अयोध्या में राम मंदिर के लिए बंगाल के दो मुस्लिम मूर्तिकारों ने तैयार कीं मूर्तियां, ट्रस्ट ने कही यह बात
कोलकाता, बीएनएम न्यूज। Ayodhya Ram Mandir : अयोध्या में नवनिर्मित राम मंदिर के लिए बंगाल के दो मुस्लिम मूर्तिकारों ने मूर्तियां तैयार की हैं। भगवान राम की ये दो मूर्तियां फाइबर की बनी हैं। मूर्तिकारों के नाम मोहम्मद जमालुद्दीन और बिट्टू हैं। दोनों पिता-पुत्र हैं और बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले के बारासात के दीघा मोड़ इलाके के रहने वाले हैं।
मूर्तियां 17 फुट ऊंची हैं, जिन्हें मंदिर परिसर में स्थापित किया जाएगा
एक मूर्ति के लिए उन्हें 2.80 लाख और दूसरी के लिए ढाई लाख रुपये मिले हैं। मूर्तियां लगभग 17 फुट ऊंची हैं, जिन्हें मंदिर परिसर में स्थापित किया जाएगा। जमालुद्दीन ने कहा कि आनलाइन हमारा काम देखकर हमसे मूर्तियों के निर्माण के लिए संपर्क किया गया था। धर्म निजी विषय है। मेरा मानना है कि देशहित और विकास के लिए हम सभी को साथ मिलकर काम करना चाहिए। भगवान राम की मूर्तियां तैयार कर मुझे काफी खुशी हो रही है। मैंने अपनी कलाकारी के जरिए भाईचारे की संस्कृति पेश की है। उन्होंने कहा कि केवल राम की ही नहीं, बल्कि मैंने मां दुर्गा और जगधात्री की भी विशाल मूर्तियां बनाई हैं, जिन्हें काफी लोकप्रियता भी मिली है। उन्होंने गर्व से कहा कि वह वर्षों से विभिन्न हिंदू देवताओं की फाइबर मूर्तियां बना रहे हैं और वे जिस सांस्कृतिक सद्भाव का प्रतिनिधित्व करते हैं, उसे संजोते हैं।
एक से डेढ़ महीने का समय लग जाता है मूर्ति बनाने में
उनके नाम पर कार्यशाला चलाने वाले बिट्टू ने बताया कि एक आदमकद प्रतिमा बनाने में 30 से 35 लोगों की टीम और लगभग एक से डेढ़ महीने का समय लगता है। युवा मूर्तिकार ने कहा कि इन मूर्तियों को उत्तर प्रदेश ले जाने में 45 दिन तक का समय लग सकता है। उनके बेटे बिट्टू ने कहा कि इस तरह की मूर्ति तैयार करने में एक से डेढ़ महीने का समय लग जाता है। मिट्टी की तुलना में फाइबर की मूर्ति तैयार करने में लागत अधिक आती है लेकिन इनका स्थायित्व अधिक है। इनपर मौसम का असर भी काफी कम पड़ता है।’
काम वही करता है जो उसका जानकार होता है
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के ट्रस्ट के महासचिव ने कहा कि रामलला की प्रतिमा तीन लोग बना रहे हैं। ये जो भी बना रहे हैं उनके बारे में सभी को जानकारी दी जाएगी। उन्होंने कहा कि रामलला की नई प्रतिमा अयोध्या में बन रही है, इतना पर्याप्त है। मूर्ति वहीं बनाएगा जो उसका जानकार होगा, जिसने 100-50 मूर्तियां पहले बनाई होंगी। तकनीकी काम वही करता है जो उसका जानकार होता है। तकनीक को मनुष्य-मनुष्य का भेद करके नहीं देखा जाता है। ‘
किस पद्धति से होगी रामलला की पूजा
राम मंदिर में विद्वानों के चयन और पूजा पद्धति को लेकर भी चंपत राय ने जानकारी दी। उन्होंने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर के लिए विद्वानों का चयन किस प्रक्रिया के तहत किया जा रहा है ये बताया नहीं जा सकता है। जो लोग इस तरह के सवाल पूछ रहे हैं वो इन विद्वानों को जानते भी नहीं होंगे और जब विद्वान आएँगे तो उनके नाम भी प्रकाशित किए जाएंगे। मंदिर में आज भी विद्वान लोग ही पूजा अर्चना कर रहे हैं, वैसे ही आगे भी रामलला की पूजा होगी। आज भी लोग मंदिर में पूजा कर रहे हैं, आगे भी ऐसे ही करेंगे।