क्रिकेट – वर्ल्डकप और हमारा देश, आखिर कहां जा रहा है देश का यूथ ?
संपादकीय। थोड़े दिन पहले की बात है जब देश का करोड़ों यूथ सुबह 4 बजे उठकर मिल्खा सिंह की तरह रेस लगाता था। जिसको जहां जगह मिलती थी वो वहीं दौड़ता था, जिस गाँव में स्टेडियम की सुविधा नहीं वहां का यूथ भी रुकता नहीं था बल्कि या तो खेत के कच्चे रास्तों या गाँव के मेन pwd रोड़ पर ही दौड़ लगाता अपनी तैयारी करता था। उनके मन में बस एक यही जुनून होता था कि फौजी बनणा है और उसके फिजिकल टेस्ट में पास होने के लिये मुकम्मल तैयारी करणी है। लेकिन अब सब बदल गया है, वे सारे रास्ते/रोड़ जहां सुबह रौनकें होती थी अब खाली पड़े रहते हैं, *अग्निवीर* स्कीम आई और उसने यूथ के इस कल्चर का सत्यानाश कर दिया।
अब यूथ ने उठना दौड़ना सब बंद कर दिया, उसका ट्रैक अब टोटली बदल गया है, उसे रोजगार का कोई स्कोप नहीं दिख रहा और किंकर्तव्यविमूढ़ स्थिति में बैठा वो युवा जब tv mobile खोलता है तब अलग अलग क्रिकेटर व अभिनेता उसे online टीम बनाने की सलाह दे रहे होते हैं। देश का वो युवा जो कल तक अपनी सेहत को फिट रखने पर ध्यान देता था आज online क्रिकेट की टीम बना कर सट्टे के दलदल में धंस चुका है। मुझे नहीं पता आपको हैरानी होगी या नहीं लेकिन ये सच्ची घटना है कि मेरे एक जानकार का भाई इसी वर्ल्ड कप के फाइनल होने से पहले ही 1 करोड़ रुपये हार गया और बेचारे उस परिवार को अपनी 2.5 एकड़ जमीन instant बेचकर पिंड छुड़वाना पड़ा।
इसे देश का दुर्भाग्य कहो या कुछ भी कि मिट्टी से जुड़े पारंपरिक खेल *(कुश्ती)* खेलने वाले खिलाड़ियों ने खेल में हो रहे शोषण और पक्षपात के खिलाफ आवाज उठाई और धरना प्रदर्शन किया था तो उनकी मिट्टी पलीत करने में मौजूदा सत्ता द्वारा कोई कसर नहीं छोड़ी गई और उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई। कल्पना कीजिये क्या किसी क्रिकेटर के साथ भी ऐसा अनदेखी भरा और रूखा व्यवहार यहां सत्ता द्वारा हो सकता है ??
आप कैलकुलेशन करके देखें कि एक क्रिकेट को छोडकर क्या इतनी तवज्जो किसी अन्य खेल को दी गई ? क्या किसी अन्य खेल को प्रासंगिक बनाने, उसे प्रोमोट करने पर काम हुआ या इतणा प्रचार हुआ ? उत्तर आएगा 👉🏽 नहींए यहां तक कि हमारे खुद के राष्ट्रीय खेल *हॉकी* में हमारे देश की टीम जीत कर आ जाए तो किसी को कोई खुशी व रोमांच नहीं होता, उनको कोई बधाई नहीं होती, उनका कोई स्वागत नहीं होता।। क्या यही है हमारी देशभक्ति और राष्ट्रीयता कि देश के राष्ट्रीय खेल को खुद हमारे द्वारा हाशिये पर धकेल दिया गया है और सारा देश ग्लैमर और पैसे की चकाचौंध में डूबे क्रिकेट के लिये पगलाया हुआ है।
दरअसल ये जो पगले हुए रहते हैं इन्हें खुद नहीं पता कि उन्हें एक प्लानिंग के तहत क्रिकेट का फैन बनाया जा रहा है, ये सोच ये खुशी उनकी खुद की नहीं है बल्कि थोपी गई है। देश के कॉरपोरेट्स, ब्यूरोक्रेट्स, पॉलिटिशियन, बॉलीवुड हस्तियों में से किसी को देख लो सब मिलजुलकर क्रिकेट को हवा देने पर काम कर रहे हैं और इसके पीछे की वजह आप ढूंढोगे तो वो सिर्फ और सिर्फ पैसा मिलेगा। कमाल की बात तो ये है कि हमारे देश के प्रधानमंत्री भी क्रिकेट से जुड़े हर अपडेट से खुद को कनैक्ट रखते हैं और क्रिकेट से जुड़े किसी भी मसले पर अपनी उपस्थिति दर्ज करवाणा नहीं भूलते।
