सीडीएस जनरल अनिल चौहान का बड़ा खुलासा: ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में शुरुआती झटकों के बाद भारत का पाकिस्तान पर करारा पलटवार

सीडीएस जनरल अनिल चौहान।

सिंगापुर/नई दिल्ली: भारत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने शनिवार को एक महत्वपूर्ण और व्यापक खुलासा करते हुए बताया कि पाकिस्तान के साथ हालिया सैन्य संघर्ष के दौरान प्रारंभिक चरण में भारतीय वायुसेना को कुछ विमानों का नुकसान अवश्य हुआ था, लेकिन इसके तुरंत बाद भारत ने अपनी युद्ध रणनीति में आमूलचूल परिवर्तन करते हुए पाकिस्तानी क्षेत्र में अत्यंत गहराई तक जाकर विनाशकारी और सटीक हमले किए। इन हमलों की भयावहता और सटीकता ने पाकिस्तान को इस कदर पस्त कर दिया कि वह संघर्ष विराम की गुहार लगाने के लिए मजबूर हो गया। जनरल चौहान ने यह भी स्पष्ट किया कि पाकिस्तान द्वारा भारत के छह लड़ाकू विमानों को मार गिराने का दावा पूरी तरह से मनगढ़ंत और झूठा है।  हालांकि उन्होंने सुरक्षा कारणों से भारत को हुए वास्तविक नुकसान का विशिष्ट विवरण देने से इनकार कर दिया।

यह अहम जानकारी जनरल चौहान ने ब्लूमबर्ग टीवी को दिए एक विशेष साक्षात्कार में दी, जब वे सिंगापुर में प्रतिष्ठित शांगरी-ला डायलॉग में भाग ले रहे थे। इस अंतरराष्ट्रीय मंच का उपयोग करते हुए सीडीएस ने न केवल भारत की सैन्य क्षमताओं का प्रदर्शन किया बल्कि पाकिस्तान के दुष्प्रचार का भी प्रभावी ढंग से खंडन किया।

प्रारंभिक नुकसान, रणनीतिक मंथन और प्रतिशोधात्मक प्रहार

सीडीएस जनरल चौहान से जब सैन्य टकराव के दौरान भारत को हुए लड़ाकू विमानों के नुकसान के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने इसे स्वीकार करते हुए कहा, “हां, हमें शुरुआती दौर में लगभग सात तारीख को कुछ नुकसान हुआ। यहां संख्या महत्वपूर्ण नहीं है। महत्वपूर्ण बात यह है कि ये नुकसान क्यों हुए और उसके बाद हमने क्या किया।” उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि विमान का गिरना उतनी बड़ी बात नहीं है, जितनी यह कि वे क्यों गिरे। इस बयान से स्पष्ट था कि भारतीय सैन्य नेतृत्व ने किसी भी नुकसान को हल्के में नहीं लिया, बल्कि उसकी गहन समीक्षा की।

जनरल चौहान ने आगे बताया, “अच्छी बात यह है कि हम अपनी रणनीतिक कमी को तुरंत समझ पाए, उनमें तेजी से सुधार किया और दो दिन बाद ही एक नई, परिष्कृत रणनीति के साथ जवाबी कार्रवाई की। हमने अपने लड़ाकू विमानों को फिर से लंबी दूरी पर स्थित लक्ष्यों को निशाना बनाने के लिए उड़ाया।” यह भारतीय सशस्त्र बलों की त्वरित अनुकूलन क्षमता और त्रुटियों से सीखकर तत्काल सुधार करने की बेहतरीन क्षमता को दर्शाता है।

“ऑपरेशन सिंदूर” और पाकिस्तान के भीतर तक मार

सीडीएस ने “ऑपरेशन सिंदूर” का विशेष रूप से उल्लेख करते हुए बताया कि कैसे इस अभियान के तहत भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तानी हवाई सुरक्षा की धज्जियां उड़ा दीं। उन्होंने कहा, “हमने रणनीति में सुधार किया और फिर सात, आठ और 10 तारीख को बड़े पैमाने पर पाकिस्तान के अंदर स्थित उनके हवाई ठिकानों पर हमला किया। हमने बिना किसी रोक-टोक के उनकी सभी हवाई सुरक्षा को भेदा और सटीक हमले किए। वायु सेना ने 10 तारीख को सभी प्रकार के आयुधों के साथ सभी प्रकार के विमान उड़ाए।”

