Bhiwani Mahendragarh Lok Sabha seat : जानें भाजपा प्रत्याशी धर्मबीर चौधरी और कांग्रेस प्रत्याशी राव दान सिंह का रहेगा किन प्रमुख मुद्दों और बातों पर जोर
नरेन्द्र सहारण, नारनौल: Bhiwani Mahendragarh Lok Sabha seat : इनेलो को छोड़कर शेष सभी पार्टियों ने टिकटों की घोषणा कर दी है। इस घोषणा के साथ ही पार्टियों में टिकट कटने पर अंसतोष नजर आ रहा है, वहीं चुनावी माहौल भी गर्माने लगा है। चुनावी चौपालें सजने लगी हैं। हर रोज सार्वजनिक स्थानों पर चुनावी चर्चाएं जोर पकड़ गई हैं। हालात बदल रहे हैं, वैसे ही माहौल भी गर्म हो रहा है। वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में कुछ बातें स्पष्ट होती नजर आ रही हैं। माहौल जातीय ध्रुवीकरण की ओर भी बढ़ता नजर आ रहा है। महेंद्रगढ़ जिले के प्रत्याशियों का मुकाबला भिवानी जिले के प्रत्याशियों से है। इस कारण प्रत्याशियों पर इस बात का दबाव है कि वे अपने घरेलू जिले में बढ़त बनाएं और दूसरे जिलों से अधिक से अधिक वोट लें। दूसरे शब्दों में यह भी कहा जा सकता है कि भाजपा प्रत्याशी को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की लहर पर भरोसा तो है ही, इसके बावजूद वह अपने घरेलू जिले भिवानी के गढ़ को बचाने का चैलेंज भी उनके सामने हैं। 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी धर्मवीर चौधरी को महेंद्रगढ़ जिले से बंपर वोट मिले थे। इस बार इस जिले से दो-दो यादव प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतरने से हालात कुछ बदलते नजर आ रहे हैं। जाहिर है कि इन परिस्थितियों में महेंद्रगढ़ जिले की चारों विधानसभा क्षेत्रों से मिलने वाले वोट भाजपा प्रत्याशी का भविष्य तय करेंगे। कमोबेश ऐसी ही परिस्थिति कांग्रेस प्रत्याशी राव दान सिंह की है।
एसआरके गुट की नाराजगी भी कांग्रेस प्रत्याशी के लिए बड़ा चैलेंज
उनके लिए चुनौती कम नहीं है, बल्कि उनको अपने महेंद्रगढ़ जिले के किले को बचाने का दबाव है, वहीं भिवानी जिले पर उनको ज्यादा फोकस करना होगा। पूर्व मुख्यमंत्री चौ. भूपेंद्र सिंह हुड्डा का उनको आशीर्वाद मिल रहा है तो एसआरके गुट बेशक खुलकर विरोध नहीं कर रहा है पर इस गुट को मनाना भी राव दान सिंह के लिए बड़ी चुनौती रहेगा। यादव के साथ जाटों को अपने पाले में लाना कोई आसान नहीं होगा। यह अलग बात है कि हरियाण की राजनीति में जाट वोटर कांग्रेस के पक्ष में ज्यादा प्रचार कर रहा है। लेकिन बात जब जाट प्रत्याशी धर्मबीर सिंह और यादव प्रत्याशी राव दान सिंह की होगी तो जाट मतदाता अपनी जाति के पक्ष में खड़ा हो सकता है। यदि ऐसा हुआ तो राव दान सिंह के लिए चुनौती और कठिन हो जाएगी। राव दान सिंह की चुनौती को जजपा प्रत्याशी राव बहादुर सिंह और कठिन कर सकते हैं। क्योंकि वे भी यादव और जाट दोनों ही मतदाताओं में घुसपैठ कर रहे हैं। ऐसे में जातीय ध्रुवीकरण हुआ तो चुनौती और अधिक बढ़ेगी।
सोमवार को किरण और श्रुति करेंगी समर्थकों के साथ बैठक
श्रुति चौधरी की टिकट कटने के बाद पहली बार सोमवार को पूर्व मंत्री किरण चौधरी और श्रुति चौधरी नारनौल में आ रही हैं। इस दौरान दोनों अपने समर्थकों के साथ बैठक आयोजित करेंगी और उनके साथ रायसुमारी भी करेंगी। यह अलग बात है कि किरण चौधरी ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि पार्टी का फैसला सिर माथे पर है। इसके साथ ही उन्होंने राव दान सिंह की उनके द्वारा 2014 और 2019 के चुनाव में की गई मदद को सवाया करने का तंज भी इन दिनों चर्चा में है। क्योंकि राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि राव दान सिंह ने श्रुति चौधरी मदद नहीं की थी तो अब श्रुति और उनकी मां किरण चौधरी को वह बदला लेने का समय आ गया है।
राव दान सिंह करेंगे सोमवार को भिवानी से चुनावी प्रचार की शुरुआत
उधर, कांग्रेस प्रत्याशी सोमवार को चुनाव प्रचार की शुरूआत भिवानी से करने जा रहे हैं । पूर्व मुख्यमंत्री चौ. बंसीलाल के गांव गोलागढ़ से चुनाव प्रचार की शुरूआत करने जा रहे हैं। जाहिर है कि वह भी समझ चुके हैं कि उनको भिवानी जिले में ही सेंध लगानी होगी, तभी हालात पक्ष के बन सकेंगे। उनके पक्ष की बात यह है कि वह भिवानी जिले के रहने वाले हैं और महेंद्रगढ़ में रहते हैं । इस वजह से उन पर बाहरी होने के आरोप दोनों ही जिलों में नहीं लगेंगे।
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