क्रिकेट को लेकर वो इतणे संवेदनशील हो चुके हैं कि किसी क्रिकेटर की अंगुली में चोट लग जाए वो इस बात पर भी ट्वीट करते हैं । क्रिकेट के ओलंपिक में शामिल होने की जितनी खुशी हमारे PM को हुई वो अद्वितीय थी जिसका इजहार उन्होंने fb पे post डालकर और ट्वीट करके किया। नीचे स्टेडियम में मैच चल रहा और ऊपर हैलीकॉप्टर से photo क्लिक करते हुए उसे सोशल मीडिया पर पब्लिश करने का रिकॉर्ड भी हमारे pm के नाम है। क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड की कमान ही उन्होंने अपने प्रिय मित्र अमित शाह के बेटे को दे रखी है। ऐसा लगता है कि जैसे क्रिकेट के चप्पे चप्पे को वो कैप्चर करके रखना चाहते हैं।
क्रिकेट में *Indian* टीम की T shirt को लांच करने का रिकॉर्ड भी उन्हीं के नाम ही दर्ज है और *Dream 11* जैसी सट्टा app को प्रोमोट करने वाले भी वो देश के प्रथम प्रधानमंत्री हैं। बात यहां तक ही नहीं रुकती बल्कि हमारे pm ने तो कमालाना अंदाज में एक क्रिकेट स्टेडियम का नाम भी अपने नाम पर रखवा रखा है । क्रिकेट से इतणे प्यार के पीछे की वजह जानोगे तो हैरान रह जाओगे वो आप खुद भी अनुमान लगा लेना एक दावा मैं और करता हूँ कि एक *भारत* को छोड़कर विश्व के किसी भी राष्ट्राध्यक्ष की कोई ऐसी पर्सनल रुचि ऐसे खेल में दिखा दो जो उस देश का राष्ट्रीय खेल ना हो ??
मुझे भरोसा है कि भारत के अलावा आपको कोई देश ऐसा नहीं मिलेगा जिसका राष्ट्राध्यक्ष अपने देश के राष्ट्रीय खेल के अलावा किसी अन्य खेल को इतना प्रोमोट करता हो या रुचि रखता हो। क्रिकेट को जितनी हवा इस राज में सत्ताधीशों द्वारा दी गई इस प्लानिंग को कोई notice नहीं कर पाएगा। कमाल है कि वर्ल्ड कप खेल रही केवल 20 टीमों में खेलकर ही हम वर्ल्ड चैंपियन बनने की खुशी मना रहे हैं। जबकि ओलंपिक में 200 देशों के प्रतिभागियों को अपने दम पर चित्त करने, हराने वाले हमारे ओलंपियन को हमारे देश में कोई तवज्जो नहीं। सच पूछो तो अंधे आदमी भी हमसे लाख बेहतर हैं, कम से कम उन्हें आँख में रोशनी ना होने की वजह से नहीं दिखता, हमारा कोई क्या कर ले जो आंख में रोशनी होते हुए भी नहीं देखना चाह रहे। कभी कभी लगता है कि वर्ल्ड में सबसे ज्यादा जनसंख्या का तमगा हासिल करके बैठे हम एक देश कम और चारागाह ज्यादा हैं जहां सबको एक रिमोट से हांका और चलाया जा रहा है
लेखक परिचय, सुमित पूनिया सामाजिक, वैचारिक, देश के तमाम मुद्दों पर गहनता के साथ सोशल मीडिया पर लिखते हैं। युवा अवस्था में गांव माकड़ोली कलाँ का सरपंच के रूप में नेतृत्व कर चुके हैं।रोहतक सरपंच संगठन के पूर्व प्रधान रह चुके हैं। फिलहाल समाजसेवी के रूप में कार्य कर रहे हैं ,हरियाणा सरकार द्वारा इन्हे श्रेष्ठ सरपंच व उनकी ग्राम पंचायत को सम्मानित किया गया है।