Haryana Politics: श्रुति के टिकट कटने के बाद किरण चौधरी का एलान, कहा- पार्टी का फैसला सिर माथे, हुईं भावुक

नरेन्द्र सहारण, भिवानी। Haryana Politics: कांग्रेस पार्टी दृवारा लोकसभा की सीटों की घोषणा के साथ भिवानी-महेंद्रगढ़ लोकसभा सीट से श्रुति चौधरी का टिकट कट गया। इसके बाद शनिवार को अपने आवास पर कांग्रेस समर्थकों की बैठक में मां-बेटी भावुक नजर आईं। इस दौरान किरण चौधरी के समर्थक भी मायूस नजर आए। वहीं, कांग्रेस की वरिष्ठ महिला नेता एवं तोशाम से विधायक किरण चौधरी ने कहा कि पार्टी का फैसला सिर माथे पर है। उन्होंने कहा कि 2019 के लोकसभा चुनाव में हमारी जितनी मदद राव दान सिंह ने की थी, हमारा प्रयास रहेगा कि हम उससे ज्यादा करें। किरण चौधरी ने कहा कि वह दो दिन भिवानी-दादरी, फिर महेंद्रगढ़-नारनौल में वन टु वन अपने कार्यकर्ताओं से मिलेंगी। कुछ मीडिया रिपोर्ट के बाद कहा जा रहा था कि टिकट कटने के बाद श्रुति चौधरी भाजपा में शामिल हो सकती हैं। फिलहाल इस पर विराम लग गया है।
कांग्रेस के टिकट पर दो बार हार चुकी हैं श्रुति
भिवानी-महेंद्रगढ़ सीट से राव दान सिंह को कांग्रेस का प्रत्याशी बनाया गया है। इस सीट पर काफी अरसे से पूर्व मुख्यमंत्री बंसीलाल के परिवार का वर्चस्व रहा है। वर्ष 2009 में जीत के बाद पिछले दो लोकसभा चुनाव 2014 और 2019 में श्रुति चौधरी को भाजपा सांसद धर्मवीर चौधरी से हार का सामना करना पड़ा था। इस बार टिकट कटने से श्रुति चौधरी फिलहाल चुनावी मैदान से ही बाहर हैं। ऐसे में भिवानी-महेंद्रगढ़ क्षेत्र अपने कार्यकर्ताओं को जोड़े रखना दोनों के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है। श्रुति चौधरी का टिकट कटने के बाद से उनके समर्थक मायूस हैं। कार्यकर्ताओं की हुई बैठक में यह मायूसी श्रुति और मां किरण चौधरी के साथ-साथ कार्यकर्ताओं के चेहरों पर भी झलक रही थी। भीड़ में कुछ समर्थक तो ऐसे भी थे जो दबी जुबान में बोल रहे थे कि टिकट बांटने में हुड्डा गुट बाजी मार गया।
हम पार्टी से बंधे हुए सिपाही : किरण
किरण चौधरी ने कहा कि कांग्रेस की सच्ची सिपाही हैं। वे कांग्रेस में हैं और आगे भी रहेंगी। राव दान सिंह को प्रत्याशी बनाना पार्टी का फैसला है। यह फैसला सिर-माथे पर है। हम पार्टी से बंधे हुए सिपाही हैं। किरण चौधरी ने राव दान सिंह को टिकट मिलने पर कहा कि उन्होंने जितना हमारे लिए काम किया था, उससे भी जबरदस्त काम हम उनके लिए करेंगे।
वह चाहती है यह सीट निकले : श्रुति
लोगों को संबोधित करते हुए श्रुति चौधरी ने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने उन्हें 2009, 2014 और 2019 में मौका दिया। 2014 और 19 में संघर्ष के वक्त में चुनाव लड़ा। कांग्रेस पार्टी ने जो निर्णय लिया है, वो उनका निर्णय है। हम पार्टी के सिपाही हैं और पार्टी के साथ हैं। जो भी मेरी क्षमता है, मैं लोगों की सेवा में रहूंगी। भावुक हुई श्रुति ने भिवानी महेंद्रगढ़ क्षेत्र को अपना परिवार बताया। उन्होंने कहा कि टिकट कटना भावुक पल है। श्रुति चौधरी ने कहा कि उनके पिता सुरेंद्र सिंह और दादा पूर्व मुख्यमंत्री बंसीलाल के जीवन में भी ऐसे मौके आए पर धैर्य बनाए रखा। इन निर्णय से कार्यकर्ता निराश न हो आगे बहुत कुछ है। राव दान सिंह के बारे में श्रुति ने कहा कि अब तो वो देखेंगे कि चुनाव कैसे आगे बढ़ता है। वो चाहती हैं कि कांग्रेस पार्टी के लिए यह सीट निकले।
