CeaseFire Voilation: घोषणा के कुछ घंटों बाद ही पाकिस्तान ने तोड़ा संघर्ष विराम, भारत ने दी कड़ी कार्रवाई की चेतावनी

नई दिल्ली/इस्लामाबाद/वाशिंगटन, बीएनएम न्‍यूज: CeaseFire Voilation: भारत और पाकिस्तान के बीच तीन दिनों से जारी “ऑपरेशन सिंदूर” के बाद शनिवार शाम को एक बहुप्रतीक्षित संघर्ष विराम की घोषणा हुई, जिसने दक्षिण एशिया में तनाव की बढ़ती लपटों को शांत करने की एक क्षणिक उम्मीद जगाई थी। लेकिन यह शांति कुछ घंटों से अधिक नहीं टिक सकी। समझौते की स्याही सूखने से पहले ही पाकिस्तान ने अपनी पुरानी फितरत दिखाते हुए नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर संघर्ष विराम का उल्लंघन करते हुए भारतीय चौकियों पर अकारण गोलीबारी शुरू कर दी और भारतीय सीमा में बड़ी संख्या में ड्रोन भेजने की हिमाकत की। इस घटना ने न केवल दोनों परमाणु-सशस्त्र पड़ोसियों के बीच पहले से ही तनावपूर्ण संबंधों को और अधिक जटिल बना दिया है, बल्कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा इस समझौते की मध्यस्थता के दावे पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं, जिसका भारत ने स्पष्ट रूप से खंडन किया है।

संघर्ष विराम की घोषणा और अल्पकालिक आशा

 

शनिवार शाम को भारतीय समयानुसार पांच बजे से दोनों देशों के बीच भूमि, वायु और समुद्र में सभी प्रकार की फायरिंग और सैन्य कार्रवाई को रोकने पर सहमति बनी थी। इस समझौते की औपचारिक घोषणा भारत के विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने की। उन्होंने बताया कि पाकिस्तान के सैन्य संचालन महानिदेशक (डीजीएमओ) ने शनिवार को भारतीय समयानुसार दोपहर 3 बजकर 35 मिनट पर भारत के डीजीएमओ से हॉटलाइन पर बातचीत की थी। इसी बातचीत में यह महत्वपूर्ण सहमति बनी और दोनों पक्षों के सभी संबंधित अधिकारियों को इसे तत्काल प्रभाव से लागू करने के निर्देश दे दिए गए थे। विदेश सचिव के अनुसार, दोनों देशों के डीजीएमओ 12 मई, 2025 को भारतीय समयानुसार दोपहर 12 बजे स्थिति की समीक्षा के लिए पुनः वार्ता करने पर भी सहमत हुए थे।

इस घोषणा से क्षेत्र में शांति की एक लहर दौड़ गई थी, विशेषकर “ऑपरेशन सिंदूर” के बाद उत्पन्न हुए गंभीर तनाव को देखते हुए। भारत ने पाकिस्तान स्थित आतंकी ठिकानों पर यह बड़ी कार्रवाई 22 अप्रैल, 2025 को पहलगाम में निर्दोष पर्यटकों पर हुए जघन्य आतंकी हमले के प्रतिशोध में की थी।

अमेरिकी राष्ट्रपति का श्रेय लेने का प्रयास

 

दिलचस्प बात यह है कि भारतीय विदेश सचिव के आधिकारिक बयान से लगभग 30 मिनट पहले ही अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर इस समझौते की घोषणा कर दी थी। ट्रंप ने अपने पोस्ट में लिखा, “अमेरिका की तरफ से मध्यस्थता में रातभर चली बातचीत के बाद मुझे यह घोषणा करते हुए प्रसन्नता हो रही है कि भारत और पाकिस्तान के बीच पूर्ण और तत्काल संघर्षविराम पर सहमति बन गई है। समझबूझ और जबर्दस्त बुद्धिमता दिखाने के लिए दोनों देशों को बहुत-बहुत धन्यवाद। इस बारे में ध्यान देने के लिए सभी का धन्यवाद।” ट्रंप ने इस सफलता का श्रेय पूरी तरह से अमेरिका को दिया।

सीधी बातचीत

 

हालांकि, भारत ने अमेरिकी मध्यस्थता के दावे को सिरे से खारिज कर दिया। विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने स्पष्ट किया कि फायरिंग और सैन्य कार्रवाई रोकने के लिए दोनों देशों के बीच सीधी बातचीत हुई थी। शनिवार दोपहर वार्ता की पेशकश पाकिस्तान के डीजीएमओ की तरफ से हुई थी, जिसके बाद दोनों समकक्षों के बीच वार्ता हुई और सहमति बनी। भारत ने जोर देकर कहा कि इस समझौते में किसी तीसरे पक्ष की कोई भूमिका नहीं है और यह पूरी तरह से द्विपक्षीय प्रयास का परिणाम है। सूत्रों ने यह भी साफ किया कि फिलहाल किसी और मुद्दे पर, या किसी और जगह बातचीत करने को लेकर कोई सहमति नहीं बनी है।

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अमेरिका की कूटनीतिक कोशिश

 

