Gurgaon Lok Sabha Seat: गुड़गांव लोकसभा सीट के चुनाव में हारी कांग्रेस, लेकिन खूब दिखाया दम, हारने के ये रहे 5 प्रमुख कारण

राव इंद्रजीत सिंह और राजबब्बर।

नरेन्द्र सहारण, गुरुग्राम: Gurgaon Lok Sabha Elections: बेहद कड़े और दिलचस्प मुकाबले में कांग्रेस पार्टी गुड़गांव लोकसभा सीट से चुनाव हार गई। कांग्रेस पार्टी भले चुनाव तो हार गई हो, लेकिन बीते चुनावों के मुकाबले मजबूत जरूर हुई है। इस बार वोट शेयर के मुकाबले में भी इस चुनाव में कांग्रेस पार्टी को बढोतरी हुई। आने वाले विधानसभा चुनावों में इसका फायदा दिखेगा। यहां कांग्रेस ने जिस मजबूती के साथ चुनाव लड़ा, उसे अहीरवाल के राजा राव इंद्रजीत सिंह को सोचने के लिए मजबूर कर दिया।

2019 और 2014 में राव इंद्रजीत सिंह ने बंपर जीत दर्ज की

वर्ष 2019 और 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी की स्थिति ठीक नहीं थी। दोनों ही चुनाव में भाजपा से प्रत्याशी रहे राव इंद्रजीत सिंह ने बंपर जीत दर्ज की। 2019 में 67.33 प्रतिशत 14 लाख 48 हजार 101 वोट पड़े थे। इस चुनाव में राव इंद्रजीत को 60.94 प्रतिशत यानी 8 लाख 81 हजार 546 वोट मिले। दूसरे नंबर पर रहे कांग्रेस प्रत्याशी कैप्टन अजय सिंह को 34.24 प्रतिशत 4 लाख 95 हजार 290 वोट मिले थे। 2014 में तो कांग्रेस तीसरे नंबर पर खिसक गई थी। दूसरे नंबर पर इनेलो के प्रत्याशी जाकिर हुसैन रहे थे। राव इंद्रजीत को 48.82 प्रतिशत तो कांग्रेस प्रत्याशी को सिर्फ 10.12 प्रतिशत ही वोट मिले थे। इस चुनाव में 13 लाख 20 हजार 620 वोट पड़े थे। कांग्रेस पार्टी से लड़े धर्मपाल यादव को 1 लाख 33 हजार 713 वोट मिले थे। 2009 के चुनाव में कांग्रेस गुड़गांव लोकसभा सीट से जीती थी। इस चुनाव में राव इंद्रजीत कांग्रेस के प्रत्याशी थे। चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी को 36.83 प्रतिशत वोट मिले थे।

राजबब्बर ने स्थानीय मुद्दों पर लड़ा चुनाव

वहीं 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी फिल्म अभिनेता स्थानीय मुद्दों पर चुनाव लड़े। यह चुनाव बेहद दिलचस्प रहा। दोपहर दो बजे तक राज बब्बर ने भाजपा प्रत्याशी राव इंद्रजीत सिंह पर बढ़त भी बनाए रखी। इसके बाद वह उनसे पिछड़ गए। इस चुनाव में राज बब्बर को 45 प्रतिशत से ज्यादा वोट मिले। यानी बीते तीन लोकसभा चुनाव के मुकाबले यह काफी ज्यादा रहा। 2019 के मुकाबले इस बार 10 प्रतिशत से ज्यादा वोटों की बढ़ोतरी हुई है।

