Haryana Congress: हरियाणा में विधानसभा चुनाव हारे प्रत्याशियों ने फिर ईवीएम पर फोड़ा ठीकरा, अदालत जाने की तैयारी में कांग्रेस

पूर्व मंत्री करण सिंह दलाल।

नरेन्‍द्र सहारण , चंडीगढ़ : Haryana Politics: हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार के बाद पार्टी नेताओं ने एक बार फिर इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) पर सवाल उठाए हैं। चुनाव में हारे हुए कांग्रेस प्रत्याशियों ने ईवीएम के उपयोग और अन्य अनियमितताओं को लेकर गंभीर आरोप लगाए हैं। हार के कारणों की जांच के लिए कांग्रेस ने पूर्व मंत्री करण सिंह दलाल की अध्यक्षता में एक आठ सदस्यीय समिति का गठन किया है। शनिवार को नई दिल्ली में इस समिति की बैठक हुई, जिसमें कांग्रेस उम्मीदवारों से फीडबैक लिया गया और उनके आरोपों को सुना गया।

फीडबैक और आरोपों की समीक्षा

 

बैठक में पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह, मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, हरियाणा मामलों के सह-प्रभारी जितेंद्र बघेल, पूर्व प्रदेशाध्यक्ष धर्मपाल सिंह मलिक, और पूर्व मंत्री आफताब अहमद जैसे वरिष्ठ नेता मौजूद थे। बैठक में हारे हुए प्रत्याशियों से चुनावी धांधली और हार के कारणों पर चर्चा की गई। समिति ने प्रत्याशियों से चार अहम सवाल पूछे। पहला सवाल पुलिस की भूमिका से जुड़ा था, जिसमें यह जानने की कोशिश की गई कि क्या चुनाव के दौरान पुलिस ने निष्पक्षता से काम किया। दूसरा सवाल अधिकारियों द्वारा भाजपा की मदद के आरोपों को लेकर था।

तीसरे सवाल में भाजपा द्वारा धर्म के नाम पर वोट मांगे जाने की बात पूछी गई, जबकि चौथे सवाल में बूथों पर वेब कास्टिंग और मतदान प्रक्रिया की खामियों पर चर्चा हुई। इन सवालों के आधार पर प्रत्याशियों ने अपनी शिकायतें और आरोप साझा किए। खासतौर पर ईवीएम की भूमिका को लेकर प्रत्याशियों ने गहरी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि ईवीएम में धांधली और मतगणना में अनियमितताएं होने के सबूत हैं।

ईवीएम पर उठे गंभीर सवाल

 

बैठक में कांग्रेस प्रत्याशियों ने आरोप लगाया कि भाजपा ने चुनाव जीतने के लिए धनबल और सत्ता बल का जमकर दुरुपयोग किया। उन्होंने निर्दलीय और क्षेत्रीय दलों के प्रत्याशियों को पैसे बांटने के आरोप भी लगाए। इसके अलावा, कई उम्मीदवारों ने ईवीएम में गड़बड़ियों का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि कुछ स्थानों पर ईवीएम की बैटरी का स्तर 99 प्रतिशत तक बना रहा, जो संदेहास्पद है। कांग्रेस ने यह भी दावा किया कि सात अक्टूबर को चुनाव आयोग द्वारा वोटिंग अपडेट करने के बाद अचानक मतदान प्रतिशत में 2.25 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई, जिससे पार्टी को नुकसान हुआ।

सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी

 

कांग्रेस सह-प्रभारी जितेंद्र बघेल ने मीडिया से बातचीत में कहा कि बैठक सकारात्मक माहौल में हुई और अधिकतर प्रत्याशियों ने अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने बताया कि चुनाव में हुए दुरुपयोग और अनियमितताओं के सबूत जुटा लिए गए हैं, जिन्हें पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को सौंपा जाएगा। पार्टी इन सबूतों के आधार पर आगे की रणनीति तैयार करेगी और संभवतः सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगी।

सरकार पर आरोप

 

बैठक के बाद कमेटी के चेयरमैन करण सिंह दलाल ने दावा किया कि सरकार ने चुनाव के दौरान अधिकारियों का दुरुपयोग किया। उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग भाजपा के प्रभाव में काम कर रहा था और चुनाव प्रक्रिया निष्पक्ष नहीं थी। दलाल ने कहा, “हरियाणा में कांग्रेस की स्थिति अच्छी थी, लेकिन अचानक चुनाव का पूरा परिदृश्य बदल गया।” उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा ने चुनाव आयोग को अपनी कठपुतली बना लिया और प्रशासनिक अधिकारियों का इस्तेमाल चुनावी प्रक्रिया को प्रभावित करने के लिए किया। दलाल ने कहा कि सभी कांग्रेस नेताओं ने चुनाव में हुई गड़बड़ियों की शिकायत की है, और बैठक में केवल इसी मुद्दे पर चर्चा हुई। समिति अब अपनी रिपोर्ट हाईकमान को सौंपेगी, जिसके बाद कोर्ट में मामला ले जाया जाएगा।

कुछ नेता रहे गैरहाजिर

 

बैठक में कांग्रेस की वरिष्ठ नेता कुमारी सैलजा के दो समर्थक उम्मीदवार असंध से शमशेर सिंह गोगी और हिसार से रामनिवास राड़ा नहीं पहुंच सके। हालांकि, अधिकांश उम्मीदवारों ने समिति के सामने अपनी शिकायतें रखीं और पार्टी को सबूत सौंपे।

कुल मिलाकर, कांग्रेस की हार के बाद पार्टी के नेता चुनाव प्रक्रिया में खामियों और प्रशासनिक दुरुपयोग के मुद्दे को लेकर सख्त कदम उठाने की तैयारी में हैं। पार्टी का मानना है कि चुनाव में ईवीएम के दुरुपयोग और अन्य अनियमितताओं ने भाजपा को फायदा पहुंचाया। कांग्रेस अब हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में इन मुद्दों को उठाने की योजना बना रही है, ताकि चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित हो सके।

 

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