।
हर साल 70 दिन की पैरोल और 21 दिन की फरलो देने का अधिकार
हाई कोर्ट को बताया गया कि हरियाणा गुड कंडक्ट कैदी (अस्थायी रिहाई) अधिनियम 2022 के तहत पात्र दोषियों को हर साल 70 दिन की पैरोल और 21 दिन की फरलो देने का अधिकार दिया गया है। नियम ऐसे दोषियों को पैरोल और फरलो देने पर रोक नहीं लगाते हैं, जिन्हें आजीवन कारावास और निश्चित अवधि की सजा वाले तीन या अधिक मामलों में दोषी ठहराया गया हो और सजा सुनाई गई हो।
पेरोल या फरलो की छूट का दुरुपयोग नहीं किया
डेरा प्रमुख की याचिका में कहा गया है कि उसने अतीत में पैरोल या फरलो की छूट का दुरुपयोग नहीं किया है और हमेशा समय रहते आत्मसमर्पण किया है। डेरा प्रमुख के अनुसार, 20 दिन की पैरोल और 21 दिन की फरलो पहले से ही उपयुक्त अधिकारियों द्वारा विचाराधीन है। 29 फरवरी को हाई कोर्ट ने राज्य को निर्देश दिया था कि भविष्य में अदालत की अनुमति के बिना डेरा प्रमुख के पैरोल के आवेदन पर विचार न किया जाए।
बार-बार पेरोल या फरलो पर रिहा करने पर आपत्ति
यह मामला शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) द्वारा दायर याचिका के मद्देनजर हाई कोर्ट में लंबित है। याचिका में डेरा प्रमुख को दुष्कर्म और हत्या के मामलों में दोषी होने के बावजूद हरियाणा सरकार द्वारा बार-बार पेरोल या फरलो पर रिहा करने पर आपत्ति जताई गई है।
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