दिल्ली पुलिस ने हनी ट्रैप गिरोह का किया भंडाफोड़, फर्जी पुलिस अधिकारी बनाकर लोगों को ठगा

नई दिल्ली, बीएनएम न्यूज : दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने एक बड़े हनी ट्रैप रैकेट का पर्दाफाश करते हुए तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है। ये आरोपी खुद को पुलिस अधिकारी बताकर लोगों से ठगी करते थे। आरोपियों की पहचान तिलक नगर निवासी नीरज त्यागी उर्फ धीरज उर्फ धीरू, कराला निवासी आशीष माथुर, और हरियाणा के खरखौदा के दीपक उर्फ साजन के रूप में हुई है। नीरज और दीपक पहले से ही द्वारका के बिंदापुर थाने में हनी ट्रैप मामले में वांछित थे।
गिरोह के पास से मिले आपत्तिजनक सामान
पुलिस ने आरोपियों के पास से दिल्ली पुलिस का फर्जी पहचान पत्र, सिपाही रैंक की एक वर्दी, एक कार और तीन मोबाइल फोन बरामद किए हैं। क्राइम ब्रांच के अतिरिक्त पुलिस आयुक्त संजय भाटिया ने बताया कि 24 दिसंबर को इस रैकेट के सक्रिय होने की जानकारी मिली थी।
पुलिस टीम ने बुध विहार नाले के पास मेन कंझावला रोड पर जाल बिछाया और एक कार सवार तीन व्यक्तियों को रोका। तलाशी के दौरान दिल्ली पुलिस की सिपाही वर्दी और फर्जी पहचान पत्र मिले। आरोपियों ने खुद को पुलिसकर्मी बताने की कोशिश की, लेकिन शक होने पर उन्हें क्राइम ब्रांच कार्यालय लाया गया। पूछताछ में उन्होंने अपराध स्वीकार कर लिया।
डॉक्टर से की गई नौ लाख रुपये की ठगी
इस वर्ष अगस्त में,आरोपियों ने एक डॉक्टर को निशाना बनाया। डॉक्टर को एक लड़की ने फोन कर संपर्क किया और बातचीत शुरू की। कुछ दिनों बाद उसने डॉक्टर को अपनी मां के इलाज के बहाने जनकपुरी मेट्रो स्टेशन के पास बुलाया।
डॉक्टर के बताए पते पर पहुंचने पर लड़की ने आपत्तिजनक हरकतें शुरू कर दीं। उसी दौरान पुलिस की वर्दी में दो व्यक्ति और दो सिविल ड्रेस में लोग कमरे में घुस आए। उन्होंने डॉक्टर को आपराधिक मामले में फंसाने की धमकी दी और नौ लाख रुपये वसूल लिए। बाद में लड़की वहां से फरार हो गई।
डॉक्टर ने घटना की जानकारी बिंदापुर थाना पुलिस को दी। स्थानीय पुलिस ने जांच के दौरान दो महिलाओं सहित चार आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया, लेकिन नीरज और दीपक फरार थे।
इंटरनेट मीडिया के जरिए शिकार बनाते थे
क्राइम ब्रांच ने बताया कि यह गिरोह सोशल मीडिया और अन्य इंटरनेट प्लेटफार्म के जरिए लोगों से संपर्क करता था। महिलाओं को माध्यम बनाकर वे शिकार को होटल या किराए के कमरे में अकेले बुलाते थे। इसके बाद फर्जी पुलिसकर्मी बनकर उन्हें झूठे केस में फंसाने की धमकी दी जाती थी। पीड़ित को डराकर उनसे बड़ी रकम ऐंठी जाती थी।
महिलाओं का इस्तेमाल करता था गिरोह
इस रैकेट में शामिल महिलाएं बेहद चतुराई से पीड़ितों को अपने झांसे में लेती थीं। वे बातचीत में इस कदर माहिर थीं कि कोई भी व्यक्ति आसानी से उनकी बातों में आ जाता था।
महिलाएं पीड़ितों को विश्वास दिलाने के लिए उनकी सहानुभूति प्राप्त करती थीं और बाद में उन्हें ठगी का शिकार बनाती थीं। जब महिलाएं शिकार को अपने जाल में फंसा लेती थीं, तो फर्जी पुलिस अधिकारी मौके पर पहुंच जाते और पीड़ित को डराकर उगाही करते थे।
अंतरराज्यीय गिरोह का पर्दाफाश
पुलिस की जांच में यह भी सामने आया कि यह गिरोह न केवल दिल्ली, बल्कि अन्य राज्यों में भी सक्रिय था। उनका नेटवर्क काफी बड़ा था और वे ठगी के लिए तकनीकी साधनों का उपयोग करते थे।
क्राइम ब्रांच की मुस्तैदी से गिरोह धरा गया
इस रैकेट का भंडाफोड़ क्राइम ब्रांच की मुस्तैदी का नतीजा है। अतिरिक्त पुलिस आयुक्त संजय भाटिया के अनुसार, यह गिरोह लंबे समय से सक्रिय था और इसने कई लोगों को अपनी ठगी का शिकार बनाया। आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद पुलिस अब यह पता लगाने में जुटी है कि इस गिरोह ने अब तक कितने लोगों को ठगा है।
पुलिस की बड़ी सफलता
दिल्ली में हनी ट्रैप के जरिए ठगी करने वाले इस गिरोह की गिरफ्तारी पुलिस की बड़ी सफलता है। यह मामला न केवल अपराधियों की चतुराई को उजागर करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि ठगी के ऐसे मामले बढ़ते जा रहे हैं। आम जनता को सतर्क रहने और अनजान लोगों से संपर्क करने से पहले पूरी जांच-पड़ताल करने की सलाह दी जाती है। पुलिस की जांच अभी जारी है, और इस मामले में और भी खुलासे होने की संभावना है।
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