Haryana Election 2024: भाजपा में बादशाहपुर को लेकर घमासान हुआ शांत, शाह से मुलाकात के बाद राव नरबीर हुए आश्वस्त

राव नरबीर सिंह की केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात के बाद समर्थकों में मिठाई बांटी गई।

नरेन्द्र सहारण, गुरुग्राम: Haryana Election 2024: हरियाणा की सबसे बड़ी विधानसभा सीट बादशाहपुर को लेकर भाजपा में मचा घमासान मंगलवार दोपहर बाद काफी हद तक शांत हो गया। नई दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से बादशाहपुर से टिकट के लिए प्रबल दावेदार राव नरबीर की मुलाकात के बाद यह तय हो गया है कि वह पार्टी में ही रहेंगे। पिछले कई दिनों से कांग्रेस में उनके जाने के कयास लगाए जा रहे थे। उन्होंने स्वयं भी कई बार यह बयान दिया था कि वह पार्टी के सिपाही हैं। वर्ष 2014 से 2019 के दौरान पूरी ईमानदारी से काम किया था। गुरुग्राम में विकास की गंगा बहाई थी। इसके बाद भी उन्हें पिछली बार टिकट बंटवारे में नजरअंदाज कर दिया गया था। यदि इस बार भी नजरअंदाज किया गया तो निर्दलीय या किसी अन्य पार्टी से चुनाव लड़ना उनकी मजबूरी होगी क्योंकि उनके ऊपर चुनाव लड़ने का दबाव जनता की ओर से है।

सबसे अधिक घमासान बादशाहपुर को लेकर

जिले में चार विधानसभा सीट हैं। इनमें गुड़गांव, बादशाहपुर, सोहना एवं पटौदी शामिल हैं। सभी सीटों को लेकर भाजपा में घमासान मचा हुआ है। सबसे अधिक घमासान बादशाहपुर में था क्योंकि टिकट के लिए सबसे मजबूत दावेदार राव नरबीर सिंह बगावती मूड में आ गए थे। पिछले कई दिनों से पूरी पार्टी ही नहीं बल्कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी स्थिति को संभालने में जुटी थी क्योंकि इस बार वर्ष 2014 एवं 2019 वाली लहर नहीं है। ऐसे में एक-एक नेता को संभालकर रखना पार्टी की मजबूरी है। सूत्र बताते हैं कि कांग्रेस की निगाह भाजपा के असंतुष्ट नेताओं के ऊपर है। इसे देखते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने मोर्चा संभाल लिया है। संभवत उसी का परिणाम है कि बादशाहपुर से टिकट के लिए मचा घमासान मंगलवार शाम को लगभग शांत हो गया।

राव नरबीर सिंह सबसे प्रबल दावेदार

क्षेत्र से राव नरबीर सिंह के अलावा जिलाध्यक्ष कमल यादव, प्रदेश मुख्य प्रवक्ता जवाहर यादव एवं युवा मोर्चा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष मनीष यादव प्रबल दावेदार हैं। चारों की पार्टी ही नहीं बल्कि क्षेत्र में भी मजबूत पकड़ है। राव नरबीर सिंह सबसे प्रबल दावेदार इसलिए माने जाते हैं क्योंकि उन्होंने बादशाहपुर से पहली बार कमल खिलाया था। पिछली बार उनका टिकट काटकर मनीष यादव को दिया गया लेकिन मोदी लहर के बाद भी वह हार गए थे। उन्हें निर्दलीय दिवंगत राकेश दौलताबाद ने हराया था।

इस बार राकेश दौलताबाद की पत्नी कुमुदनी राकेश दौलताबाद मैदान में हैं। उन्हें क्षेत्र के लोगों ने महापंचायत कर चुनाव लड़ने के लिए तैयार किया है। उनके सहानुभूति का भी लाभ मिलने वाला है। पिछली बार से कांग्रेस की स्थिति काफी मजबूत है। ऐसे में इस बार भाजपा का कमल वही खिला पाएगा जिसकी क्षेत्र में व्यक्तिगत स्तर पर भी पकड़ है। इसे ध्यान में रखकर पार्टी कोई जोखिम मोल लेना नहीं चाहती है। हर हाल में कुनबे को संभालकर रखना भाजपा की मजबूरी है।

समर्थकों ने जमकर की आतिशबाजी

 

राव नरबीर सिंह की केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की सूचना सामने आते ही समर्थकों का उत्साह चरम पर पहुंच गया। खुशी का इजहार करते हुए समर्थकों ने सिविल लाइंस इलाके में ऐसी आतिशबाजी की जैसे दीपावली हो। राव नरबीर सिंह के चेहरे का भाव भी बता रहा है कि वह केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मिलकर काफी खुश हैं। राजनीतिक जानकार बताते हैं कि घमासान को ठंडाकर भाजपा ने बेहतर संदेश दिया है। इस समय भाजपा और कांग्रेस दोनों की स्थिति बराबर है। ऐसे में एक-एक नेता को संभालकर रखना ही बेहतर रणनीति है। जो पार्टी एक सुर में दिखाई देगी, वही सफल होगी। जहां भी असंतोष होगा, वहां नुकसान होगा, क्योंकि लहर किसी के पक्ष में नहीं। जब लहर होती है तो अंसतोष कोई मायने नहीं रखता है।

 

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