जानकी देवी मेमोरियल कॉलेज में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस: ‘एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य’ के लिए योग का शक्ति प्रदर्शन

नई दिल्ली, बीएनएम न्‍यूज। शनिवार को दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रतिष्ठित जानकी देवी मेमोरियल कॉलेज (JDMC) में 11वां अंतरराष्ट्रीय योग दिवस अत्यंत उत्साह और उमंग के साथ मनाया गया, जिसने कॉलेज परिसर को स्वास्थ्य जागरूकता और सामूहिक ऊर्जा के एक जीवंत केंद्र में बदल दिया। इस वर्ष की थीम ‘एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य के लिए योग’ (Yoga for One Earth, One Health) थी, जिसने कार्यक्रम के मूल उद्देश्य को स्पष्ट रूप से दर्शाया – वैश्विक कल्याण और पर्यावरणीय संतुलन के लिए योग की गहन उपयोगिता को उजागर करना। यह आयोजन केवल शारीरिक आसनों का प्रदर्शन नहीं था, बल्कि मन, शरीर और आत्मा के सामंजस्य के साथ-साथ हमारी धरती के साथ गहरे संबंध को स्थापित करने का एक सशक्त संदेश था।

कॉलेज का प्रांगण सुबह से ही योग के प्रति उत्साही शिक्षकों, कर्मचारियों और छात्रों की भीड़ से गुलजार था। सभी इस महत्वपूर्ण दिन का हिस्सा बनने और योग की शक्ति का अनुभव करने के लिए उत्सुक थे। यह आयोजन न केवल एक वार्षिक अनुष्ठान था, बल्कि एक सामूहिक प्रतिज्ञा थी कि योग को अपनी दैनिक दिनचर्या का एक अभिन्न अंग बनाया जाए, जिससे व्यक्तिगत और सामुदायिक स्वास्थ्य दोनों को लाभ मिले।

सम्मानित अतिथियों का स्वागत और कार्यक्रम का शुभारंभ

कार्यक्रम की शुरुआत कॉलेज की गतिशील प्राचार्या, प्रोफेसर स्वाति पाल द्वारा विशेष अतिथि और योग प्रशिक्षक, गीता का गर्मजोशी से स्वागत करने के साथ हुई। गीता जो स्वयं एक स्वर्ण पदक विजेता और शोधकर्ता हैं उनकी उपस्थिति ने कार्यक्रम में एक विशेष गरिमा और प्रेरणा जोड़ी। उनका समर्पण और योग के क्षेत्र में उनकी विशेषज्ञता उपस्थित जनसमूह के लिए एक प्रेरणा स्रोत थी।

स्वागत संबोधन के बाद कॉलेज के स्टाफ सलाहकार मिस हिमानी, डॉ. पूनम और श्री अभिनब कुमार ने प्रो. पाल को एक सुंदर स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया। यह क्षण कॉलेज के नेतृत्व के प्रति कृतज्ञता और सम्मान का प्रतीक था, जिन्होंने इस तरह के सार्थक आयोजन को संभव बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। यह एक सुखद संकेत था कि कॉलेज प्रबंधन, शिक्षक और कर्मचारी सभी मिलकर एक साझा उद्देश्य के लिए काम कर रहे हैं।

प्राचार्या प्रो. स्वाति पाल का प्रेरक संबोधन

 

प्रोफेसर स्वाति पाल ने सभा को संबोधित करते हुए अपने विचार साझा किए, जिसने सभी उपस्थित लोगों को गहराई से प्रभावित किया। उन्होंने योग को केवल एक व्यायाम के रूप में नहीं बल्कि जीवन के एक आवश्यक अंग के रूप में वर्णित किया। अपने संबोधन में उन्होंने जोर देकर कहा, “योग न केवल मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को सुदृढ़ बनाता है, बल्कि यह हमारी कार्यक्षमता और आत्मविश्वास में भी वृद्धि करता है।” यह एक शक्तिशाली बयान था जो योग के समग्र लाभों को रेखांकित करता था, जो केवल शारीरिक फिटनेस से कहीं आगे जाकर मानसिक स्पष्टता और भावनात्मक स्थिरता तक फैला हुआ है।

