जानें क्यों सुनील गावस्कर ने कहा, केंद्र सरकार राहुल द्रविड़ को ‘भारत रत्न’ से करे सम्मानित

सुनील गावस्कर।

आइसीसी टी20 (T20 World Cup) विश्व कप जीतने के बाद जब भारतीय टीम देश लौटी तो उसका शानदार स्वागत हुआ। प्रशंसकों ने जिस तरह अपने नायकों के प्रदर्शन पर खुशी जाहिर की यह भावनात्मक और मार्मिक पल था। 2011 में महेंद्र सिंह धौनी के 50 ओवरों के विश्व कप में जीतने के लिए अविस्मरणीय छक्का लगाने के बाद भी इसी तरह के दृश्य देखने को मिले थे। सफेद गेंद क्रिकेट में जून निश्चित रूप से भारत के लिए भाग्यशाली महीना है क्योंकि हमने 25 जून 1983 को विश्व कप, 13 जून 2013 को चैंपियंस ट्राफी और अब 29 जून को पुरुष टी20 विश्व कप जीता।

 

रोहित शर्मा भारत को विश्व कप ट्राफी दिलाने वाले अन्य दो क्रिकेट दिग्गजों कपिल देव और महेंद्र सिंह धौनी के साथ इस सूची में शामिल हो गए हैं। इन दोनों की तरह रोहित भी लोगों के कप्तान हैं। न केवल अपने टीम के सदस्य, बल्कि पूरा भारतीय क्रिकेट समुदाय उन्हें पसंद करता है। क्रिकेट प्रशंसकों को उनकी नेतृत्व शैली भी पसंद है और सामरिक रूप से वे खेल में सबसे बुद्धिमानों में से एक हैं। उनके कुछ प्रयोग आपको आश्चर्यचकित कर सकते हैं और आपको सिर खुजलाने पर मजबूर कर सकते हैं, लेकिन अंतिम परिणाम अक्सर वही होता है जिसकी टीम को उस समय आवश्यकता होती है। उन्होंने आगे से नेतृत्व किया, व्यक्तिगत उपलब्धियों पर ध्यान दिए बिना हर बार टीम को अच्छी शुरुआत दिलाने की कोशिश की। भारतीय टीम धन्य है कि वे इसके कप्तान हैं।

 

खिलाड़ियों ने जहां स्वाभाविक रूप से सभी लाइमलाइट बटोरी, वहीं राहुल द्रविड़ के नेतृत्व में सहयोगी स्टाफ ने भी जीत में अहम भूमिका निभाई। दोनों आर (राहुल+रोहित) ने मिलकर क्या कमाल किया। पूरी तरह से टीम के लिए समर्पित, पूरी तरह से निस्वार्थ और टीम इंडिया के लिए कुछ भी करने को तैयार। जब वे खेल रहे थे, तो राहुल द्रविड़ ने वह सब कुछ किया जो उनसे कहा गया। जब दिन के खेल के अंतिम मिनटों में कोई भारतीय विकेट गिरता, तो वे बल्लेबाजी के लिए निकल पड़ते। उनके लिए ये नाइट वाचमैन की भूमिका नहीं थी, क्योंकि अगर वे शीर्ष क्रम के बल्लेबाज के रूप में दिन के अंतिम कुछ मिनट नहीं खेल सकते, तो निचले क्रम के बल्लेबाज से ऐसा करने की आशा कैसे की जा सकती है?

जब उनसे विकेटकीपिंग करने के लिए कहा जाता, तो वे ऐसा करते क्योंकि इससे टीम के थिंक टैंक को पिच और विपक्ष के अनुसार अतिरिक्त बल्लेबाज या गेंदबाज चुनने में मदद मिलती। यह टीम उन्मुख रवैया है जो उन्होंने टीम में डाला और अगर यह जारी रहा, तो भारतीय टीम कई और ट्राफी और सीरीज जीतेगी। उनकी शांतचित्तता का असर टीम पर भी पड़ा होगा, जैसा कि पाकिस्तान के विरुद्ध करीबी मैच और फाइनल में देखा जा सकता है, जब दक्षिण अफ़्रीका खेल को जीतता हुआ दिख रहा था। क्रिकेट के दीवाने देश ने उन्हें कृतज्ञता के साथ यादगार विदाई दी।

यह उचित होगा यदि भारत सरकार उन्हें भारत रत्न से सम्मानित करे, क्योंकि वे वास्तव में ऐसे ही थे। देश के महान खिलाड़ी और कप्तान के रूप में उन्होंने वेस्टइंडीज में प्रसिद्ध सीरीज जीती जब वहां जीत वास्तव में बहुत मायने रखती थी। वे केवल तीन भारतीय कप्तानों में से एक थे, जिन्होंने इंग्लैंड में टेस्ट मैच सीरीज जीती। राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी के अध्यक्ष के रूप में प्रारंभिक भूमिका निभाई और फिर कई अद्भुत प्रतिभाओं को निखारने वाले कोच के रूप में वरिष्ठ टीम के साथ अपना कार्यकाल पूरा किया। चलिए सभी लोग, कृपया मेरे साथ मिलकर सरकार से भारत के महानतम सपूतों में से एक को मान्यता देने का अनुरोध करें। भारत रत्न, राहुल शरद द्रविड़। सुनने में बहुत बढ़िया लग रहा है, है न? (पीएमजी)

(लेखक पूर्व सलामी बल्लेबाज और भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान हैं)

 

 

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