Delhi News: वेश्यावृत्ति गिरोह की सरगना सोनू पंजाबन को की सजा के निलंबन की मांग हाई कोर्ट ने ठुकराई, जानें क्या कहा
नई दिल्ली, बीएनएम न्यूज : Delhi News: दिल्ली हाई कोर्ट ने एनसीआर में सेक्स रैकेट चलाने वाली सोनू पंजाबन उर्फ गीता अरोड़ा की सजा के निलंबन की अर्जी को खारिज कर दिया है। सोनू पंजाबन को 2020 में नाबालिग से वेश्यावृत्ति कराने के आरोप में ट्रायल कोर्ट ने 24 साल की सजा सुनाई थी। हाई कोर्ट ने कहा कि मामले में उपलब्ध सबूतों, ट्रायल कोर्ट के द्वारा दिए गए ठोस कारणों और अपराध की गंभीरता को देखते हुए सजा के निलंबन का कोई आधार नहीं है।
सोनू पंजाबन और संदीप बेदवाल ने सजा को निलंबित करने की मांग करते हुए हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी, जबकि संदीप बेदवाल को इसी मामले में 20 साल की सजा सुनाई गई थी। वे चाहते थे कि अपील की सुनवाई लंबित रहने तक उनकी सजा निलंबित की जाए।
ट्रायल कोर्ट के निष्कर्ष को सही माना
न्यायमूर्ति अनूप कुमार मेंदीरत्ता की पीठ ने राहत देने से इनकार करते हुए कहा कि ट्रायल कोर्ट ने सही रूप से इस बात को नकारा कि बाद की घटनाओं या आचरण के आधार पर यह माना जा सके कि आरोपी का पूर्व का आचरण खराब था। पीठ ने ट्रायल कोर्ट के निष्कर्ष को सही मानते हुए कहा कि 2009 से 2014 तक पीड़िता के आचरण पर संदेह करने के लिए रिकॉर्ड पर कोई आधार नहीं था। पीड़िता का अपहरण करते समय उसकी उम्र महज 13 साल थी, ऐसे में यह मानने का कोई कारण नहीं है कि पीड़िता ने झूठा आरोप लगाया है।
सोनू पंजाबन औरत कहलाने लायक नहीं
द्वारका की विशेष अदालत ने इस मामले में दोनों दोषियों के अपराध को अत्यंत भयावह बताते हुए कहा था कि सोनू पंजाबन औरत कहलाने लायक नहीं है। अदालत ने कहा था कि इन दोषियों को सभ्य समाज में जीने का कोई अधिकार नहीं है और उनके लिए जेल की चार दीवारी ही उचित स्थान है।
वेश्यावृत्ति के लिए जबरदस्ती मजबूर किया
सजा को टालने की मांग को लेकर दिए गए तर्कों से असहमत होते हुए पीठ ने कहा कि संदीप बेदवाल पीड़िता के दुख का मुख्य कारण है, जिसने उसका विश्वास हासिल किया और फिर उसे बेच दिया। पीड़िता ने सोनू पंजाबन पर वेश्यावृत्ति के लिए उसे जबरदस्ती मजबूर करने के गंभीर आरोप लगाए हैं।
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