Haryana Politics: जिन हलकों ने दुष्यंत चौटाला को जितवाया आज वहां खुलकर विरोध, नारनौंद, उचाना और उकलाना में सबसे ज्यादा विरोध
नरेन्द्र सहारण, हिसार। Haryana Politics: हिसार लोकसभा सीट से शुरू से ही चौटाला परिवार चुनाव लड़ता आया है। 2014 में दुष्यंत चौटाला ( Dushyant Chautala) परिवार के इकलौते ऐसे सदस्य थे जो हिसार लोकसभा में जीते थे। इनेलो के टिकट पर लड़ते हुए दुष्यंत चौटाला ने कुलदीप बिश्नोई (Kuldeep Bishnoi) को इस सीट से हराया था। दुष्यंत चौटाला ने करीब 31 हजार वोटों से कुलदीप बिश्नोई को हराया था। मगर जिन हलकों ने दुष्यंत चौटाला की कुलदीप विश्नोई को हराने में मदद की, उन्हीं हलके में दुष्यंत चौटाला और उनके परिवार का सबसे ज्यादा विरोध हो रहा है। हिसार लोकसभा (Hisar Loksabha Seat) की उकलाना, नारनौंद और उचाना में आज स्थिति यह है कि हिसार से चुनाव लड़ रही दुष्यंत चौटाला की मां नैना चौटाला को किसानों के विरोध का सामना करना पड़ रहा है। किसान आंदोलन के दौरान दुष्यंत चौटाला और उनके परिवार की चुप्पी किसानों को सबसे ज्यादा अखर रही है। इन हलकों के लोगों का भी कहना है कि अब कांग्रेस और भाजपा के बीच मुकाबला है। चौटाला परिवार यहां मुकाबले में ही नहीं है।
उचाना की सबसे बड़ी जीत का रिकार्ड दुष्यंत चौटाला के नाम
हरियाणा विधानसभा के 2019 के चुनाव में उचाना कलां विधानसभा क्षेत्र से जेजेपी प्रत्याशी दुष्यंत चौटाला ने भाजपा प्रत्याशी प्रेमलता को 47452 मतों से शिकस्त दी थी। यह अब तक की सबसे बड़ी जीत का रिकार्ड था। इससे पहले सबसे बड़ी जीत का रिकार्ड इनेलो के देसराज नंबरदार के नाम था, जिन्होंने 1987 में कांग्रेस के सूबे सिंह को 45248 मतों के अंतर से हराया था। दुष्यंत ने इस रिकार्ड को पीछे छोड़ते हुए सबसे बड़ी जीत का नया रिकार्ड बनाया था।
नारनौंद में भी खिसक रहा जनाधार
इतना ही नहीं, नारनौंद हलके में भी जजपा का जनाधार लगातार खिसक रहा है। जजपा के रामकुमार गौतम यहां से विधायक हैं, मगर अब वह दुष्यंत चौटाला के सबसे बड़े विरोधी चेहरों में से एक हैं। यहां से दुष्यंत चौटाला इतने मजबूत थे कि 2019 में मोदी लहर में भी नारनौंद हलके ने दुष्यंत चौटाला के लिए वोट किए थे, मगर आज स्थिति यह है कि यहां भी दुष्यंत चौटाला और उनके परिवार का खुलकर विरोध किसान कर रहे हैं। लोगों द्वारा नैना चौटाला से सवाल-जवाब किए जा रहे हैं। नारनौंद हलके में पिछले चार चुनावों में भाजपा दो बार और इनेलो-जजपा ने दो बार इस सीट को जीता है।
उकलाना में भी स्थिति ठीक नहीं
वहीं उकलाना की बात करें तो उकलाना में लगातार दो बार से जजपा के विधायक अनूप धानक यहां जीत रहे हैं। 2014 में इनेलो से जीत दर्ज की। इसके बाद वह पार्टी में फूट के बाद दुष्यंत चौटाला के साथ आ गए। 2019 में भी यहां जजपा की टिकट से लड़े अनूप धानक जीते थे, मगर अब यहां दुष्यंत व उनके परिवार का खुलकर विरोध हो रहा है। यहां अनुसूचित जाति के साथ-साथ जाट समुदाय के भी अच्छे वोट हैं।
जब भजनलाल ने देवीलाल सरकार को गिराया था
1977 के चुनाव के बाद केंद्र सरकार में जनता पार्टी की सरकार बनी थी, लेकिन आपसी मतभेद के चलते यह सरकार गिर गई। इसी दौरान हरियाणा में जनता पार्टी से भजनलाल मुख्यमंत्री बने थे। वह अपने साथ करीब 40 विधायकों समेत कांग्रेस में शामिल हो गए थे। चौधरी देवीलाल की सरकार को सत्ता से बाहर कर दिया। जनता ने कांग्रेस के खिलाफ वोट दिए, मगर भजनलाल कांग्रेस में ही चले गए। इससे जनता में आक्रोश बढ़ गया और आज तक भजनलाल परिवार हिसार लोकसभा की नारनौंद, उचाना व उकलाना में पकड़ नहीं बना पाया। इसी तरह 2019 में दुष्यंत चौटाला की जजपा के 10 विधायक चुनकर आए। लोगों ने भाजपा के खिलाफ दुष्यंत चौटाला को वोट दिए, मगर दुष्यंत 10 विधायकों के साथ भाजपा सरकार में शामिल हो गए। लोग इसे अपने अपमान की तरह देख रहे हैं और यही कारण है कि अब यहां दुष्यंत चौटाला का विरोध ज्यादा हो रहा है।
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