प्रो. पाल ने अपनी व्यक्तिगत उपलब्धियों में योग के योगदान को भी साझा किया, जिससे उनके शब्द और भी विश्वसनीय और प्रेरक बन गए। उन्होंने बताया कि कैसे योग ने उन्हें चुनौतियों का सामना करने, ध्यान केंद्रित करने और जीवन के विभिन्न पहलुओं में संतुलन बनाए रखने में मदद की है। उनकी व्यक्तिगत गवाही ने श्रोताओं को यह समझने में मदद की कि योग सिर्फ एक प्राचीन अभ्यास नहीं है, बल्कि आधुनिक जीवन की भागदौड़ में भी यह एक व्यावहारिक और प्रभावी उपकरण है। उनके शब्दों ने उपस्थित सभी लोगों को अपनी जीवनशैली में योग को शामिल करने के लिए प्रेरित किया।

गीता का ज्ञानवर्धक व्याख्यान और व्यावहारिक योगासन

कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण गीता का प्रोत्साहनपूर्ण व्याख्यान था, जिन्होंने उपस्थित जनसमूह को योग के वैज्ञानिक पहलुओं से अवगत कराया। उन्होंने योग के पीछे के विज्ञान, इसके शारीरिक और मानसिक लाभों के साथ-साथ यह कैसे हमारे तंत्रिका तंत्र, पाचन तंत्र और अंतःस्रावी तंत्र को प्रभावित करता है, इस पर विस्तार से चर्चा की। उनका व्याख्यान ज्ञानवर्धक और सुलभ दोनों था, जिसने योग को केवल एक अभ्यास के रूप में नहीं बल्कि एक वैज्ञानिक रूप से मान्य अनुशासन के रूप में प्रस्तुत किया। उन्होंने विभिन्न आसनों के पीछे के तर्क और उनके विशिष्ट लाभों को समझाया, जिससे प्रतिभागियों को अभ्यास के प्रति गहरी समझ विकसित हुई।

व्याख्यान के बाद गीता ने कॉलेज की प्रशिक्षक शिम्पी शर्मा के साथ मिलकर योगासन का व्यावहारिक प्रदर्शन किया। यह सत्र कार्यक्रम का सबसे इंटरैक्टिव और ऊर्जावान हिस्सा था। सुश्री गीता ने जटिल आसनों को भी सरल और समझने योग्य तरीके से प्रस्तुत किया, जिससे शुरुआती और अनुभवी दोनों ही आसानी से उनका अनुसरण कर सकें। शिम्पी शर्मा ने भी प्रतिभागियों को सही मुद्रा और श्वास तकनीकों को समझने में मदद की।

इस व्यावहारिक सत्र में शिक्षकों, कर्मचारियों और छात्रों ने सक्रिय रूप से भाग लिया। कॉलेज का खेल का मैदान, जहां यह सत्र आयोजित किया गया था, योग चटाइयों और उत्साह से भरे प्रतिभागियों से भरा हुआ था। हर कोई अपनी योग चटाई पर बैठा या खड़ा था और गीता तथा शिम्पी शर्मा के निर्देशों का ध्यानपूर्वक पालन कर रहा था। सूर्य नमस्कार से लेकर विभिन्न आसनों की एक विस्तृत श्रृंखला को कवर किया। भाग लेने वालों ने उत्साह और समर्पण के साथ हर आसन को आज़माया और उनमें से कई ने अपनी क्षमताओं से परे जाने का प्रयास किया।

पूरे सत्र के दौरान गीता ने उचित श्वास (प्राणायाम) के महत्व पर भी जोर दिया यह बताते हुए कि कैसे श्वास और आसन का समन्वय योग अभ्यास को बढ़ाता है। उन्होंने ध्यान और मानसिक क्षणों को भी शामिल किया, जिससे प्रतिभागियों को अपने भीतर से जुड़ने और वर्तमान क्षण में रहने का अनुभव हो सके। सत्र के अंत में सभी ने योग निद्रा का अनुभव किया, जिसने उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से तरोताजा महसूस कराया।

इस सत्र ने प्रतिभागियों को योग की दैनिक दिनचर्या को अपनाने की प्रेरणा दी। कई लोगों ने यह स्वीकार किया कि यह व्यावहारिक अनुभव उन्हें योग को अपने जीवन का एक नियमित हिस्सा बनाने के लिए प्रेरित करेगा। सामूहिक ऊर्जा और सकारात्मकता स्पष्ट थी, और हवा में एक शांति और संतुलन की भावना थी।

‘एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य’ थीम का गहरा अर्थ

 