कूटनीतिक सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, राष्ट्रपति ट्रंप के निर्देश के बाद अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो ने इस मामले में सक्रियता दिखाई थी। रूबियो ने कुछ ही घंटों के भीतर पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर और विदेश मंत्री इशाक डार से अलग-अलग बात की थी। इसके बाद उनकी भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर से भी वार्ता हुई थी। बताया जा रहा है कि ट्रंप प्रशासन दोनों देशों को युद्ध जैसी स्थिति को समाप्त कर रिश्तों को सामान्य करने की दिशा में बढ़ने के लिए प्रोत्साहित कर रहा था। यह अमेरिका के रुख में एक महत्वपूर्ण बदलाव था, क्योंकि एक दिन पहले ही अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने कहा था कि “अमेरिका की भारत व पाकिस्तान के बीच विवाद में फंसने की कोई मंशा नहीं है।” माना जा रहा है कि इस हफ्ते ट्रंप प्रशासन का पूरा ध्यान अमेरिका-चीन व्यापार वार्ता और अमेरिका-ब्रिटेन व्यापार समझौते पर केंद्रित है, ऐसे में वह दक्षिण एशिया के दो परमाणु संपन्न देशों के बीच सैन्य तनाव को और बढ़ने देने का जोखिम नहीं उठाना चाहता था।

पाकिस्तान द्वारा संघर्ष विराम का घोर उल्लंघन

 

शांति की उम्मीदें उस समय धूमिल हो गईं जब घोषणा के कुछ ही घंटों के भीतर पाकिस्तान ने संघर्ष विराम का उल्लंघन कर दिया। देर शाम पाकिस्तानी सेना ने जम्मू संभाग के अखनूर, राजौरी और आरएस पुरा सेक्टरों में भारतीय चौकियों और रिहायशी इलाकों को निशाना बनाते हुए तोपखाने से भारी गोलाबारी की। इसके अतिरिक्त, पाकिस्तान की ओर से श्रीनगर में बड़ी संख्या में ड्रोन भी आते देखे गए, हालांकि भारतीय सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) की सतर्कता और जवाबी कार्रवाई के बाद वे वापस चले गए।

बीएसएफ ने पाकिस्तानी रेंजर्स की फायरिंग का पूरी ताकत और मुंहतोड़ जवाब दिया। कुछ देर तक दोनों ओर से भारी गोलीबारी होती रही, जिसके बाद स्थिति में कुछ शांति आई। लेकिन इस उल्लंघन ने पाकिस्तान की मंशा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए।

तीखी प्रतिक्रिया

 

जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने इस घटना पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर एक वीडियो साझा करते हुए सवाल किया, “आखिर संघर्ष विराम का क्या हुआ? श्रीनगर में विस्फोटों की आवाजें सुनी गईं!!!” एक अन्य पोस्ट में ड्रोन हमले का वीडियो साझा करते हुए उन्होंने लिखा, “यह कोई संघर्ष विराम नहीं है। श्रीनगर में अभी-अभी गोलीबारी की है।” उनकी यह प्रतिक्रिया सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले आम नागरिकों की चिंता और हताशा को दर्शाती है।

भारत की कड़ी प्रतिक्रिया

 

पाकिस्तान द्वारा संघर्ष विराम के उल्लंघन पर भारत ने अत्यंत गंभीर रुख अपनाया है। सेना ने पहले पुष्टि की कि जो ड्रोन आए थे, वे वापस चले गए और एलओसी पर फायरिंग रुक गई है। लेकिन इसके तुरंत बाद विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने एक कड़े बयान में कहा कि पाकिस्तान ने डीजीएमओ स्तर पर हुए समझौते का घोर उल्लंघन किया है। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा, “इस उल्लंघन के लिए पाकिस्तान पूरी तरह जिम्मेदार है। सेना को इस उकसावे पर सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दे दिए गए हैं। पाकिस्तान को स्थिति को गंभीरता से समझना होगा और इसके परिणामों के लिए तैयार रहना होगा।”

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भी भारत के रुख को दोहराते हुए कहा, “भारत और पाकिस्तान के बीच फायरिंग और सैन्य कार्रवाई रोकने को लेकर सहमति बनाने का काम हो गया है। भारत लगातार किसी भी तरह के आतंकवाद के साथ किसी भी तरह का समझौता नहीं करने के अपने रुख पर कायम है। हम आगे भी इसी रुख पर अडिग रहेंगे।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह समझौता केवल मौजूदा सैन्य तनाव को कम करने तक सीमित है और भारत द्वारा हाल ही में उठाए गए अन्य कड़े कदमों, जैसे सिंधु जल समझौते को स्थगित करने, पाकिस्तानी उच्चायोग के अधिकारियों की संख्या घटाने या पाकिस्तान से संचालित कई वेबसाइटों पर रोक लगाने जैसे फैसलों को वापस नहीं लिया जा रहा है। यह दर्शाता है कि भारत आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान को कोई रियायत देने के मूड में नहीं है।

“ऑपरेशन सिंदूर” की पृष्ठभूमि और सफलता

 

