एक्ट्रेस हुमा कुरैशी बोलीं, बॉलीवुड में हीरोइन बनने के पीछे कड़ी मेहनत की है

मुंबई, बीएनएम न्यूज: बॉलीवुड अभिनेत्री हुमा कुरैशी, जो हाल ही में जी5 की वेब सीरीज “मिथ्या 2” में नजर आई हैं, अपने करियर के दौरान लगातार नई चुनौतियों का सामना कर रही हैं। उन्होंने बताया कि कैसे उन्हें अपने किरदारों में मजबूती और जिम्मेदारी का एहसास होता है। उनके अनुसार, किसी भी शूटिंग के शेड्यूल में सबसे ऊपर होना एक विशेष एहसास देता है, और यही उनकी प्राथमिकता बन गई है।
कमजोर किरदारों का प्रस्ताव
जब हुमा से पूछा गया कि क्या उन्हें कभी ऐसे किरदारों का प्रस्ताव मिला है जिसमें वे कमजोर या दूसरों पर निर्भर हों, तो उन्होंने बताया कि एक बार एक प्रसिद्ध निर्देशक ने उन्हें एक फिल्म का प्रस्ताव दिया था, जिसमें उनका किरदार विलेन के सामने केवल रोते हुए डायलॉग बोलता है। हुमा ने कहा कि ऐसे किरदार में उनकी कास्टिंग गलत होगी। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि वे उस किरदार को नहीं निभाना चाहेंगी, और ऐसे प्रस्तावों को विनम्रता से ठुकराने की हिम्मत उन्होंने विकसित की है।
ना कहने की कला
हुमा ने यह भी स्वीकार किया कि शुरू में उन्हें ना कहने में कठिनाई होती थी। वे पहले झूठ बोलकर अपने आप को बचाने की कोशिश करती थीं। अब, हालांकि, उनका दृष्टिकोण बदल चुका है। उनका मानना है कि इस इंडस्ट्री में सच बोलना एक बड़ी उपलब्धि है। उन्हें लगता है कि अक्सर इस तरह की स्थिति में सामने वाले को आहत करने से बचने के लिए बात करने का तरीका महत्वपूर्ण है।
केंद्रीय भूमिकाएं
हुमा ने बताया कि “महारानी” और “मिथ्या” जैसी वेब सीरीज के बाद उन्हें ऐसे काम के प्रस्ताव मिलने लगे हैं, जिसमें केंद्रीय भूमिका निभाने की जिम्मेदारी उनके ऊपर होती है। उन्होंने यह भी कहा कि जब आप एक बार केंद्रीय भूमिका निभा लेते हैं, तो फिर आपकी अपेक्षाएं भी बढ़ जाती हैं। पूरी जिम्मेदारी उठाना और उसके साथ संतुष्टि का एहसास करना उन्हें बेहद पसंद है।
निडरता का विकास
हुमा ने बताया कि उनके करियर की शुरुआत में वे काफी डरी हुई थीं, लेकिन समय के साथ उन्होंने निडरता विकसित की है। वे अब यह सोचती हैं कि अगर वे किसी चुनौतीपूर्ण रोल को स्वीकार करती हैं और अगर वह अच्छा नहीं होता है, तो कोई बड़ी बात नहीं है। उन्होंने कहा कि उनका काम लोगों का मनोरंजन करना है, न कि राकेट बनाना। इसलिए, वे इसे कम गंभीरता से लेने लगी हैं।
पिछले काम का अवलोकन
जब “मिथ्या 2” के पहले सीजन के संदर्भ में पूछा गया, तो हुमा ने कहा कि उन्हें अपना काम दोबारा देखना पसंद नहीं है। उनका मानना है कि अगर आप अपने पुराने काम में फंस जाएंगे, तो आगे बढ़ना मुश्किल हो जाएगा। वे अपने अनुभवों से सीखने का प्रयास करती हैं, लेकिन एक ही तरह के काम को बार-बार न करने का ध्यान रखती हैं।
जीवन की मिथ्याएं
हुमा ने मुस्कुराते हुए कहा कि अभिनय का पेशा ही एक मिथ्या है। लोगों को लगता है कि इसमें केवल ग्लैमर है, लेकिन वास्तव में इसके पीछे कड़ी मेहनत और थकान है। वे इस बात को समझती हैं कि जब हम बड़े होते हैं, तो जिम्मेदारियां भी बढ़ जाती हैं, जो कभी-कभी बचपन की मासूमियत को याद दिलाती हैं।
बदला लेने की भावना
अंत में, जब हुमा से पूछा गया कि क्या उनके मन में बदला लेने की भावना कभी आई है, तो उन्होंने स्पष्ट किया कि ऐसा नहीं है। लेकिन वे अपने साथ गलत होने नहीं देती हैं। उनका जीवन का एक सरल नियम है—”न बदतमीजी करो, न अपने साथ होने दो।”
हुमा कुरैशी का यह दृष्टिकोण न केवल उनके करियर को परिभाषित करता है, बल्कि यह दिखाता है कि कैसे एक मजबूत महिला किरदार निभाने की जिम्मेदारी को वे आत्मसात करती हैं। उनके अनुभव और विचार न केवल प्रेरणादायक हैं, बल्कि यह भी दर्शाते हैं कि एक अभिनेत्री के लिए अपनी पहचान बनाना कितना महत्वपूर्ण है।
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