केजरीवाल को लगा लगा झटका, सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री ने नहीं स्वीकारी याचिका; 2 जून को करना होगा समर्पण

नई दिल्ली, बीएनएम न्यूज। चिकित्सीय जांच के लिए अंतरिम जमानत एक सप्ताह बढ़ाने की मांग पर तत्काल सुनवाई को लेकर अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से कोई राहत नहीं मिली है। अब उन्हें 2 जून को कोर्ट के सामने सरेंडर करना होगा। केजरीवाल की अंतरिम जमानत बढ़ाने की मांग की गई थी, लेकिन इसे सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री ने स्वीकार नहीं किया। इससे पहले मंगलवार को भी सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल की अर्जी को तत्काल सुनवाई के लिए लगाए जाने का कोई भरोसा नहीं दिया। कोर्ट ने कहा कि उनकी अर्जी सीजेआइ को भेजी जाएगी और वही उसे सूचीबद्ध करने पर निर्णय लेंगे।

याचिका को स्वीकार करने से इंकार

सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री ने अरविंद केजरीवाल की अंतरिम जमानत की अवधि 7 दिन बढ़ाने की याचिका को स्वीकार करने से इंकार कर दिया है। रजिस्ट्री का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने सीएम को ट्रायल कोर्ट में जमानत याचिका दायर करने की छूट दी है। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली आबकारी नीति घोटाले में मनीलांड्रिंग के आरोपी अरविंद केजरीवाल को 10 मई को चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम जमानत दी थी। कोर्ट ने केजरीवाल को 2 जून को दोबारा समर्पण करने का आदेश दिया था। केजरीवाल ने एक नयी अर्जी दाखिल कर चिकित्सा जांच कराने के लिए अंतरिम जमानत एक सप्ताह और बढ़ाने का अनुरोध किया थी । केजरीवाल ने अर्जी में सुप्रीम कोर्ट से 2 जून के बजाए 9 जून को समर्पण करने की इजाजत मांगी है।

केजरीवाल को कुछ चिकित्सीय जांच कराने की सलाह

मंगलवार को वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने न्यायमूर्ति जेके महेश्वरी और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की अवकाश कालीन पीठ के समक्ष केजरीवाल की अर्जी का उल्लेख किया। सिंघवी ने अर्जी को जल्दी सुनवाई पर लगाने का अनुरोध करते हुए कहा कहा कि डाक्टरों ने केजरीवाल को कुछ चिकित्सीय जांच कराने की सलाह दी है इसलिए उनकी अंतरिम जमानत एक सप्ताह के लिए बढ़ा दी जाए। सिंघवी की दलील पर जस्टिस महेश्वरी ने कहा कि कोर्ट तो अरविंद केजरीवाल की याचिका पर सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रख चुका है। कोर्ट का संकेत केजरीवाल की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका की ओर था जिस पर 17 मई को बहस पूरी हो गई थी और फैसला सुरक्षित रख लिया गया था। सिंघवी ने कहा कि वह अंतरिम जमानत बढ़ाने के बारे में दाखिल अर्जी का उल्लेख कर रहे हैं। इस मामले में तत्काल सुनवाई की जरूरत है क्योंकि कोर्ट के आदेश के मुताबिक उन्हें 2 जून को समर्पण करना है, लेकिन डाक्टर की सलाह के मुताबिक उन्हें समर्पण से पहले कुछ चिकित्सीय जांचें करानी हैं।

यह शुचिता का मामला है

 

पीठ ने सिंघवी से सवाल किया कि पिछले सप्ताह जब जस्टिस दीपांकर दत्ता अवकाशकालीन पीठ में बैठे थे, तब उनके समक्ष इस अर्जी का उल्लेख क्यों नहीं किया। सिंघवी ने कहा कि डाक्टरों ने चिकित्सीय जांच की सलाह 25 मई को दी है। मालूम हो कि जस्टिस दीपांकर दत्ता उस पीठ में शामिल थे जिसने केजरीवाल को 10 मई को अंतरिम जमानत दी थी। जस्टिस महेश्वरी और जस्टिस विश्वनाथन की पीठ ने अर्जी को सुनवाई पर लगाने का कोई आदेश नहीं दिया और कहा कि यह अर्जी सीजेआइ को भेजी जा रही है। यह शुचिता का मामला है और अर्जी को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने पर सीजेआइ ही निर्णय लेंगे।

अरविंद केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर अंतरिम जमानत एक सप्ताह बढ़ाने का अनुरोध करते हुए कहा था कि हिरासत के दौरान उनका छह-सात किलो वजन कम हुआ है और अचानक घटे वजन व सेहत संबंधी अन्य दिक्कतों को देखते हुए डाक्टरों ने उन्हें पीइटी-सीटी स्कैन सहित कई चिकित्सीय जांचे कराने की सलाह दी है जिसमें पांच-सात दिन का समय लगेगा।

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