Haryana Political Crisis: हरियाणा में अल्पमत वाली नायब सैनी सरकार की मुश्किलें बढ़ीं, जानें कैसे

नायब सैनी।

नरेन्द्र सहारण, चंडीगढ़। Haryana Political Crisis: लोकसभा चुनाव के नतीजे विधानसभा का भी गणित बदलेंगे। मुख्यमंत्री नायब सैनी की सरकार को समर्थन दे रहे बादशाहपुर के निर्दलीय विधायक राकेश दौलताबाद के निधन से विधानसभा में एक और सीट खाली हो गई है। 90 सदस्यीय विधानसभा में अब 87 विधायक हैं। इनमें से भी पांच विधायक कांग्रेस के वरुण मुलाना और राव दान सिंह, भाजपा के मोहनलाल बडोली, इनेलो के अभय सिंह चौटाला और जजपा की नैना चौटाला लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं। इनमें से कोई भी विधायक लोकसभा चुनाव जीता तो उसे विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देना होगा। वहीं, करनाल विधानसभा सीट के उपचुनाव के नतीजे विधानसभा की उम्र भी तय करेंगे। मुख्यमंत्री नायब सिंह को पूरे समय तक विधानसभा का कार्यकाल बनाए रखने के लिए यह सीट जीतना जरूरी है।

बहुमत पर फिर सवाल उठ गया

लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल और बिजली मंत्री रणजीत सिंह चौटाला विधायक पद से इस्तीफा दे चुके हैं, जिसके कारण विधानसभा की दो सीट पहले से रिक्त थीं। इनमें से एक करनाल सीट पर उपचुनाव हुआ है। बादशाहपुर के निर्दलीय विधायक राकेश दौलताबाद के आकस्मिक निधन से ढाई माह पुरानी नायब सैनी की सरकार के सदन में बहुमत पर फिर सवाल उठ गया है। हरियाणा विधानसभा में सदस्यों की संख्या 88 से घटकर 87 रहने पर सदन में बहुमत का आंकड़ा 45 से घटकर 44 हो गया है। सत्तारूढ़ भाजपा के पास 40, कांग्रेस के पास 30 विधायक, जजपा के पास 10 और इनेलो के पास एक विधायक है। निर्दलीय विधायक रणजीत सिंह चौटाला के इस्तीफे और राकेश दौलताबाद के निधन के बाद अब विधानसभा में पांच निर्दलीय विधायक हैं, जिनमें से तीन विधायकों नीलोखेड़ी से धर्मपाल गोंदर, पूंडरी से रणधीर सिंह गोलन और दादरी से विधायक सोमवीर सांगवान ने सरकार से समर्थन वापस ले लिया है। महम के निर्दलीय विधायक बलराज कुंडू पहले ही सरकार से अलग हो चुके हैं। इस तरह अब सिर्फ एक निर्दलीय विधायक नयनपाल रावत सरकार के साथ हैं, जबकि हरियाणा लोकहित पार्टी के विधायक गोपाल कांडा भी पहले दिन से सरकार को समर्थन दे रहे हैं।

यह है विधानसभा का गणित

वर्तमान में भाजपा के पास कुल 42 विधायक हैं, यानी बहुमत से दो कम। कांग्रेस के पास 30 सीटें हैं और तीन निर्दलीय विधायकों का समर्थन है। इस तरह कांग्रेस के पास 33 विधायक हैं। यानी बहुमत से 12 कम। हालांकि अगर विधानसभा में फ्लोर टेस्ट होता है तो जजपा के कुछ विधायक इस्तीफा दे सकते हैं, जिससे मुख्यमंत्री नायब सैनी को बहुमत हासिल करने में कोई दिक्कत नहीं होगी। दूसरी संभावना यह भी है कि जजपा के बागी विधायक सरकार के समर्थन में मतदान कर दें। हालांकि इससे उनकी विधानसभा सदस्यता जा सकती है, लेकिन सरकार पर खतरा टल जाएगा।

 

 

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