लखनऊ पहुंचा जीडीए और आवास विकास के इलाके में अवैध निर्माण का मामला

(लखनऊ विधानसभा में मामला उठाया जा चुका है।)

नई दिल्ली, BNM News: दिल्ली-एनसीआर में नौकरीपेशा हर किसी का एक ही सपना होता है कि वो यहां पर अपना एक छोटा सा आशियाना बना सके। जिस हिसाब से उसकी नौकरी होती है, उसी बजट में वो यहां पर एक घर खरीदने की इच्छा रखता है। ऐसे ही आम लोगों के सपनों को पूरा करने का काम यहां के बिल्डर कर रहे हैं। कुछ बिल्डर तो पूरे नियम कानून का पालन करते हुए काम करते हैं मगर कुछ इन्हीं नियम कानूनों की धज्जियां उड़ाते हुए काम कर रहे हैं। चाहे दिल्ली की बात करें या फिर गाजियाबाद, नोएडा, नोएडा एक्सटेंशन, ग्रेटर नोएडा या अन्य किसी इलाके की। सभी जगहों पर बिल्डर इसी तरह से आम आदमी को ठगने का काम कर रहे हैं।

आलम ये है कि यहां हो रहे अवैध निर्माणों की शिकायतें लखनऊ विधानसभा तक पहुंच चुकी है। एक विधायक ने सत्र के दौरान इस मुद्दे को उठाया था तो सख्त कार्रवाई होने की बातें सामने आई थीं मगर फिर सब ठंडे बस्ते में चला गया। अब फिर से नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। इन दिनों गाजियाबाद इलाके में अवैध निर्माण की सबसे अधिक शिकायतें सामने आ रही हैं।
यहां के वसुंधरा इलाके का विकास आवास विकास परिषद की ओर से किया गया है। वसुंधरा सेक्टर-1 से लेकर 19 तक में बसा हुआ है। कई सेक्टरों में परिषद ने अपने फ्लैट बनाकर बेचे हैं तो कुछ में प्लाट आवंटित किए हैं। ग्रुप हाउसिंग के भी कई प्लाट यहां बिल्डरों को दिए गए हैं। कुछ मिक्स लैंड यूज का भी इलाका है।

यदि अवैध निर्माण और मानकों के विपरीत किए जा रहे निर्माण की बात करें तो सबसे अधिक शिकायत वसुंधरा के इलाके से ही है। इसके बाद दूसरे नंबर पर जीडीए(गाजियाबाद विकास प्राधिकरण) का नंबर आता है। हालांकि परिषद का इलाका छोटा है और जीडीए का इलाका बड़ा है। यदि इलाके के हिसाब से देखें तो जीडीए के क्षेत्र में अवैध निर्माण कर रहे बिल्डरों ने सभी को पीछे छोड़ दिया है।

सबसे पहले बात करते हैं आवास विकास परिषद के अंतर्गत आने वाले वसुंधरा इलाके की। यहां परिषद की ओर से स्टिल्ट प्लस तीन मंजिल का नक्शा स्वीकृत किया जाता है मगर बिल्डरों ने यहां इसका पूरी तरह से खुल्लमखुला उल्लंघन किया है। स्टिल्ट के साथ चार मंजिल तक निर्माण करते हैं और स्टिल्ट(भूतल) पर दुकानें बनाकर उसे भी बेच देते हैं। नियमत: स्टिल्ट को चार मंजिल तक बनाई गई बिल्डिंग में रहने वालों को पार्किंग के लिए छोड़ दिया जाना चाहिए मगर यहां वो नहीं किया जाता है। और तो और बिल्डर चौथी पूरी तरह से अवैध फ्लोर को यह कहकर बेचते हैं कि ये नक्शे में नहीं है मगर उन्होंने बनाया है और वो उस पर लोन भी करा देते हैं। वसुंधरा के प्लाट एरिया में आपको ऐसी सैकड़ों बिल्डिंग दिख ही जाएगी।

कुछ ग्रुप हाउसिंग वाले बिल्डरों ने भी यहां परिषद से फ्लैट कम स्वीकृत कराए और बना उससे दुगुने दिए हैं। बिना कंपलीशन लिए ही खरीदारों को पजेशन भी दे दिया है। पार्किंग के हिस्से में दुकानें बनाई और उसे भी बेच दिया। जब पार्किंग की समस्या होने लगी और लोग परिषद में शिकायत करने पहुंचे तो इसका खुलासा हुआ। अब मामला परिषद और अन्य महकमों के बीच झूल रहा है। कुछ लोग रेरा में भी शिकायत कर चुके हैं मगर निपटारा नहीं हुआ है। सेक्टर-13 की मर्लिन सोसायटी को विकसित करने वाले बिल्डर ने ऐसा ही किया है। यहां 100 से अधिक फ्लैट अवैध बना दिए गए हैं, साथ ही स्टिल्ट में दुकानें बनाकर उसे भी बेच दिया गया है। बिल्डर ने अभी तक कंपलीशन नहीं लिया है और फ्लैट की रजिस्ट्री करके बेच रहा है।

अब यदि बात करें तो गाजियाबाद विकास प्राधिकरण के इलाके की तो यहां भी अवैध निर्माण की भरमार है। यहां के इंदिरापुरम, वैशाली, राजेंद्र नगर, शालीमार गार्डन, शालीमार गार्डन एक्सटेंशन, श्याम पार्क मेन, श्याम पार्क, तुलसी निकेतन, कोयल एंक्लेव, भौपुरा, जीटी रोड पर अवैध निर्माण की भरमार है। इसके अलावा पुराने गाजियाबाद में भी बड़े पैमाने पर जीडीए के अधिकारियों की मिलीभगत से निर्माण हो रहा है।

