कैथल में रिश्वतखोरी के मामले में एएसआई को चार साल की कैद, एसआई बरी, 30 हजार का लगाया जुर्माना

नरेन्‍द्र सहारण, कैथल: Kaithal News: अतिरिक्त सेशन जज नंदिता कौशिक की अदालत ने एक महत्वपूर्ण मामला सुनाते हुए पुलिस के एएसआई सुखबीर सिंह को रिश्वत मांगने के आरोप में चार साल की कैद और 30,000 रुपये का जुर्माना लगाया है। इस मामले में एक अन्य पुलिस अधिकारी, एसआई धर्मपाल को साक्ष्यों के अभाव में बरी कर दिया गया है। यह फैसला भ्रष्टाचार के खिलाफ उठाए गए कड़े कदमों का एक और उदाहरण है, जो न्यायालयों में सक्रियता और भ्रष्टाचार के मामलों की गंभीरता को दर्शाता है।

रिश्वत मांगने का मामला

 

मामले की शुरुआत तब हुई जब शमशेर सिंह, जो चीका क्षेत्र का निवासी है, ने एंटी करप्शन ब्यूरो अंबाला में 4 अक्टूबर 2022 को भ्रष्टाचार विरोधी अधिनियम की धारा 7 के तहत एक शिकायत दर्ज करवाई। शमशेर ने पुलिस पर आरोप लगाया कि रिश्वत मांगने का यह मामला उसके संबंध में दर्ज एक एनडीपीएस मामले से जुड़ा हुआ है।

इस विशेष मामले में चीका पुलिस ने 2 अक्टूबर 2022 को सिंगारा सिंह नामक व्यक्ति के खिलाफ एनडीपीएस की धारा 15-बी के तहत मुकदमा दर्ज किया था। पुलिस ने सिंगारा सिंह को गिरफ्तार कर लिया, जिसके अगले दिन उसके पुत्र शमशेर सिंह ने पुलिस अधिकारियों से सम्पर्क किया। पुलिस के एसआई धर्मपाल और एएसआई सुखबीर सिंह ने उसे धमकाते हुए कहा कि उसकी भी नामांकन की प्रक्रिया में वो शामिल हैं और यदि वह इस मामले से बचना चाहता है तो उसे उन्हें 60,000 रुपये की रिश्वत देनी पड़ेगी।

पिता की गिरफ्तारी के कारण चिंतित

 

शमशेर जो अपने पिता की गिरफ्तारी के कारण चिंतित था पहले 45,000 रुपये देने के लिए तैयार हो गया। इसके बाद दोनों पुलिसकर्मियों ने फिर से उससे 10,000 रुपये की मांग की। शमशेर ने जब कहा कि वह उनकी मांग को पूरा नहीं कर सकता तो पुलिसकर्मियों ने समझौता किया और उनसे 8,000 रुपये स्वीकार करने पर रजामंदी जताई। शमशेर ने इन सब घटनाओं की शिकायत स्टेट विजिलेंस ब्यूरो कुरुक्षेत्र को की।

विजिलेंस ब्यूरो की योजना

 

विशेषज्ञों ने कहा कि यह शिकायत मिलने के बाद विजिलेंस ब्यूरो ने एक योजना बनाई। उन्होंने शमशेर को 8,000 रुपये देकर उन पुलिस अधिकारियों के पास भेजा ताकि उन्हें रंगे हाथों पकड़ा जा सके और यह साबित किया जा सके कि पुलिसकर्मी भ्रष्टाचार में लिप्त थे। यह कार्रवाई सफल साबित हुई और दोनों पुलिसकर्मियों को गिरफ्तार कर लिया गया।

दोनों पक्षों की दलीलें सुनीं

 

विजिलेंस ब्यूरो की इस कार्रवाई के बाद एंटी करप्शन ब्यूरो ने मामला आगे बढ़ाते हुए अदालती प्रक्रिया शुरू की। इस मामले की सुनवाई के दौरान,अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनीं। एसीबी ने अपने सबूत प्रस्तुत किए, जिनमें दोहरा टेप और इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड शामिल थे, जो आरोपी पुलिसकर्मियों के विरुद्ध थे। अदालत ने यह देखा कि एएसआई सुखबीर ने रिश्वत की मांग की थी और उसे इस कार्य के लिए दोषी पाया।

सुखबीर को चार साल की कैद

 

अदालत ने निर्णय सुनाते हुए सुखबीर को चार साल की कैद और 30,000 रुपये का जुर्माना लगाया, जबकि धर्मपाल को सबूतों की कमी के कारण बरी कर दिया गया। इस निर्णय ने यह साबित किया कि अदालतें भ्रष्टाचार के मामलों में गंभीरता से निर्णय लेती हैं और सख्त सजा देकर एक संदेश देती हैं कि ऐसे अपराधों को सहन नहीं किया जाएगा।

इस मामले ने भ्रष्टाचार के खिलाफ सामाजिक जागरूकता को बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई है। शहर के लोगों ने इस निर्णय का स्वागत किया है और इसे पुलिस बल के भीतर पारदर्शिता और ईमानदारी की दिशा में एक सकारात्मक कदम माना है। स्थानीय निवासियों का मानना है कि पुलिस के भीतर इस तरह के मामलों में सख्त कार्रवाई से थानों में कामकाज की गुणवत्ता सुधरेगी और आम आदमी का पुलिस पर विश्वास बढ़ेगा।

इस मामले ने एंटी करप्शन ब्यूरो और विजिलेंस ब्यूरो की कार्रवाई की प्रभाविता को भी उजागर किया है। इस मामले में उनका समर्पण और उनकी योजनाबद्ध रणनीति ने दिखाया कि यदि आम लोग अपनी आवाज उठाएं, तो भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कदम उठाए जा सकते हैं।

भविष्य में ऐसे मामलों को रोकने के लिए आवश्यक है कि पुलिस विभाग के भीतर सतर्कता बढ़ाई जाए और प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त निपटारा किया जाए। यह सुनिश्चित करने के लिए कि ऐसे भ्रष्ट कर्मियों की पहचान की जाए और उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए, विभिन्न स्तरों पर जागरूकता बढ़ाना अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस घटना ने निश्चित रूप से यह संदेश दिया है कि भ्रष्टाचार का कोई स्थान नहीं होना चाहिए, और कानून सभी के लिए एक समान है।

 

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