इस वर्ष की थीम ‘एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य के लिए योग’ केवल एक नारा नहीं था बल्कि एक गहरा संदेश था जो आज के समय में अत्यधिक प्रासंगिक है। गीता और प्रो. पाल दोनों ने इस थीम के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि कैसे योग न केवल व्यक्तिगत स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है, बल्कि यह हमें अपने पर्यावरण और एक-दूसरे के साथ सामंजस्य स्थापित करने में भी मदद करता है।

इस थीम का अर्थ है कि मानव स्वास्थ्य पृथ्वी के स्वास्थ्य से अविभाज्य रूप से जुड़ा हुआ है। प्रदूषित पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन और प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक दोहन सीधे तौर पर मानव स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं। योग, अपनी संपूर्ण प्रकृति के साथ, हमें मानसिक, स्थिरता और प्रकृति के साथ गहरे संबंध की भावना सिखाता है। यह हमें सिखाता है कि कैसे अपने शरीर और मन का सम्मान करें, और इस विस्तार से, कैसे उस ग्रह का सम्मान करें जिस पर हम रहते हैं।

गीता ने इस बात पर प्रकाश डाला कि योग अभ्यास हमें अपनी आदतों, जीवनशैली विकल्पों और प्रकृति के साथ बातचीत करने के तरीके के बारे में अधिक जागरूक होने में मदद करता है। जब हम स्वयं के साथ शांति में होते हैं, तो हम दूसरों और अपने पर्यावरण के प्रति अधिक दयालु और सम्मानजनक होते हैं। यह थीम वसुधैव कुटुंबकम् (Vasudhaiva Kutumbakam) के प्राचीन भारतीय दर्शन का भी प्रतिध्वनि है ‘पूरी दुनिया एक परिवार है’। यह हमें याद दिलाता है कि हम सभी एक ही ग्रह पर रहते हैं और हमारा स्वास्थ्य और कल्याण एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। इस सामूहिक जागरूकता और जिम्मेदारी की भावना को बढ़ावा देकर योग ‘एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य’ के दृष्टिकोण को साकार करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

सहभागियों की सकारात्मक प्रतिक्रिया और भविष्य की प्रेरणा

 

कार्यक्रम के अंत में सहभागी सभी प्रतिभागियों ने योगाभ्यास के अनुभव को अत्यंत सकारात्मक और उत्साहवर्धक बताया। कई छात्रों ने बताया कि उन्हें योग के माध्यम से तनाव कम करने और एकाग्रता बढ़ाने में मदद मिली। शिक्षकों और कर्मचारियों ने शारीरिक और मानसिक स्फूर्ति का अनुभव किया और उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कैसे योग कार्य-जीवन संतुलन को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है।

एक छात्रा ने टिप्पणी की कि “मैंने पहले कभी योग नहीं किया था, लेकिन आज का सत्र इतना प्रेरणादायक था कि मैं अब इसे अपनी दैनिक दिनचर्या का हिस्सा बनाना चाहती हूं। मैंने तुरंत ही हल्का और शांत महसूस किया।” एक अन्य शिक्षक ने कहा, “प्रो. पाल और गीता ने योग के महत्व को इतनी खूबसूरती से समझाया। यह सिर्फ एक अभ्यास नहीं है, यह जीवन का एक दर्शन है।”

कॉलेज परिसर में यह दिन एक स्वास्थ्य जागरूकता और सामूहिक ऊर्जा के संगम का प्रतीक बन गया। यह सिर्फ एक दिन का आयोजन नहीं था बल्कि योग के लाभों के बारे में जागरूकता फैलाने और इसे जीवन के एक तरीके के रूप में अपनाने के लिए एक उत्प्रेरक था। जानकी देवी मेमोरियल कॉलेज ने एक बार फिर दिखाया कि वे न केवल अकादमिक उत्कृष्टता के लिए प्रतिबद्ध हैं बल्कि अपने छात्रों और स्टाफ के समग्र कल्याण के लिए भी समर्पित हैं।

इस सफल आयोजन ने कॉलेज को भविष्य में ऐसे और अधिक कार्यक्रमों की मेजबानी करने के लिए प्रेरित किया है। यह स्पष्ट है कि अंतरराष्ट्रीय योग दिवस एक वार्षिक परंपरा से कहीं अधिक बन गया है, यह एक आंदोलन है जो लोगों को स्वास्थ्य, सद्भाव और वैश्विक जिम्मेदारी की दिशा में प्रेरित कर रहा है। जानकी देवी मेमोरियल कॉलेज में मनाया गया 11वां अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस इस आंदोलन का एक शानदार उदाहरण था, जिसने ‘एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य’ के आदर्श को व्यवहार में लाया।

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