अंतरराष्ट्रीय विक्रेताओं पर अपनी निर्भरता कम करने दिशा में बढ़ा अदाणी पावर, लोगों को कैसे मिलेगी राहत

नई दिल्ली, BNM News। भारत के सबसे बड़े निजी क्षेत्र के बिजली उत्पादक, अदाणी पावर लिमिटेड ने अपने शेयरधारकों के लिए टेक्नोलॉजी और डिजिटलीकरण पर भारी निवेश किया है साथ ही ज्यादा क्षमता और दक्षता बढ़ाने के लिए लगातार काम कर रहा है। अदाणी पावर देश भर में 8 बिजली संयंत्र संचालित करता है, जिनकी स्थापित क्षमता 15.25 गीगावॉट है और अगले कुछ सालों में 21.15 गीगावॉट हासिल करने का लक्ष्य है। कंपनी ने ग्रीनफील्ड, ब्राउनफील्ड, सफल विलय और अधिग्रहण के माध्यम से बिजली संयंत्रों का अपना बड़ा पोर्टफोलियो बनाया है।

टेक्नोलॉजी में किया महत्वपूर्ण निवेश

 

कंपनी ने पिछले कुछ सालों में कई ऐसी संपत्तियों का अधिग्रहण किया है जिसमें परेशानियां बहुत ज्यादा रही है और उनकी दक्षता में सुधार करने के लिए टेक्नोलॉजी में महत्वपूर्ण निवेश करना पड़ा है। साथ ही कुछ मामलों में उन्हें सही फॉर्मेट में ढालने के लिए रीबूट भी किया है। अदाणी पावर के प्रबंध निदेशक अनिल सरदाना ने कहा, हमने अधिग्रहित बेड़े में ऑपरेटिंग प्लेटफॉर्म और एल्गोरिदम का व्यापक आधुनिकीकरण किया है और आज इनमें से ज्यादातर बेंचमार्क मानकों से ऊपर काम कर रहे हैं। अदाणी पावर का मुंद्रा (गुजरात) स्टेशन सुपर-क्रिटिकल टेक्नोलॉजी अपनाने वाला देश का पहला स्टेशन था, जो सबक्रिटिकल की तुलना में काफी अधिक कुशल है। इसके बाद की सभी इकाइयां जैसे 3,300 मेगावाट का तिरोदा (महाराष्ट्र) प्लांट और 1,320 मेगावाट कावई (राजस्थान) प्लांट भी सुपर-क्रिटिकल टेक्नोलॉजी पर स्थापित किए गए थे।

अल्ट्रा सुपर क्रिटिकल टेक्नोलॉजी को अपनाने वाली पहली कंपनी

 

फिर से, अदाणी पावर अपने 1,600 मेगावाट के निर्यात के लिए, गोड्डा (झारखंड) प्लांट के लिए अत्याधुनिक अल्ट्रा सुपर क्रिटिकल टेक्नोलॉजी को अपनाने वाला पहला था, जिसके लिए हाई कैपिटल एक्सपेंडिचर की आवश्यकता थी। साइकल कास्ट और एनर्जी जनरेशन के प्रति मेगावाट काफी कम उत्सर्जन देता है। आगे होने वाले सभी ब्राउनफील्ड विस्तार जैसे महाना (एमपी), रायपुर और रायगढ़ स्टेशनों (दोनों छत्तीसगढ़ में) में 1600 मेगावाट प्रत्येक, अल्ट्रा-सुपरक्रिटिकल टेक्नोलॉजी पर आधारित हो रहे हैं। अल्ट्रा सुपर क्रिटिकल तकनीक आगे बढ़ने का रास्ता है। अदाणी पावर भविष्य के सभी बड़े प्रोजेक्ट पर सिर्फ इस प्लेटफॉर्म को तैनात करेंगी, जो कहीं ज्यादा रिसोर्स एफिशिएंट है। नई टेक्नोलॉजी में निवेश के कारण, उत्सर्जन और पानी की खपत के संबंध में अदाणी पावर के पर्यावरण पैरामीटर काफी ऊंचे हैं और उद्योग के औसत की तुलना में फैक्सिबल हैं।

स्वदेशी पुर्जों का इस्तेमाल कर कंपोनेंट को रिवर्स करने की कोशिश

 

अदाणी पावर देश में एकमात्र पावर जनरेटर है जिसके पास भारत से लेकर चीनी, कोरियाई से लेकर अमेरिकी तक, बीटीजी (बॉयलर, टर्बाइन, जेनरेटर) सप्लायर की श्रृंखला का एक स्थापित बेड़ा है। इसका मुख्य कारण यह है कि अधिग्रहीत इकाइयाँ कई टेक्नोलॉजी के साथ आई थी इसे बेहतर ढंग से मैनेज करने के लिए, कंपनी ने कॉम्पोनेंट्स को स्थानीयकृत करने और स्पेयर या मरम्मत के लिए किसी विशेष विक्रेता पर निर्भर नहीं रहने की एक बड़ी पहल शुरू कर दी है। इसलिए, जब भी कोई इकाई बड़े रखरखाव शटडाउन के लिए जाती है, जो आम तौर पर हर 6 साल में एक बार होती है, तो एपीएल के इंजीनियर टर्बाइनों को अलग करते है और स्वदेशी पुर्जों का इस्तेमाल कर कंपोनेंट को रिवर्स करने की कोशिश करते हैं। अदाणी पावर ने कई पुर्जों की रिवर्स इंजीनियरिंग के लिए ‘3डी’ प्रिंटिंग तकनीक भी तैनात की है और इस विकल्प पर लगातार विकास भी कर रहा है।

अंतरराष्ट्रीय विक्रेताओं पर निर्भरता कम करना चाहती है कंपनी

 

अदाणी पावर विदेशी मुद्रा, वीजा मुद्दों के साथ-साथ वहां से घटकों को प्राप्त करने में देरी के कारण अंतरराष्ट्रीय विक्रेताओं पर अपनी निर्भरता कम करना चाहती है। कंपनी पहले ही 70% स्वदेशीकरण स्तर हासिल कर चुकी है और अगले 1-2 सालों में 90% को पार करने का लक्ष्य है। अदाणी पावर ने कॉम्पोनेंट्स को रिवर्स करने में मदद के लिए एक इकोसिस्टम तैयार कर लिया है इससे न सिर्फ स्पेयर और सर्विस के लिए ओईएम पर निर्भरता कम हुई है बल्कि समय का लाभ भी मिला है। देश में कोई भी अन्य खिलाड़ी ऐसा करने में कामयाब नहीं हुआ है।
इन सफल इंटीग्रेशन से शटडाउन कम समय में होता है और कंपोनेंट सोर्सिंग आसान होती है साथ ही इससे टीम ज्यादा आत्मनिर्भर होती है इसके अलावा कंपनी क्रॉस वेंडर सहयोग को भी प्रोत्साहित करती है।

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