हरियाणा के सीएम नायब सिंह सैनी ने भगवंत मान को घेरा, हम खरीदते हैं, पंजाब भी MSP पर खरीदे सारी फसलें, किसानों पर लाठियां न चलवाएं

हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी और पंजाब के सीएम भगवंत मान।

नरेन्‍द्र सहारण, चंडीगढ़ : Haryana News: हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने हाल ही में पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान को किसानों के प्रति उनकी नीति पर विचार करने के लिए सलाह दी है। उन्होंने यह सुझाव दिया कि मान को किसानों को मजबूत करने के लिए प्रयास करना चाहिए, बजाय इसके कि वे उन पर लाठी चलवाने को प्राथमिकता दें। सैनी का यह बयान चंडीगढ़ में पत्रकारों के साथ बातचीत के दौरान आया, जिसमें उन्होंने अपनी किसान पृष्ठभूमि का जिक्र किया और किसानों की वास्तविक पीड़ा को समझने की आवश्यकता पर बल दिया।

किसानों के अधिकारों की सुरक्षा पर जोर

बुधवार को पंजाब की आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार ने किसानों को चंडीगढ़ में प्रदर्शन नहीं करने दिया। पुलिस ने पहले ही किसान नेताओं की धरपकड़ शुरू कर दी थी। इससे पहले, मान की किसानों के साथ मीटिंग में बहस हुई थी, जिसके कारण वह परेशान होकर बैठक से उठकर चले गए थे। इस घटनाक्रम के बाद सैनी ने कहा कि उन्हें खेद है कि पंजाब के मुख्यमंत्री अपने राज्य के किसानों को उकसा रहे हैं और इससे स्थिति और बिगड़ सकती है।

सैनी ने कहा, “मैं बार-बार यह प्रश्न उठाता हूं कि क्या कोई राज्य अपने किसानों को इस तरह से उकसा सकता है? अगर किसान आपसे सही मांग कर रहे हैं, तो उन्हें अनदेखा करने का क्या मतलब है? पंजाब सरकार को किसानों के प्रति अपने दायित्वों की पूर्ति करनी चाहिए और सुनिश्चित करना चाहिए कि उनकी फसलों की उचित कीमत मिले।”

हरियाणा की एमएसपी नीति

नायब सिंह सैनी ने बताया कि हरियाणा सरकार किसानों के हित में हर संभव प्रयास कर रही है। उन्होंने स्पष्ट किया कि हरियाणा में सरकार ने 100% फसल न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीदने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा, “यह हमारे लिए दिल का मामला है। मैं भी एक किसान का बेटा हूं और मुझे उनके दर्द को समझने में कोई कठिनाई नहीं है। जब कोई प्राकृतिक आपदा आती है, तो हरियाणा सरकार किसानों के साथ खड़ी होती है।”

सैनी ने कहा कि हरियाणा सरकार ने पहले 14 फसलों को एमएसपी  पर खरीदा था और अब यह सभी फसलों को इस पैमाने पर खरीदने का प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा, “किसानों की समस्याओं को समझने की क्षमता ही सरकार की सबसे बड़ी जिम्मेदारी है। हमें अपने किसानों को यह भरोसा दिलाना चाहिए कि उनकी फसल को उचित मूल्य पर खरीदा जाएगा।”

पंजाब सरकार का रुख और संवाद की कमी

सैनी ने पंजाब सरकार को सलाह दी कि उन्हें संवाद में कमी लानी चाहिए और अधिक कार्य करना चाहिए। उन्होंने कहा, “मुझसे पहले भी कहा गया था कि पंजाब सरकार को ठोस कदम उठाने चाहिए। किसानों के साथ मिलकर काम करें और उन्हें यह आश्वासन दें कि उनकी फसल को MSP पर खरीदा जाएगा। बिना किसी विवाद के, उन्हें राहत देने की आवश्यकता है।”

पंजाब के किसान भी अब अपने हक के लिए आवाज उठाने लगे हैं। उन्हें एमएसपी की कानूनी गारंटी की आवश्यकता महसूस हो रही है। इस पर संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम ) ने 26 फरवरी को मीटिंग कर 5 मार्च से अनिश्चितकालीन धरने का ऐलान किया था। इसका मुख्य उद्देश्य पंजाब सरकार से किसानों की समस्याओं का निबटारा कराना है।

मीटिंग में बहस और उसके परिणाम

4 मार्च को सीएम भगवंत मान ने किसानों के साथ एक मीटिंग बुलाई, जिसमें दोनों पक्षों के बीच बहस हो गई। भगवंत मान ने मीडिया से बताया कि किसानों ने उन्हें बताया कि धरने का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। इस पर मान ने कहा कि यह उनकी समझ से परे है कि अगर उनकी मांगें केवल केंद्र सरकार से जुड़ी हैं, तो वे क्यों बैठक में बैठकर समय बर्बाद कर रहे हैं।

मुख्यमंत्री मान ने यह भी कहा कि किसानों का आरोप गलत है कि उन्होंने धरने से डरकर बैठक बुलाई। उन्होंने स्पष्ट किया कि वह किसानों के हितों के पक्षधर हैं, लेकिन उन्होंने मीटिंग और धरने को एक साथ चलाना असामान्य बताया।

पंजाब सरकार की नीतियों की आलोचना
इस पूरे घटनाक्रम से स्पष्ट है कि हरियाणा के सीएम नायब सिंह सैनी ने किसानों की समस्याओं को गंभीरता से लिया है और पंजाब के किसानों के हितों की सुरक्षा के लिए विशेष ध्यान देने की आवश्यकता का संकेत दिया है। उनके द्वारा दिए गए सुझावों में न केवल पंजाब सरकार की नीतियों की आलोचना है, बल्कि एक मजबूत प्रशासनिक ढांचा बनाने की आवश्यकता को भी दर्शाता है, जिसमें किसानों की समस्या का अंतिम समाधान पहले प्राथमिकता हो।

किसानों के अधिकारों की सुरक्षा केवल न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में नहीं, बल्कि उन सुविधाओं में भी होनी चाहिए, जो उन्हें मजबूत बनाती हैं। यदि पंजाब सरकार वास्तव में किसानों की भलाई के लिए समर्पित है, तो उसे नायब सिंह सैनी की सलाह पर विचार करना चाहिए और अपनी नीतियों को ऐसे ढंग से तैयार करना चाहिए, जिससे किसानों की समस्याओं का समय पर समाधान हो सके।

इस संदर्भ में, स्पष्टता और संवाद की कमी अब किसान आंदोलन को और भड़का सकती है। इससे न केवल किसानों की स्थिति खराब होगी, बल्कि सरकारों की छवि भी दागदार होगी। पंजाब और हरियाणा दोनों राज्यों की सरकारों को इस दिशा में तत्परता से कार्रवाई करनी होगी, ताकि किसान विकास की इस यात्रा में सहभागी बन सकें और उनकी उपेक्षा न हो।

 

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