Haryana Politics: भूपेंद्र सिंह हुड्डा को विधायक दल का नेता बनाने का कांग्रेस विधायकों ने बढ़ाया दबाव, सक्रिय हुए पिता-पुत्र

नरेन्‍द्र सहारण, चंडीगढ़ : Haryana Politics: हरियाणा में विधानसभा चुनाव के परिणामों के लगभग सात महीने बाद, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और उनके सांसद बेटे दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने अपनी राजनीतिक सक्रियता को फिर से तेज कर दिया है। उनके नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी ने अपने कार्यकर्ताओं के उत्साह को फिर से जगाने की योजना बनाई है। चुनाव परिणामों के बाद, पार्टी के कई कार्यकर्ता निराश होकर घरों में बैठ गए थे और ऐसे में हुड्डा का प्रयास है कि उन्हें फिर से संगठित किया जाए।

दीपेंद्र को दिया गया बड़ा जिम्मा

भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने अपने बेटे दीपेंद्र को निर्देश दिया है कि वे पूरे प्रदेश का दौरा करें और कांग्रेस कार्यकर्ताओं से संवाद स्थापित करें। यह कदम इसलिए उठाया गया है ताकि पार्टी के कार्यकर्ता फिर से जोश में आ सकें। दीपेंद्र की रणनीति में पार्टी कार्यकर्ताओं के निजी कार्यक्रमों में भाग लेना शामिल है, जिससे पार्टी की जड़ें फिर से मजबूत हो सकें।

विधानसभा स्तर पर मिलेंगे पार्टी कार्यकर्ता

भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने तय किया है कि वे विधानसभा स्तर पर कार्यकर्ताओं से मुलाकातों का सिलसिला तेज करेंगे। इससे न केवल कार्यकर्ताओं को प्रेरणा मिलेगी, बल्कि पार्टी संगठन को भी मजबूती मिलेगी। इसी क्रम में, शनिवार को दीपेंद्र ने दादरी, झज्जर, रोहतक और हिसार में विभिन्न कार्यक्रमों में भाग लिया है, जिससे कार्यकर्ताओं से उनकी मुलाकातों का सिलसिला शुरू किया जा सके।

कांग्रेस का फोकस संगठन को मजबूत करना

इस समय कांग्रेस हाईकमान का मुख्य ध्यान संगठन को पुनः सक्रिय करने पर है। कांग्रेस प्रभारी बीके हरिप्रसाद ने अपने चंडीगढ़ प्रवास के दौरान स्पष्ट किया है कि संगठन की मजबूती के बाद विधायक दल के नेता का चयन किया जाएगा। इससे यह संकेत मिलता है कि पार्टी अब पहले अपने आधार को मजबूत करना चाहती है, जिसके बाद ही अन्य निर्णय लिए जाएंगे।

विधायकों की नाराजगी और नेतृत्व का प्रश्न

हरियाणा में कांग्रेस विधायक दल के नेता का नाम अब तक घोषित नहीं किया गया है, जिससे पार्टी के विधायक नाराज हैं। पिछले दो विधानसभा सत्रों में विपक्ष के नेता के बिना काम करने पर विधायक असंतोष व्यक्त कर रहे हैं। भूपेंद्र सिंह हुड्डा अब तक विधानसभा में विपक्ष के नेता की भूमिका में दिख रहे हैं, लेकिन कांग्रेस हाईकमान ने स्थिति को स्पष्ट नहीं किया है।

हुड्डा का राजनीतिक कद

हरियाणा में हुड्डा और दीपेंद्र का राजनीतिक कद किसी से छिपा नहीं है। उनके योगदान के बिना कांग्रेस के लिए चुनावों में सफलता पाना मुश्किल था। हाल ही में हुड्डा के नेतृत्व में दिल्ली में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के खिलाफ प्रदर्शन किया गया था। इस प्रदर्शन में चार सांसद शामिल हुए, लेकिन बाहर के कुछ प्रमुख नेता अनुपस्थित रहे थे। इस प्रदर्शन में विधायक आदित्य सुरजेवाला, जो रणदीप सिंह सुरजेवाला के बेटे हैं, ने अपने समर्थन से पार्टी के विधायक संख्‍या में हुड्डा का समर्थन दिखाया।

जल्दबाज़ी न करना, लेकिन प्राथमिकता

कांग्रेस विधायक चाहते हैं कि उनके नेता का नाम जल्दी घोषित किया जाए, ताकि उन्हें सत्तारूढ़ भाजपा द्वारा राजनीतिक तानों का सामना न करना पड़े। विधायक बीके हरिप्रसाद और अन्य पार्टी नेताओं से इस संबंध में चर्चा कर चुके हैं। पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को भी इस मुद्दे के बारे में जानकारी दी गई है। यह सर्वविदित है कि हरियाणा में विधायक दल का नेता घोषित किए बिना पार्टी की स्थिति मजबूत नहीं हो सकती।

संभावित परिणाम और आगे की दिशा

यदि भूपेंद्र सिंह हुड्डा विधायक दल के नेता नहीं बन पाते तो उनकी पसंद के किसी दूसरे विधायक को यह जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है। हालांकि ऐसा होने की संभावना कम नजर आ रही है। कांग्रेस विधायकों की एक स्पष्ट धारा है जो चाहती है कि हुड्डा को ही पार्टी की बागडोर दी जाए जो उन्हें सत्ता विरोधी दल के रूप में एकजुट रखेगी।

बड़ा कदम

हरियाणा में कांग्रेस पार्टी की भूमिका और संगठन को मजबूती प्रदान करने के लिए भूपेंद्र और दीपेंद्र का प्रयास महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। ऐसी स्थिति में उनके आपसी सहयोग और कार्यकर्ताओं के साथ संवाद बनाए रखने की आवश्यकता है। इससे न केवल पार्टी की एकता बनी रहेगी, बल्कि यह सत्तारूढ़ दल के विपक्ष में मजबूती से खड़ा रह पाने में भी सहायक होगा। भविष्य में यदि कांग्रेस निकट भविष्य में अपने नेता की पहचान कर लेती है तो यह पार्टी के लिए सकारात्मक दिशा में एक बड़ा कदम होगा।

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