केंद्र से किसानों की वार्ता विफल, पंजाब सरकार ने शंभू व खनौरी बार्डर पर चलवाया बुलडोजर

शंभू बॉर्डर :
पटियाला, बीएनएम न्यूज : पंजाब के शंभू और खनौरी बार्डर पर पिछले 13 महीनों से चले आ रहे किसानों के धरने को समाप्त करने के लिए राज्य सरकार ने एक सुनियोजित अभियान प्रारंभ किया है। किसान, जो सभी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की मांग कर रहे थे, अचानक से पुलिस की कार्रवाई का शिकार हो गए। हरियाणा सरकार द्वारा समर्थन मिलने की संभावना न देख पाने के बाद पंजाब की भगवंत मान सरकार ने केंद्रीय मंत्रियों के साथ बैठक के ठीक बाद इस कार्रवाई की। बुधवार को दिन में केंद्रीय मंत्रियों के साथ संयुक्त किसान मोर्चा (गैर राजनीतिक) की चंडीगढ़ में सातवें दौर की बैठक बेनतीजा रहने के तुरंत बाद पुलिस ने पिछले चार महीनों से अनशन कर रहे जगजीत सिंह डल्लेवाल और किसान नेता सरवण सिंह पंधेर समेत लगभग 300 किसान नेताओं को अलग-अलग स्थानों से हिरासत में लिया। बुधवार को पंजाब पुलिस ने 13 महीने से बंद शंभू और खनौरी बॉर्डर को खाली करा लिया था। अब अमृतसर-अंबाला-दिल्ली नेशनल हाईवे वीरवार को खोल दिया जाएगा। हालांकि अभी शंभू और खनौरी बॉर्डर पर लगाई गई बैरिकेडिंग नहीं हटाई गई है। विपक्ष समेत सभी किसान नेताओं ने पुलिस की इस कार्रवाई का विरोध किया है।
#WATCH | Security heightened at Haryana – Punjab Shambhu Border as Haryana Police remove concrete barricades erected at the border to restrict farmers' movement further from where they were sitting on a protest over various demands.
Yesterday, late in the evening, Punjab… pic.twitter.com/CqWR4Rtlyi
— ANI (@ANI) March 20, 2025
किसानों का धरना और उनके संघर्ष की कहानी
किसानों ने 13 फरवरी, 2024 को शंभू और खनौरी बार्डर पर धरना शुरू किया था। उनके इस संघर्ष का मुख्य उद्देश्य था सभी फसलों के लिए एमएसपी की कानूनी गारंटी की मांग करना। समय के साथ, यह धरना आंदोलन केंद्रीय सरकार की नीति के खिलाफ एक बड़ा मोर्चा बन गया। धरने के चलते हरियाणा पुलिस ने विभिन्न क्षेत्रों में बैरिकेडिंग कर दिया था, जिससे स्थानीय लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। उद्योग-धंधे भी प्रभावित होने लगे थे।
केंद्रीय मंत्रियों से बैठक का प्रयास और उसकी परिणति
हाल ही में, केंद्रीय कृषिमंत्री शिवराज चौहान ने अधिकारियों और किसान नेताओं के बीच एक बैठक का आयोजन किया, जिसमें किसान प्रतिनिधियों ने अपनी समस्याएं उठाईं। हालाँकि, इस बैठक का कोई सकारात्मक परिणाम नहीं निकला, इससे पहले ही प्रशासन ने धरने को समाप्त करने का निर्णय ले लिया। बैठक में किसानों द्वारा प्रस्तुत डेटा और उनके मुद्दों पर चर्चा करते हुए कृषिमंत्री ने कहा कि इस संबंध में और विचार की आवश्यकता है।
पुलिस कार्रवाई का समय और उसके तात्कालिक परिणाम
बैठक के बाद जब किसानों ने धरना जारी रखने का निर्णय लिया, तब पुलिस ने एक बड़े अभियान के तहत धरनास्थल पर पहुंचकर कार्रवाई शुरू की। दिन में केंद्रीय मंत्रियों के साथ बैठक बेनतीजा रहने के बाद, राज्य की पुलिस ने तुरंत ही धरने पर बैठे किसानों पर दबाव डालना शुरू किया।