पहले मिल जाता टिकट तो तस्वीर कुछ और होती

कांग्रेस हाईकमान ने 30 अप्रैल को फिल्म अभिनेता राज बब्बर को गुड़गांव लोकसभा सीट से चुनाव मैदान में उतारा था। उन्हें 30 अप्रैल को टिकट दी गई। 25 मई को हरियाणा में चुनाव हुए। ऐसे में उन्हें चुनाव प्रचार के लिए सिर्फ 24 दिन ही मिले। इतने कम दिनों में वह सभी जगहों पर नहीं जा सके। जबकि भाजपा प्रत्याशी राव इंद्रजीत बीते चार बार से लगातार चुनाव जीतते आ रहे हैं। वह केंद्रीय राज्य मंत्री थे और उन्हें 15 अप्रैल के आसपास भाजपा ने प्रत्याशी घोषित कर दिया था। उनके मुकाबले कांग्रेस प्रत्याशी का प्रचार ठीक से नहीं हो पाया। अगर टिकट पहले मिली होती तो यह तस्वीर कुछ और हो सकती थी।

चुनाव हारने के पांच कारण

-प्रत्याशी को देरी से टिकट मिला, इसलिए चुनाव प्रचार ठीक से नहीं हो पाया
-गुरुग्राम में पार्टी का संगठन बीते 10 सालों से नहीं है
-पार्टी नेता एकजुट नहीं थे, कई गुटों में बंटे हुए थे
-प्रत्याशी के लिए किसी राष्ट्रीय स्तर के प्रचारक की रैली व रोड शो का न होना
-राज बब्बर पर बाहरी होने का ठप्पा भी लगा, वह अपने आप को सभी से नहीं जोड़ सके

पार्टी कार्यालय पर सन्नाटा, कैंप आफिस में पहुंचे नेता

राज बब्बर की बढ़त खत्म होने के साथ ही कमान सराय स्थित कांग्रेस के जिला कार्यालय पर दोपहर दो बजे के बाद सन्नाटा पसर गया। वहीं राज बब्बर के सेक्टर 15 स्थित कैंप आफिस में शाम को भी बड़ी संख्या में कांग्रेस नेता और कार्यकर्ता पहुंचे। इस दौरान नेताओं में बेहतर और कड़े मुकाबले की बात सुनी गई।

करीब पांच घंटे तक रही लोगों में निराशा

भाजपा प्रत्याशी राव इंद्रजीत क्षेत्र की जीत के बाद लोगों ने लड्डू बांटे और जुलूस निकाल कर जीत का जश्न मनाया। करीब पांच घंटे तक कांग्रेस प्रत्याशी राज बब्बर की लीड ने राव समर्थकों में निराशा थी। अंत में राव की बढ़त के साथ पार्टी कार्यालय में कार्यकर्ताओं का हुजूम जमा होने लगा और जीत की घोषणा के साथ सभी कार्यकर्ता झूम उठे। इसके उपरांत कार्यकर्ताओं ने बाजार में विजय जुलूस निकाल कर एक दूसरे को बधाई दी। इस मौके पर पूर्व जिला उपप्रमुख संजीव यादव व अन्य लोगों आदि ने बताया कि इस बार जनता का गुड़गांव लोकसभा क्षेत्र से यह पहला अवसर है कि जब इतना कड़ा मुकाबला देखा गया है।

एक-दूसरे को मिठाई खिलाकर जीत का जश्न मनाया

दक्षिण हरियाणा को पूर्व मुख्यमंत्री स्व. राजा राव बिरेंद्र सिंह का गढ़ माना जाता है। राव इंद्रजीत सिंह की जीत से यह साबित हो गया कि राव इंद्रजीत जीत सिंह को चुनावी रण जीतने के लिए किसी स्टार प्रचारक की आवश्यकता नहीं है। पूरे चुनावी समर में मोदी फैक्टर का असर देखा गया। इधर, जिला भाजपा कार्यालय गुरुकमल में पार्टी नेताओं ने एक-दूसरे को मिठाई खिलाकर जीत का जश्न मनाया। इस मौके पर प्रदेश उपाध्यक्ष जीएल शर्मा, जिलाध्यक्ष कमल यादव, युवा मोर्चा के जिलाध्यक्ष मयंक निर्मल ने कहा कि यह विकास की जीत है। पार्टी आगे और सक्रियता से काम करेगी।

 

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