Janki Devi Memorial College: ‘खोज’ ने छात्राओं और शिक्षकों के शोध कार्य में नवाचार को दी नई उड़ान

नई दिल्ली, बीएनएम न्यूज। Janki Devi Memorial College: दिल्ली विश्वविद्यालय के जानकी देवी मेमोरियल कॉलेज की छात्र शोध इकाई ‘खोज’ ने पिछले कुछ वर्षों में शिक्षकों और छात्राओं के शोध कार्यों में एक नई ऊर्जा और दिशा का संचार किया है। इस इकाई के गठन के बाद से शोध में गति, नवाचार और विस्तृत आयामों का ऐसा विकास हुआ है, जो निस्संदेह हर एक छात्र और शिक्षक के लिए प्रेरणादायक है। यह कहना है कॉलेज की प्राचार्या प्रो. स्वाति पाल का।
कार्यक्रम का परिचय
हाल ही में, इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में ‘खोज’ की पहल के तहत एक महत्वपूर्ण पुस्तक चर्चा और ‘रीडिस्कवरिंग सीरीज तथा रीइमेजिनिंग फेयरी टेल्स’ के नए विमोचन का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में छात्रों, अभिभावकों, शिक्षकों और विद्वानों की भागीदारी ने इसे और भी विशेष बना दिया। कार्यक्रम का प्रारंभ चाय और कॉफी पर एक अनौपचारिक मिलन-बैठक के साथ हुआ, जिसमें प्रतिभागियों को एक-दूसरे से बातचीत का अवसर मिला।
‘खोज’ के महत्व और प्रभाव पर प्रकाश डाला
इस कार्यक्रम की औपचारिक शुरूआत डॉ. उषा मुंशी जो इंडिया इंटरनेशनल सेंटर की मुख्य लाइब्रेरियन हैं के स्वागत भाषण से हुई। उन्होंने कार्यक्रम की रूपरेखा को स्पष्ट करते हुए उपस्थित सभी का ध्यान खींचा। इसके बाद, प्रो. स्वाति पाल ने अपने संक्षिप्त संबोधन में ‘खोज’ के महत्व और इसके प्रभाव पर प्रकाश डाला।
शोध में छात्राओं की बढ़ती भागीदारी
प्रो. पाल ने बताया कि ‘खोज’ की स्थापना ने छात्राओं और शिक्षकों के शोध कार्यों में एक नया आयाम जोड़ा है। उन्होंने कहा, “इस पहल के कारण शोध कार्यों में तेजी और नवाचार देखने को मिला है।” शोध में छात्राओं की भागीदारी में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है, जो न केवल उनके विकास को प्रोत्साहित करती है, बल्कि राष्ट्रीय और वैश्विक मंच पर नेतृत्व अवसर भी प्रदान करती है।
डॉ. जितेंदर गिल ने इसके बाद ‘खोज’ छात्र शोध विंग की स्थापना और नए विमोचित पुस्तकों के प्रकाशन में परिणत शोध परियोजनाओं पर चर्चा की। अंततः, दोनों अतिथियों ने पुस्तक का औपचारिक लोकार्पण किया।
सोहेल हाशमी का प्रेरणादायक भाषण
लोकार्पण के बाद सोहेल हाशमी ने मंच संभाला। उनके आकर्षक भाषण का फोकस देश और दिल्ली को आकार देने में अप्रवासियों के योगदान पर था। उन्होंने भारतीय स्मारकों की स्थापत्य विशेषताओं की उत्पत्ति के विषय में भी बात की, जिससे उपस्थित लोगों में गहरी रुचि जागृत हुई। उनके भाषण को सुनकर मुख्य रूप से छात्रों ने न केवल उत्साहित होकर प्रश्न पूछे, बल्कि उनकी जानकारी से लाभ भी उठाया।
रीडिस्कवरिंग सीरीज के छात्र शोधकर्ताओं का योगदान
इसके बाद ‘रीडिस्कवरिंग सीरीज’ के छात्र शोधकर्ताओं के वीडियो प्रस्तुत किए गए। ये प्रस्तुतियां न केवल विषय के प्रति छात्रों की समझ को दर्शाती हैं बल्कि उनके रचनात्मक दृष्टिकोण को भी उजागर करती हैं। ये वीडियो उपस्थित लोगों के बीच चर्चा का विषय बने और उन्हें प्रशंसा का पात्र बना दिया।
एलेक्जेंडर फिलिप्स का ज्ञानवर्धक भाषण
कार्यक्रम में आगे बढ़ते हुए एलेक्जेंडर फिलिप्स ने दर्शकों को अपने ज्ञानवर्धक भाषण से मंत्रमुग्ध कर दिया। उन्होंने परीकथाओं और रोमांटिक साहित्य के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए दर्शकों को एक भावनात्मक और ज्ञानवर्धक अनुभव दिया। “वन्स अपॉन ए टाइम: रीइमेजिनिंग फेयरी टेल्स” के शोधकर्ताओं और लेखकों ने एक वीडियो के माध्यम से अपनी पुस्तक का अवलोकन प्रस्तुत किया, जिससे दर्शकों में और भी उत्साह बढ़ गया।
छात्रों का अनुभव साझा करना
कार्यक्रम के अंत में कुछ छात्र शोधकर्ता जिन्होंने पुस्तकों में योगदान दिया था, अपने विचार साझा करने के लिए मंच पर आए। उन्होंने शोध और लेखन के अपने अनुभवों पर बात की, जिन चीजों ने उन्हें लेखन के लिए प्रेरित किया और जिन पर उन्होंने अपने अध्ययन के दौरान विभिन्न पहलुओं पर काम किया। उनका यह अनुभव सुनने के लिए उपस्थित लोगों ने बड़ी रुचि दिखाई।
कार्यक्रम का समापन
अंततः कार्यक्रम का समापन डॉ. जितेंदर गिल के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। उन्होंने सभी लोगों को इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम में सक्रिय भागीदारी और समर्थन के लिए आभारी किया।
जागरूकता और नवाचार का सूत्रधार
इस कार्यक्रम ने ‘खोज’ की सफलता को एक नई परिभाषा दी है। छात्र और शिक्षक अब अपने शोध कार्यों में न केवल नई ऊंचाईयों को छू रहे हैं, बल्कि वे अपने विचारों को साझा करने और दूसरों को प्रेरित करने के लिए भी संजीदा हो रहे हैं। ऐसे में ‘खोज’ निस्संदेह एक ऐसी पहल है, जिसने अकादमिक संसार में एक नई हवा का संचार किया है। इसकी गतिविधियों और प्रयासों से न केवल दिल्ली विश्वविद्यालय बल्कि सम्पूर्ण शिक्षा प्रणाली को लाभ मिलने की संभावना है।
‘खोज’ के माध्यम से छात्र और शिक्षक मिलकर एक नई दिशाओं का लक्ष्य निर्धारित कर रहे हैं और इस यात्रा में शामिल हो रहे हैं, जो उनके ब्रह्मांड को नई रोशनी में आभायुक्त कर रही है। यह एक ऐसा मंजर है, जो आने वाले समय में शिक्षा और शोध के क्षेत्र में एक नई जागरूकता और नवाचार का सूत्रधार बनेगा।
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