किसानों में पुलिस कार्रवाई की आशंका पहले से थी। ऐसे में बड़ी संख्या में किसान ट्रैक्टर-ट्रालियों में अपने सामान भरकर अपने घरों को लौटने लगे। लेकिन, कुछ लोग यह संघर्ष जारी रखने के लिए दृढ़ थे। जिन किसानों ने धरने से हटने से मना किया, उन्हें हिरासत में ले लिया गया। इसके उपरांत, पुलिस और बुलडोजरों का दल किसानों के ठिकानों पर पहुंचा, जहां उनके मंच और ठहरने के ढांचे को ध्वस्त करना शुरू कर दिया गया।
बुलडोजर की कार्रवाई: एक नया अध्याय
पुलिस ने किसानों के मंचों को गिरा दिया, जहां पर लगाई गई ट्यूबलाइटों और पंखों को हटा दिया गया। खाने-पीने और सोने के लिए बनाए गए ढांचे को भी ध्वस्त किया गया। खनौरी बार्डर को रात आठ बजे तक पूरी तरह से साफ किया गया, जबकि शंभू बार्डर पर यह काम रात देर तक चलता रहा। इस प्रक्रिया के तहत इंटरनेट सेवाओं को भी बंद कर दिया गया, ताकि किसानों की संचार प्रणाली को बाधित किया जा सके।
किसान नेताओं का बयान और आगे की रणनीति
किसान नेताओं ने इस कार्रवाई को निंदनीय बताते हुए कहा कि यह एक सुनियोजित हमला है जो केंद्र और राज्य सरकार ने मिलकर किया है। उन्होंने अपने संघर्ष को जारी रखने का संकल्प लिया है और कहा है कि जब तक एमएसपी की कानूनी गारंटी नहीं मिलती, तब तक वे अपने आंदोलनों को आगे बढ़ाएंगे।
उन्होंने यह भी कहा कि जब तक संसद में यह कानून पारित नहीं होता, उनकी लड़ाई जारी रहेगी। तमिलनाड़ु और केरल के किसान प्रतिनिधियों ने भी इस संघर्ष में सहयोग की पेशकश की है और कहा है कि वे इस मुद्दे पर एकजुटता बनाए रखेंगे।
#WATCH | Haryana Police uses bulldozers to remove concrete barricades erected at Haryana – Punjab Shambhu Border to restrict farmers' movement further from where they were sitting on a protest over various demands.
Yesterday, late in the evening, Punjab police removed the… pic.twitter.com/K7QdJWpbLi
— ANI (@ANI) March 20, 2025
भविष्य की दिशा
पंजाब के किसानों का यह धरना उनके लिए एक बड़े संघर्ष का प्रतीक बन चुका है। जहां एक ओर किसानों ने एकजुटता दिखाई है, वहीं दूसरी ओर, राज्य और केंद्रीय सरकारों की कार्रवाई ने इस मुद्दे को और भी जटिल बना दिया है। किसानों की मांगें तो ज्यों की त्यों बनी हुई हैं, लेकिन राजनीतिक माहौल में बदलती स्थितियों को ध्यान में रखते हुए, आंदोलन को कैसे आगे बढ़ाया जाए, यह एक महत्वपूर्ण प्रश्न बना हुआ है।
अंत में, यह स्पष्ट है कि किसानों की लड़ाई केवल कृषि क्षेत्र से संबंधित नहीं है, बल्कि यह पूरे देश में कृषि नीति, किसानों के अधिकारों और उनके भविष्य की सुरक्षा का प्रश्न भी है। यदि राज्य और केंद्र सरकारें इस मुद्दे पर गंभीरता से चर्चा नहीं करती हैं, तो यह आंदोलन और भी अधिक उग्र रूप ले सकता है, जो न केवल पंजाब बल्कि समूचे देश की स्थिति को प्रभावित कर सकता है। कृषि क्षेत्र में उपेक्षित महसूस कर रहे लाखों किसान आज एकजुटता से अपने अधिकारों की मांग कर रहे हैं और यह लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है।
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