Haryana Election 2024: जानें कैसे दूर हुई सैलजा की नाराजगी, किसने सुलझाया विवाद
नरेन्द्र सहारण, चंडीगढ़। Haryana Election 2024: हरियाणा कांग्रेस में मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर विवाद के चलते प्रचार अभियान से दूर चल रहीं कांग्रेस महासचिव और सांसद कुमारी सैलजा को मना लिया गया है। टिकट बंटवारे में अनदेखी, विधानसभा चुनाव नहीं लड़ने देने और आपत्तिजनक टिप्पणी को लेकर नाराज चल रही सैलजा को मनाने के लिए राहुल गांधी ने मल्लिकार्जुन खड़गे की ड्यूटी लगाई। खुद मोबाइल पर मैसेज भेजकर उन्हें पार्टी अध्यक्ष से मिलने को कहा। खड़गे ने सैलजा को सीएम के चेहरे के रूप में उनके नाम पर चर्चा करने का भरोसा दिलाया। इसके बाद सैलजा प्रचार के लिए तैयार हुईं। अब वह गुरुवार को नरवाना से कांग्रेस उम्मीदवार सतबीर दबलैन के लिए प्रचार करेंगी।
प्रचार कार्यक्रम दोबारा बनाया गया
दरअसल, हरियाणा कांग्रेस ने राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के दौरों का जो शेड्यूल तैयार किया था, उसमें सैलजा-सुरजेवाला समर्थकों के नाम नहीं थे। इस पर भी सैलजा ने आपत्ति जताई। फिर प्रचार कार्यक्रम दोबारा बनाया गया। अब राहुल गांधी 26 सितंबर को सबसे पहले सैलजा समर्थक शमशेर गोगी के लिए वोट मांगने असंध पहुंचेंगे। माना जा रहा है कि राहुल गांधी ने सैलजा का मान रखने और उनकी नाराजगी दूर करने के लिए ही असंध से प्रचार अभियान की शुरुआत करने पर सहमति जताई है। सैलजा के साथ हुड्डा भी चुनाव प्रचार के दौरान राहुल गांधी के साथ होंगे।
हुड्डा और सैलजा मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार
हरियाणा कांग्रेस में सीएम के चेहरे को लेकर विवाद किसी से छिपा नहीं है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कुमारी सैलजा अपने को मुख्यमंत्री पद का प्रबल दावेदार मान रहे हैं। सैलजा के लिए मुश्किल यह कि टिकट वितरण में हुड्डा बाजी मार ले गए हैं, जो 89 में से 72 टिकट अपने समर्थकों को दिलाने में सफल रहे। समर्थकों के लिए 30 से 35 सीटें मांगने वाली सैलजा के हाथ केवल 10 सीटें लगीं। यहां तक कि वे बेहद करीबी डा.अजय चौधरी को नारनौंद विधानसभा सीट से भी टिकट नहीं दिलवा सकीं।
ऐसे में अपना दावा मजबूत करने के लिए सैलजा लगातार केंद्रीय नेतृत्व के यहां सीएम फेस को लेकर अपना दावा ठोंक रही हैं। दलित मुख्यमंत्री के रूप में उनकी दावेदारी को सीएम के लिए लड़ी जा रही कांग्रेस पार्टी की आंतरिक लड़ाई के रूप में देखा जा रहा है। पार्टी नेतृत्व की ओर से उन्हें आश्वासन दिया गया है कि सीएम का चेहरा संसदीय बोर्ड तय करेगा। फिलहाल कांग्रेस बाकी राज्यों की तरह हरियाणा में भी सीएम का चेहरा घोषित किए बगैर चुनाव लड़ रही है।
जातिगत टिप्पणी से नाराजगी
सैलजा की नाराजगी की दूसरी बड़ी वजह नारनौंद में कांग्रेस उम्मीदवार जस्सी पेटवाड़ के नामांकन कार्यक्रम में एक समर्थक द्वारा जातिगत टिप्पणी करना रहा है। इस मामले ने तूल पकड़ा और जगह-जगह विरोध भी हुआ। हरियाणा में 12 सितंबर को नामांकन के अंतिम दिन कांग्रेस ने उम्मीदवारों की अंतिम सूची जारी की थी। तब से ही कुमारी सैलजा चुप थीं और प्रचार से दूरी बनाए हुए थीं।
राज्य की 21 सीटों पर सैलजा का प्रभाव
हरियाणा में सैलजा बड़ा दलित चेहरा हैं। प्रदेश में 17 विधानसभा सीटें आरक्षित हैं। इसके अलावा सिरसा और फतेहाबाद की विधानसभा सीटों पर भी सैलजा का प्रभाव है। करीब 21 विधानसभा सीटें हैं, जहां कुमारी सैलजा प्रभाव रखती हैं। प्रदेश में चूंकि 22 प्रतिशत दलित वोट बैंक में सैलजा की अच्छी पकड़ है, ऐसे में सैलजा की नाराजगी पार्टी को भारी पड़ रही थी। भाजपा भी उनकी नाराजगी को चुनाव में खूब भुनाने में लगी हुई है। सैलजा के चुनाव प्रचार में आने के बाद अब कांग्रेस अपने पूर्व में हुए दलित वोटों के नुकसान की भरपाई करने की कोशिश करेगी।
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