Mamata Kulkarni: ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर बनाने पर किन्नर अखाड़े में घमासान, लक्ष्मी नारायण पर गिर सकती है गाज
महाकुंभनगर, बीएनएम न्यूजः फिल्म अभिनेत्री ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर बनाए जाने के बाद किन्नर अखाड़े में घमासान शुरू हो गया है। चर्चा है कि अखाड़े के कई संतों ने इस पर कड़ी आपत्ति जाहिर की है। माना जा रहा है कि कुलकर्णी को महामंडलेश्वर बनाने के मामले में किन्नर अखाड़े की आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी के खिलाफ कार्रवाई हो सकती है।
अभिनेत्री ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर की पदवी दिए जाने को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। एक्ट्रेस को महामंडलेश्वर बनाने को लेकर किन्नर अखाड़े के भीतर ही विरोध शुरू हो गया है। किन्नर अखाड़े के संस्थापक अजय दास और आचार्य महामंडलेश्वर डॉ. लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी इस मसले पर आमने-सामने आ गए हैं। मीडिया में चल रही खबरों के मुताबिक अजय दास ने लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी को मुक्त करने की तैयारी कर ली है।
उधर, लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी का कहना है कि अजय दास किस हैसियत से कार्रवाई करेंगे। वह तो किसी पद पर ही नहीं है। उनको तो पहले से ही अखाड़े से निकाला जा चुका है। किन्नर अखाड़े की ओर से शुक्रवार को मीडिया के सामने इस मुद्दे को लेकर वार्ता हो सकती है।
आज दोपहर बाद हो सकती है कार्रवाई की घोषणा
सूत्रों की मानें तो अखाड़े के भीतर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी को आचार्य महामंडलेश्वर पद से हटाने की तैयारी हो रही है। इसको लेकर किन्नर अखाड़े के संतों में चर्चा तेज हो गई है। किन्नर अखाड़े के संस्थापक अजय दास ने किसी बड़ी कार्रवाई की बात कही है। दोपहर में आज इसका एलान भी किया जा सकता है। पूरे विवाद पर आज दोपहर बाद किन्रर अखाड़े की प्रेसवार्ता हो सकती है। इसमें किसी निर्णय की बात कही जा रही है।
ममता के महामंडलेश्वर बनने से नाराज संत
ममता को महामंडलेश्वर बनाए जाने पर कई संत नाराजगी जता चुके हैं। उनके मुताबिक, ऐसे प्रतिष्ठित पद के लिए सालों के आध्यात्मिक अनुशासन और समर्पण की जरूरत होती है। फिर कैसे ममता को एक ही दिन में महामंडलेश्वर चुन लिया गया। बाबा रामदेव ने भी इस फैसले पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा- कुछ लोग, जो कल तक सांसारिक सुखों में लिप्त थे, अचानक एक ही दिन में संत बन गए हैं, या महामंडलेश्वर जैसी उपाधि प्राप्त कर ले रहे हैं।
महामंडलेश्वर बनने पर क्या बोलीं ममता?
24 जनवरी की शाम को प्रयागराज, महाकुंभ में ममता ने संगम पर अपना पिंडदान किया। फिर किन्नर अखाड़े में उनका पट्टाभिषेक हुआ। ममता ने महामंडलेश्वर पद मिलने पर कहा था- ये अवसर 144 सालों बाद आया है, इसी में मुझे महामंडलेश्वर बनाया गया है। ये केवल आदिशक्ति ही कर सकती हैं। मैंने किन्नर अखाड़ा ही इसलिए चुना, क्योंकि यहां कोई बंदगी नहीं है, ये स्वतंत्र अखाड़ा है। जीवन में सब चाहिए आपको। एंटरटेनमेंट भी चाहिए। हर चीज की जरूरत होनी चाहिए। ध्यान ऐसी चीज है, जो भाग्य से ही प्राप्त हो सकता है। सिद्धार्थ (गौतम बुद्ध) ने बहुत कुछ देखा था फिर उनमें परिवर्तन आया।
ममता की हुई थी कड़ी परीक्षा
ममता ने कहा था- ”महामंडलेश्वर बनाए जाने से पहले 4 जगतगुरू ने मेरी परीक्षा ली। मुझसे कठिन सवाल किए। मेरे उत्तरों से वो समझ गए कि मैने कितनी तपस्या की है। मुझसे 2 दिनों से आग्रह कर रहे थे कि महामंडलेश्वर बनो तो मैने कहा मुझे लिबास की क्या आवश्यकता है। इस कपड़े को सम्मिलित करूंगी तब इसे धारण कर सकती हूं, क्या पुलिस वाला घर पर भी वर्दी पहनता है।
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