Kaithal News: पूर्व पार्षद 4 लाख रिश्वत लेता पकड़ा गया: कैथल डीसी के नाम पर मांगे रुपए, व्यापारी को धमकाया

गिरफ्तार पूर्व पार्षद कमल मित्तल के खिलाफ कार्रवाई करती एसीबी की टीम।
नरेन्द्र सहारण, कैथल। Kaithal News: हरियाणा के कैथल में एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) की टीम ने पूर्व पार्षद कमल मित्तल को 4 लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगेहाथ पकड़ा है। यह गिरफ्तारी तब हुई जब आरोपी ने एक व्यापारी से पैसे मांगने के लिए दबाव डाला था। आरोपी ने व्यापारी को धमकी देते हुए कहा कि यदि उसे पैसे नहीं दिए गए तो उसके खिलाफ कार्रवाई सुनिश्चित है। व्यापारी ने इस मामले की रिपोर्ट एंटी करप्शन ब्यूरो को की, जिसके बाद कार्रवाई की गई।
पूर्व पार्षद कमल मित्तल की पहचान
गिरफ्तार किए गए व्यक्ति की पहचान सेक्टर-19 निवासी कमल मित्तल के रूप में हुई है, जो पहले ही अपने मनमाने तरीकों से धन वसूलने के लिए जाना जाता था। वह विभिन्न शिकायतें कराने और समझौता करने के बदले पैसे ऐंठने का काम करता था। एंटी करप्शन ब्यूरो की टीम अब इस मामले की गहराई से छानबीन कर रही है ताकि यह पता लगाया जा सके कि कमल मित्तल किन अधिकारियों के संपर्क में था और उसने अब तक कितने रुपये इस तरीके से हड़पे हैं।
व्यापारी संदीप गर्ग की शिकायत
इस मामले की शुरुआत उस समय हुई जब कैथल निवासी व्यापारी संदीप गर्ग ने 18 मार्च को एंटी करप्शन ब्यूरो को शिकायत दी। संदीप ने बताया कि उसके पास पुराने बस स्टैंड के पास जमीन है, जहां उसने एक बिल्डिंग का निर्माण किया था। कमल मित्तल ने इसकी शिकायत कर दी और उसकी बिल्डिंग को सील करवा दिया। व्यापारी को इस समस्या का समाधान पाने के लिए लगातार सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने पड़े, और उसे कुछ कागजात भी तैयार कराने पड़े, लेकिन मामला हल नहीं हो सका।
वसूली का तरीका
संदीप गर्ग ने आगे बताया कि उसने कमल मित्तल से संपर्क किया और उसे 5 लाख 20 हजार रुपये दिए, जिसके बाद उसकी बिल्डिंग की सील खुलवाने में मदद मिली। हालांकि, मित्तल ने इसके बावजूद RTI और CM विंडो पर उसकी फिर से शिकायत कर दी। संदीप गर्ग ने जब कमल मित्तल से पूछा कि उसने तो पहले ही पैसे दिए थे, तो मित्तल ने जवाब दिया कि “कुछ पैसे DC को भी देना हैं। बड़े अधिकारी हैं, उन्हें हिस्सा नहीं मिला तो कार्रवाई हो जाएगी।” इस बातचीत के बाद मित्तल ने 4 लाख रुपये की डिमांड रखी।
ACB की कार्रवाई
संदीप गर्ग ने कमल मित्तल की मांग सुनकर यह समझ लिया कि यदि उसने पैसे दे दिए तो मित्तल उसे हर बार परेशान करेगा। ऐसे में, संदीप ने एंटी करप्शन ब्यूरो से संपर्क कर पूरी जानकारी दी। एसीबी ने मामले की गंभीरता को देखते हुए संदीप के साथ मिलकर जाल बिछाया। उन्होंने संदीप को 4.20 लाख रुपये देकर उसे कमल मित्तल के बताए गए होटल में भेज दिया। जैसे ही कमल ने वह पैसे स्वीकार किए, एंटी करप्शन ब्यूरो की टीम ने उसे रंगेहाथ दबोच लिया।
पूर्व पार्षद का राजनीतिक इतिहास
कमल मित्तल कांग्रेस पार्टी का समर्थक है, जिसने 2005 में एमसी का चुनाव लड़ा था और वार्ड नंबर 10 से पार्षद के रूप में निर्वाचित हुआ था। तब से, वह सरकारी दफ्तरों में काम करने की प्रक्रिया को समझने में सफल रहा और वहां से अपने लिए धन वसूलने का एक जाल बुनने में जुट गया। उसने कई डाक्टरों, व्यापारियों, और अन्य पेशेवरों को लक्ष्य बनाकर उनकी शिकायतें सीएम विंडो और RTI के जरिए उठाई।
व्यवसायियों और डॉक्टर्स को किया शिकार
कमल मित्तल ने खुद को इस धंधे में रंगीन करने के लिए कई तरह के व्यवसाय संबंधी और अन्य पहचान पत्र भी बनवाए थे। इन पहचान पत्रों का उपयोग करके उसने कई व्यापारियों और डाक्टरों को ब्लैकमेल किया। प्रारंभिक जांच में यह भी सामने आया कि उसने करीब 25 लाख रुपये विभिन्न लोगों से वसूले हैं। उसके इस प्रकार के कार्यों ने स्थानीय व्यापारियों और पेशेवरों के बीच आतंक का माहौल बना दिया था।
DC प्रीति की सलाह
इस मामले को लेकर डीसी प्रीति ने यह कहा कि यदि कोई भी व्यक्ति आम जन से किसी अधिकारी के नाम पर पैसे मांगता है तो इसकी सूचना तुरंत डीसी कार्यालय में या समाधान दिवस में दी जानी चाहिए। ऐसे व्यक्तियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी, ताकि इस तरह की भ्रष्टाचार की गतिविधियों को रोका जा सके।
भ्रष्टाचार की एक और परत को उजागर
यह मामला हरियाणा के कैथल में भ्रष्टाचार की एक और परत को उजागर करता है। कमल मित्तल जैसे लोग अपने राजनीतिक अनुभव का लाभ उठाते हुए समाज में अव्यवस्था और भय का वातावरण तैयार करते हैं। एंटी करप्शन ब्यूरो की इस कार्रवाई से यह साफ होता है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ एक अभियान चलाया जा रहा है, और संबंधित अधिकारी इस दिशा में गंभीरता से काम कर रहे हैं।
इस घटना ने यह भी दिखाया है कि समाज के हर वर्ग को इस प्रकार के अपराधों के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए और जिम्मेदार अधिकारियों से सहयोग करना चाहिए, ताकि ऐसे भ्रष्ट और दुरुपयोगी तत्वों को कानून के दायरे में लाया जा सके। भ्रष्टाचार के खिलाफ यह लड़ाई तभी सफल हो सकती है जब समाज में जागरूकता और एकता हो।