2019 में नारनौल-महेंद्रगढ़ के सभी हलकों में हारी थीं श्रुति
2019 के लोकसभा चुनाव में श्रुति चौधरी ने भिवानी-महेंद्रगढ़ सीट से कांग्रेस टिकट पर चुनाव लड़ा था। 7,36,699 वोट पाकर बीजेपी के धर्मबीर चौधरी चुनाव जीते थे। 2,92,236 वोटों के साथ श्रुति दूसरे स्थान पर रहीं। इसमें खास बात यह है कि 2019 के चुनाव में श्रुति को भिवानी-महेंद्रगढ़ के सभी विधानसभा क्षेत्रों में हार मिली थी। वह पांच लाख से ज्यादा वोटों से हारीं थीं। हार के के लिए उन्होंने राव दान सिंह को जिम्मेदार ठहराया गया था। लोकसभा चुनाव के बाद हुए विधानसभा चुनाव में राव दान सिंह तत्कालीन शिक्षा मंत्री प्रो. रामविलास शर्मा को हराकर महेंद्रगढ़ से विधायक बने थे।
दिल्ली में जन्मी, हरियाणा की राजनीति में जमाई पैठ
श्रुति चौधरी का जन्म 3 अक्टूबर 1975 को नई दिल्ली में हुआ था। उनके मां का नाम किरण चौधरी है। पिता सुरेंद्र सिंह चौधरी का निधन हो चुका है। सुरेंद्र और किरण चौधरी दोनों हरियाणा की कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे हैं। श्रुति चौधरी पूर्व मुख्यमंत्री बंसीलाल की पोती हैं। कभी बंसीलाल का हरियाणा में दबदबा हुआ करता था लेकिन समय के साथ परिवार का राजनीतिक दबदबा कम हो गया।
श्रुति के पति हैं वकील
श्रुति की शुरुआती पढ़ाई दिल्ली के कॉन्वेंट ऑफ जीसस एंड मैरी स्कूल और दिल्ली पब्लिक स्कूल आरके पुरम से हुई है। उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से बीए किया और फिर आगरा के बीआर अम्बेडकर यूनिवर्सिटी से एलएलबी की। उन्होंने ऑक्सफोर्ड इंग्लैंड से भी पढ़ाई की। श्रुति की शादी 7 मार्च 2003 को पेशे से वकील अरुणाभ चौधरी से हुई थी।
पिता का 2005 में हुआ निधन, संभाली सियासी बागडोर
श्रुति के पिता का निधन 2005 में हो गया था। पिता के जाने के बाद परिवार की राजनीतिक विरासत संभालने के लिए वह सियासत में आईं। कांग्रेस ने 2009 में उन्हें भिवानी-महेंद्रगढ़ निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा का टिकट दिया। परिवार के साथ लोगों की सद्भावना के चलते वह कांग्रेस के टिकट पर अजय सिंह चौटाला को हराकर चुनाव जीतीं।
2014 के लोकसभा चुनाव में मिली हार
भिवानी- महेंद्रगढ़ लोकसभा सीट वह है, जहां से श्रुति चौधरी के दादा को तीन बार और पिता को दो बार जीत मिली। श्रुति चौधरी ने 2009 से कृषि और महिला सशक्तिकरण के लिए लोकसभा समितियों के सदस्य के रूप में कार्य किया। हालांकि, वह 2014 में मोदी लहर में लोकसभा चुनाव हार गईं।
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