हरियाणा में चल रहा नया खेल: राजस्थान, पंजाब व गुजरात में चलेंगी यहां की कंडम स्कूल बसें, NOC के लिए फाइलों का ढेर लगना शुरू

नरेन्द्र सहारण, करनाल। Condom School Buses: महेंद्रगढ़ में हुए स्कूल बस हादसे के बाद हरियाणा सरकार के निर्देश पर पूरे प्रदेश में परिवहन विभाग की ओर स्कूली वाहनों की गहनता से जांच की गई थी। कई ऐसे वाहन भी पकड़ में आए, जिनके पास पिछले चार साल से फिटनेस प्रमाणपत्र ही नहीं है। ऐसे वाहनों का बकाया टैक्स जमा करते हुए स्कूल संचालकों ने वाहनों की पासिंग कराई। वहीं हरियाणा के शिक्षण संस्थानों की पुरानी हो चुकी बसें अब नए रूप में राजस्थान, पंजाब, छत्तीसगढ़ और गुजरात में चलेंगी। निजी स्कूलों की ओर से खटारा हो चुकी पुरानी बसों को दूसरे प्रदेशों में या एनसीआर से बाहर के जिलों में बेचा जा रहा है। इसके लिए परिवहन विभाग के पास एनओसी लेने के लिए फाइलों का ढेर लगना भी शुरू हो गया है।

करीब 650 बसों की एनओसी जारी करने की प्रक्रिया

 

करनाल जिले से 34 बसों की एनओसी गुजरात के झूनागढ़, पंजाब के संगरूर के लिए कट चुकी है। कुछ स्कूलों ने छत्तीसगढ़ के जशपुर और राजस्थान के झूंझनू आदि में बसें भेजने की योजना बनाई है। इनकी फाइलें तैयार की जा रही हैं। इसी तरह प्रदेश में करीब 650 बसों की एनओसी जारी करने की प्रक्रिया चल रही है। अधिकारियों के अनुसार, परिवहन विभाग के पास करीब 41 हजार बसें पंजीकृत हैं, इनमें से करीब 35 हजार की जांच हुई है। इनमें से करीब 20 प्रतिशत बसों के पास फिटनेस प्रमाणपत्र नहीं थी। करीब एक हजार बसें ऐसी भी रही, जिनकी समय सीमा लगभग पूरी हो चुकी है या पूरी होने वाली है, अब इन बसों को स्कूल प्रदेश से बाहर भेजने में लगे हैं।

समय सीमा पूरी करने वाले वाहनों को बेचा जा रहा दूसरे राज्यों में

 

वहीं जो वाहन 15 साल की समय सीमा पूरी करने वाले हैं, ऐसे वाहनों को दूसरे प्रदेश की शिक्षण संस्थाएं एवं ट्रांसपोर्टरों को यहां से एनओसी लेकर बेचा जा रहा है। वहीं जो वाहन 10 साल की समय सीमा पूरी कर चुके हैं, उन्हें एनसीआर से बाहर के जिले कैथल, कुरुक्षेत्र और यमुनानगर आदि के स्कूलों को बेचा जा रहा है, ताकि जांच में पकड़े न जाएं।

कबाड़ में कटवाने की बजाय बेचने का रास्ता ढूंढा

राजस्थान, गुजरात और छत्तीसगढ़ के ग्रामीण क्षेत्रों में छोटी बसें ज्यादा चलती हैं। ऐसे में स्कूल संचालकों ने वहां के ट्रांसपोर्टरों के साथ संपर्क कर पुरानी बसों को बेच रहे हैं। करनाल के कई नामी स्कूलों की बसें गुजरात में एक शिक्षण ट्रस्ट और ट्रांसपोर्टर को बेची गई हैं, जोकि इन बसों को मोडिफाई करके नया रूप देकर संचालन करेंगे। अन्यथा इन पुरानी बसों को या तो कबाड़ में बेचना पड़ता या फिर पकड़े जाने पर विभाग इंपाउंड करता। बेचने पर कीमत भी ठीक मिल रही है।

15 साल पूरे होने के बाद नहीं मिलती एनओसी

सड़क सुरक्षा विशेषज्ञ एडवोकेट संदीप राणा का कहना है कि एनसीआर क्षेत्र में डीजल वाहन को दस साल तक ही चलाया जा सकता है, जबकि वाहन की वैधता 15 वर्ष तक होती है। ऐसे में इन वाहनों को दस साल बाद एनसीआर से बाहर चलाया जा सकता है। परिवहन विभाग के निरीक्षक सुरेंद्र सैनी के अनुसार, 15 साल की आयु पूरी होने के बाद वाहन की एनओसी नहीं जारी होती। वाहन की स्थिति ठीक होने पर केवल एनसीआर क्षेत्र से बाहर पासिंग हो सकती है।

पासिंग मैदान में नई बसें भी आने लगीं

करनाल के डीटीओ विजय देसवाल ने कहा कि कई स्कूल बसों की एनओसी जारी हो चुकी है। कई स्कूल बसों ने एनओसी अभी लेनी है, इसके लिए उनकी ओर से पासिंग कराते हुए फिटनेस प्रमाणपत्र लिया गया है, इस पर भी एनओसी के लिए अंडरटेकिंग दी गई है। करनाल से कई बसें गुजरात, पंजाब और राजस्थान गई हैं। पासिंग मैदान में अब नई बसें भी आने लगी हैं। लापरवाही मिलने पर अब सख्त कार्रवाई ही करेंगे।

Tag- Haryana News, Condom school buses, NOC For Buses, Haryana transport Department

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