यदि अकेले इंदिरापुरम की ही बात करें तो यहां के शक्ति खंड, नीति खंड, ज्ञान खंड, अभय खंड और न्याय खंड में अवैध निर्माण की सबसे अधिक शिकायतें प्राधिकरण के पास पहुंचती हैं। यहां जीडीए की ओर से सिंगल प्लाट आवंटित किए गए थे, अब इन्हीं सिंगल यूनिट के प्लाटों पर बिल्डर मल्टीपल यूनिटें बनाकर उसे बेच रहे हैं और मोटा मुनाफा कमा रहे हैं।
कुछ बिल्डर तो रिहायशी प्लाट पर पूरी तरह से व्यवसायिक गतिविधि के हिसाब से निर्माण कर उसे बेच दे रहे हैं। ऐसे में यहां खरीदारी करने वाले लोग बाद में पुलिस और प्राधिकरण के चक्कर लगाते रह जाते हैं। ऐसे निर्माण एक दो नहीं बल्कि दर्जनों की संख्या में है। ये भी कहा जाता है कि ऐसे निर्माण या तो लखनऊ से आई सिफारिश पर हो पाते हैं या फिर जीडीए के अधिकारियों को हर तरह से खुश करने के बाद ही। मगर निर्माण रूकता नहीं है।

जीडीए के इन इलाकों में हो रहा अवैध निर्माण-

नीति खंड-1, प्लाट नंबर-5, 12, 331 (बेसमेंट के साथ पांच मंजिल, 100 फीसद कवरेज के साथ ), 854 ( बेसमेंट के साथ 12 दुकानें चैनल लगाए गए हैं),  1076, 1075 (बेसमेंट के साथ पांच मंजिल तक निर्माण, पूरी तरह व्यवसायिक बिल्डिंग ) 916 (व्यवसायिक के हिसाब से निर्माण पूरा), 917 (व्यवसायिक के हिसाब से निर्माण जारी) , 854 (बेसमेंट के साथ स्टिल्ट में चैनल लगाए गए, पूरी तरह से व्यवसायिक) (ये सभी रिहायशी प्लाट है मगर यहां दुकानें बना दी गई हैं या बन रही हैं। )

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नीति खंड-2, प्लाट नंबर- 4, 5, 7, 13, 477(बेसमेंट के साथ 12 दुकानें बनाई गई), 478 (बेसमेंट के साथ 12 दुकानें बनाई गई), ऐसी जानकारी है कि 478 पर तो सुप्रीम कोर्ट के एक एडवोकेट ने अपना बोर्ड लगाकर अवैध निर्माण करवाया है।

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नीति खंड-3- 569, 570(दोनों भूखंडों पर व्यवसायिक के हिसाब से निर्माण कर दिया गया है, काम चालू हो चुका है), 341(इन पर व्यवसायिक के हिसाब से निर्माण किया जा रहा है। )

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शक्ति खंड-2, प्लाट नंबर-1, 66, 102, 189। प्लाट नंबर-1 पर एक एक ला फर्म के नाम पर अवैध निर्माण कर लिया गया है। यहां व्यवसायिक के हिसाब से काम किया जा रहा है।

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शक्ति खंड-3, प्लाट नंबर-336(बेसमेंट और चार मंजिल का निर्माण), 339 (बेसमेंट के साथ चैनल लगा दिया गया है, किराए का बोर्ड भी लगा दिया गया है),

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शक्ति खंड-4, प्लाट नंबर-26 (चैनल लगा दिया गया है फिनिशिंग का काम जारी है),  582 (बेसमेंट के साथ 100 फीसद कवरेज करते हुए अवैध निर्माण जारी है), 620 (स्टिल्ट पर 4 चैनल लगा दिए गए हैं)

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ज्ञान खंड-1, प्लाट नंबर-63, 330, 333,  311(स्टिल्ट में आफिस बनाया जा रहा है। हर फ्लोर पर चार फ्लैट बनाए गए हैं।), 141(स्टिल्ट में चैनल लगा दिए गए हैं, स्वीकृत नक्शे के विपरीत यूनिटें बनाई गई हैं)


जीडीए के इन फ्लैटों में हो रहा अवैध निर्माण

– शक्ति खंड-1, 426, नीति खंड-3-366, 393-94, 451(चौथी मंजिल अवैध), 351 पर काम जारी, 255 निर्माणाधीन, 286 पर अवैध रूप से छज्जा बढ़ाने का काम किया जा रहा है।


 

आवास विकास परिषद के इलाके में हो रहा अवैध निर्माण

– वसुंधरा सेक्टर-1 के भूखंड संख्या-पीएच-2, पीएच-5, 14, 22, 26, 326, 484, 504, 515, 775, 778, 890, 916 व 975,
– सेक्टर-2 के 2बी-669, 2ए-66, 2बी-904, सेक्टर-3 के 168, 465, 800, 909, 941, 1053, 1313, 1363, 1392, 1434

– सेक्टर-5 के 575, 1208, 1402, 1501, 1509, 1552, 195,

– सेक्टर-9 के 815,

– सेक्टर-10 के 10ए 27, 195, 144, 142, 10बी 142, 10सी-7,

– सेक्टर-11 के 117, 175

– सेक्टर-12 के 24, 355, 417, 465, 689, 707

(नोट- जीडीए और आवास विकास परिषद के इलाके में इन सभी भूखंडों पर प्राधिकरण से स्वीकृत नक्शे के विपरीत निर्माण किया गया है। इनमें से कुछ निर्माणों की कंपाउडिंग भी नहीं की जा सकती है। )

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