मौजूदा तनाव की जड़ें 22 अप्रैल, 2025 को कश्मीर के पहलगाम में हुए उस कायराना आतंकी हमले में हैं, जिसमें कई निर्दोष पर्यटक मारे गए थे। इस हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था। इसके जवाब में भारत ने एक निर्णायक और व्यापक सैन्य अभियान “ऑपरेशन सिंदूर” चलाया। 7-8 मई की मध्यरात्रि को भारतीय वायु सेना और विशेष बलों ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) समेत पाकिस्तान के नौ शहरों में स्थित आतंकी प्रशिक्षण शिविरों और लॉन्च पैड्स पर हमले किए। इस ऑपरेशन में सौ से ज्यादा आतंकियों के मारे जाने और कई आतंकी ठिकानों के पूरी तरह नष्ट होने की सूचना है।

जब पाकिस्तान ने इस कार्रवाई के जवाब में उकसावे की कोशिश की, तो भारत ने 8-9 मई की रात्रि में भी पाकिस्तान के कई सैन्य ठिकानों पर मिसाइलों और ड्रोन से जवाबी हमला किया, जिससे पाकिस्तान को भारी क्षति उठानी पड़ी।

भारत का मानना है कि “ऑपरेशन सिंदूर” अपने उद्देश्यों में पूरी तरह सफल रहा है। इसके माध्यम से न सिर्फ पाकिस्तान स्थित प्रमुख आतंकी ढांचों को निष्क्रिय किया गया है, बल्कि भारतीय थल सेना, वायु सेना और नौसेना के बीच बेहतरीन तालमेल और त्वरित प्रतिक्रिया क्षमता का भी सफलतापूर्वक परीक्षण हुआ है। भारत ने इस ऑपरेशन के जरिए पाकिस्तान को यह स्पष्ट संदेश भी दे दिया है कि भविष्य में अगर भारत पर कोई भी आतंकी हमला होता है, तो वह अपनी रक्षा के लिए इस तरह की बड़ी और कठोर सैन्य कार्रवाई करने से पीछे नहीं हटेगा और सैन्य कार्रवाई का विकल्प हमेशा खुला रहेगा।

पाकिस्तान का पक्ष और क्षेत्रीय शांति का राग

 

संघर्ष विराम उल्लंघन के आरोपों के बीच पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार ने सोशल मीडिया साइट ‘एक्स’ पर लिखा, “भारत और पाकिस्तान तुरंत संघर्षविराम लागू करने पर तैयार हो गए हैं। पाकिस्तान अपनी संप्रभुता और अखंडता से कोई समझौता किए बगैर हमेशा इस क्षेत्र में शांति व स्थिरता का समर्थन करता रहा है।” हालांकि, उनके इस बयान और पाकिस्तानी सेना की जमीनी कार्रवाई के बीच का विरोधाभास स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है। पाकिस्तान का यह दोहरा रवैया कोई नई बात नहीं है, वह अक्सर शांति की बातें करता है, लेकिन साथ ही सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देने और संघर्ष विराम का उल्लंघन करने से भी बाज नहीं आता।

निष्कर्ष और आगे की राह

 

शनिवार को हुआ यह घटनाक्रम भारत-पाकिस्तान संबंधों की जटिलता और अस्थिरता को एक बार फिर उजागर करता है। एक ओर जहां शांति की आशा दिखी, वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान द्वारा तत्काल संघर्ष विराम का उल्लंघन यह दर्शाता है कि स्थायी शांति की राह अभी भी कांटों भरी है। अमेरिका की मध्यस्थता के दावों और भारत के खंडन ने इस प्रकरण में एक और कूटनीतिक परत जोड़ दी है। भारत का कड़ा रुख और सैन्य कार्रवाई के लिए तैयार रहने का संदेश यह स्पष्ट करता है कि वह अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा और संप्रभुता से कोई समझौता नहीं करेगा। “ऑपरेशन सिंदूर” ने पाकिस्तान को भारत के नए सुरक्षा सिद्धांत का स्पष्ट संकेत दे दिया है, जिसमें आतंकवाद के प्रति शून्य सहिष्णुता और त्वरित तथा प्रभावी जवाबी कार्रवाई शामिल है।

भविष्य की रणनीति

 

आने वाले दिन महत्वपूर्ण होंगे। 12 मई को प्रस्तावित डीजीएमओ स्तर की वार्ता अब और भी अधिक महत्वपूर्ण हो गई है। यह देखना होगा कि क्या पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज आता है और सीमा पर शांति बनाए रखने के अपने वादे पर कायम रहता है, या फिर भारत को एक बार फिर अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कड़े कदम उठाने पर मजबूर होना पड़ता है। फिलहाल, एलओसी पर स्थिति तनावपूर्ण लेकिन नियंत्रण में बताई जा रही है, लेकिन किसी भी छोटी सी चिंगारी से यह नाजुक शांति भंग हो सकती है। विश्व समुदाय भी दक्षिण एशिया की इस स्थिति पर करीब से नजर रखे हुए है, क्योंकि दो परमाणु शक्ति संपन्न देशों के बीच किसी भी तरह का बड़ा टकराव क्षेत्रीय और वैश्विक शांति के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकता है।

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