यह विवरण अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह न केवल पाकिस्तान के उस दावे का खंडन करता है कि उसने भारतीय वायुसेना को भारी क्षति पहुंचाई, बल्कि यह भी स्थापित करता है कि भारतीय लड़ाकू विमान पाकिस्तानी हवाई क्षेत्र में निर्बाध रूप से प्रवेश करने और अपने लक्ष्यों को सटीकता से भेदने में सफल रहे। “सभी प्रकार के आयुधों के साथ सभी प्रकार के विमान” का उल्लेख भारतीय वायुसेना द्वारा एक व्यापक और समन्वित हमले की ओर इशारा करता है, जिसका उद्देश्य पाकिस्तानी सैन्य प्रतिष्ठानों को अधिकतम नुकसान पहुंचाना और उनके युद्ध लड़ने के मनोबल को तोड़ना था। पाकिस्तान द्वारा छह भारतीय विमानों को मार गिराने के दावे को जनरल चौहान ने “पूरी तरह से गलत” करार दिया, जिससे यह स्पष्ट होता है कि पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी सैन्य सफलता का झूठा बखान कर रहा था।

स्वदेशी रक्षा प्रौद्योगिकी का प्रदर्शन

“ऑपरेशन सिंदूर” की सफलता में भारत की स्वदेशी रक्षा प्रौद्योगिकियों की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डालते हुए जनरल चौहान ने कहा कि भारत ने विदेशी विक्रेताओं पर अपनी निर्भरता को कम करते हुए वायु रक्षा के लिए अपना स्वयं का मजबूत नेटवर्किंग बुनियादी ढांचा सफलतापूर्वक स्थापित किया है। उन्होंने बताया, “हमने पूरे भारत में एक सुसंगत नेटवर्क के तहत कई स्रोतों से प्राप्त रडार डेटा का प्रभावी एकीकरण किया है।” यह भारत की “आत्मनिर्भर भारत” पहल की रक्षा क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।

उन्होंने वाणिज्यिक उपग्रह तस्वीरों की उपलब्धता को स्वीकार करते हुए कहा कि यह दोनों पक्षों के लिए सुलभ थीं। इस संदर्भ में उन्होंने कहा, “पाकिस्तान ने संभवतः चीनी स्रोतों का लाभ उठाया होगा। हालांकि, उन्हें चीन से किसी भी प्रकार की रियल-टाइम (वास्तविक समय) मदद मिलने का कोई निश्चित प्रमाण हमारे पास नहीं है।” इसके विपरीत, भारत ने अपनी रक्षा आवश्यकताओं के लिए आकाश जैसी अपनी स्वदेशी मिसाइल प्रणालियों और अन्य घरेलू विकसित तकनीकों पर भरोसा किया। यह न केवल भारत की तकनीकी आत्मनिर्भरता को रेखांकित करता है बल्कि संवेदनशील रक्षा अभियानों में विदेशी प्रणालियों पर निर्भरता से जुड़े संभावित जोखिमों को भी कम करता है।

पहले के आधिकारिक बयानों से तारतम्यता

 

सीडीएस जनरल चौहान के बयान भारतीय वायु सेना के वायु संचालन महानिदेशक (डीजी एयर ऑपरेशंस) एयर मार्शल ए.के. भारती द्वारा पहले दिए गए बयानों से मेल खाते हैं। एयर मार्शल भारती ने 11 मई को एक प्रेस वार्ता में स्वीकार किया था कि “नुकसान लड़ाई का एक हिस्सा है।” जब उनसे “ऑपरेशन सिंदूर” के दौरान भारत को हुए विमानों के नुकसान के बारे में पूछा गया था, तो उन्होंने यह भी आश्वस्त किया था कि भारतीय वायु सेना के सभी पायलट सुरक्षित घर लौट आए थे। यह इस बात का संकेत है कि यदि कोई विमान दुर्घटनाग्रस्त हुआ भी तो पायलटों को सुरक्षित निकालने में भारतीय सेना सफल रही, जो कि किसी भी सैन्य अभियान में एक बड़ी प्राथमिकता होती है।

 

खुलासे के रणनीतिक और भू-राजनीतिक निहितार्थ

 

पारदर्शिता और आत्मविश्वास का प्रदर्शन: नुकसान को स्वीकार करना भारतीय सैन्य नेतृत्व की परिपक्वता और पारदर्शिता को दर्शाता है, जिससे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विश्वसनीयता बढ़ती है। साथ ही, सुधारात्मक कार्रवाई और सफल पलटवार का विवरण राष्ट्र के आत्मविश्वास को बढ़ाता है।
रणनीतिक लचीलापन: यह घटना भारतीय सशस्त्र बलों की उस क्षमता को उजागर करती है जिससे वे युद्धक्षेत्र की बदलती परिस्थितियों के अनुसार अपनी रणनीतियों को तेजी से ढाल सकते हैं और अप्रत्याशित चुनौतियों का सामना कर सकते हैं।
प्रोपेगैंडा युद्ध का जवाब: पाकिस्तान अक्सर सूचना युद्ध के माध्यम से भारत पर मनोवैज्ञानिक बढ़त बनाने की कोशिश करता है। सीडीएस का स्पष्ट और तथ्यात्मक बयान ऐसे पाकिस्तानी दावों की हवा निकालने और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के समक्ष सही तस्वीर पेश करने में सहायक है।
स्वदेशीकरण का महत्व: “ऑपरेशन सिंदूर” जैसी जटिल सैन्य कार्रवाइयों में स्वदेशी हथियारों और प्रणालियों का सफल उपयोग भारत की रक्षा उत्पादन क्षमताओं में आत्मनिर्भरता के महत्व को रेखांकित करता है। यह न केवल विदेशी निर्भरता कम करता है बल्कि रणनीतिक स्वायत्तता भी प्रदान करता है।
निवारण क्षमता का सुदृढ़ीकरण: पाकिस्तान के अंदर गहराई तक सटीक हमले करने और उसे संघर्ष विराम के लिए विवश करने की क्षमता भारत की निवारण मुद्रा को और मजबूत करती है। यह भविष्य में किसी भी दुस्साहस से पाकिस्तान को रोकने में सहायक होगा।
अंतररराष्ट्रीय मंच का सदुपयोग: शांगरी-ला डायलॉग जैसे प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा मंच पर इस तरह की जानकारी साझा करना भारत के पक्ष को मजबूती से रखने और वैश्विक शक्तियों को अपनी क्षमताओं से अवगत कराने का एक प्रभावी तरीका है।

पाक के दावे का पुरजोर खंडन

चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान द्वारा “ऑपरेशन सिंदूर” के संबंध में दिए गए बयान भारतीय सैन्य रणनीति, लचीलेपन और आत्मनिर्भरता की एक सशक्त तस्वीर प्रस्तुत करते हैं। यह स्वीकार करते हुए कि संघर्ष में शुरुआती झटके लग सकते हैं, भारत ने यह प्रदर्शित किया है कि वह न केवल ऐसी प्रतिकूलताओं से सीखता है बल्कि और अधिक मजबूती तथा सटीकता के साथ जवाबी कार्रवाई करने में भी सक्षम है। पाकिस्तान के छह विमानों को मार गिराने के दावे का पुरजोर खंडन और यह तथ्य कि भारतीय हमलों ने पाकिस्तान को संघर्ष विराम के लिए मजबूर किया, इस संघर्ष में भारत की निर्णायक बढ़त को स्थापित करता है। “ऑपरेशन सिंदूर” की सफलता भारत की बढ़ती सैन्य शक्ति और किसी भी चुनौती का मुंहतोड़ जवाब देने की उसकी अटूट प्रतिबद्धता का प्रमाण है। यह खुलासा न केवल देशवासियों का मनोबल बढ़ाएगा बल्कि संभावित विरोधियों को भी भारत की संकल्प शक्ति का स्पष्ट संदेश देगा।

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