Haryana Rain: हरियाणा के 10 जिलों में बारिश-आंधी, मई में 17 साल का रिकार्ड टूटा; नौतपा बेअसर

नरेंद्र सहारण, चंडीगढ़/हिसार : Haryana Rain: हरियाणा प्रदेश इस वर्ष मई महीने में मौसम के एक ऐसे अद्भुत और अप्रत्याशित रूप का साक्षी बना है, जिसने पिछले कई वर्षों के रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। जहां पिछले साल मई का महीना आग उगल रहा था और गर्मी ने 22 साल का रिकॉर्ड तोड़ा था, वहीं इस साल मई ने वर्षा के मामले में 17 साल का कीर्तिमान ध्वस्त कर दिया है। पूरे माह में प्रदेश में औसतन 59.7 मिलीमीटर से अधिक वर्षा दर्ज की गई है, जो 2008 के बाद मई महीने में सर्वाधिक है। इससे पहले 2008 में मई माह में 68 मिलीमीटर वर्षा हुई थी। इस बार हुई झमाझम बारिश ने न केवल भीषण गर्मी से त्रस्त लोगों को बड़ी राहत दी है, बल्कि तथाकथित रूप से सबसे गर्म माने जाने वाले ‘नौतपा’ को भी पूरी तरह बेअसर कर दिया। मौसम विभाग के अनुसार, जून महीने की शुरुआत भी वर्षा के साथ होने की प्रबल संभावना है, जो इस राहत के सिलसिले को जारी रख सकती है।
हरियाणा में वर्षा का दौर
मई महीने के अंतिम दिन यानी शनिवार को हरियाणा के 10 जिलों में जमकर वर्षा हुई। हिसार, महेंद्रगढ़, भिवानी, सिरसा, फतेहाबाद, जींद, कैथल, नारनौल, चरखी दादरी और अंबाला जिले तरबतर हो गए। इस दौरान करीब 40 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से तेज हवाएं भी चलीं, जिससे कई स्थानों पर जनजीवन प्रभावित हुआ। चरखी दादरी जिले के बाढड़ा उपमंडल में एक चलती कार पर तूफान के बीच अचानक एक भारी पेड़ गिर गया। गनीमत रही कि कार में सवार लोग इस हादसे में बाल-बाल बच गए, लेकिन वाहन क्षतिग्रस्त हो गया। इसके अतिरिक्त, क्षेत्र में कई बिजली के पोल भी उखड़ गए या टूट गए, जिससे विद्युत आपूर्ति बाधित हुई। हिसार जिले के अग्रोहा क्षेत्र में भी तेज हवाओं के कारण कई पेड़ जड़ों से उखड़कर सड़कों पर गिर गए, जिससे यातायात अवरुद्ध हो गया और लोगों को आवागमन में परेशानी का सामना करना पड़ा।
हैरानी की बात यह रही कि कुछ क्षेत्रों में वर्षा के बावजूद अधिकतम तापमान में गिरावट के बजाय उछाल देखने को मिला। उदाहरण के तौर पर, हिसार में शनिवार को हुई वर्षा के बाद भी अधिकतम तापमान में करीब चार डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी दर्ज की गई। मौसम विशेषज्ञों के अनुसार, ऐसा कई बार वर्षा से ठीक पहले वायुमंडल में बढ़ी उमस और वर्षा के बाद निकली धूप के कारण हो सकता है, या फिर स्थानीय मौसमी कारकों का भी इसमें योगदान हो सकता है।
मई 2025: एक यादगार महीना
इस वर्ष मई का महीना हरियाणा के लोगों के लिए पिछले कई वर्षों की तुलना में काफी राहत भरा रहा। आमतौर पर मई का महीना भीषण गर्मी और लू के थपेड़ों के लिए जाना जाता है, लेकिन इस बार रुक-रुक कर हुई बारिश ने मौसम को अपेक्षाकृत सुखद बनाए रखा। इस माह 3, 11, 17, 21, 24 और 31 मई को प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में अच्छी वर्षा दर्ज की गई। इन वर्षा के दौरों ने न केवल तापमान को नियंत्रित रखा बल्कि 25 मई से शुरू हुए नौतपा के प्रभाव को भी लगभग शून्य कर दिया। नौतपा के दौरान आमतौर पर भीषण गर्मी पड़ती है, लेकिन इस बार लोगों को वैसी तपिश का सामना नहीं करना पड़ा। 59.7 मिलीमीटर से अधिक की यह वर्षा पिछले 17 वर्षों में (2008 के बाद) मई माह में सबसे अधिक है, जो इसे एक यादगार महीना बनाती है।
पिछले साल की प्रचंड गर्मी की भयावह यादें
इस साल मई की राहत भरी फुहारें पिछले साल मई की झुलसा देने वाली गर्मी की यादों को और भी ताजा कर देती हैं। मई 2024 में हरियाणा ने गर्मी का ऐसा प्रचंड रूप देखा था, जिसने 22 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया था। प्रदेश में लगातार 18 दिनों तक लू का प्रकोप जारी रहा था, जिससे आम जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया था। हालात इतने खराब थे कि सिरसा जिले में पारा 50 डिग्री सेल्सियस के जानलेवा स्तर को भी पार कर गया था। 30 मई 2024 को भी सिरसा का तापमान 49.1 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था। हिसार, जींद और नूंह जैसे जिलों में भी पारा 48 डिग्री सेल्सियस से ऊपर बना हुआ था, जिससे लोगों का घरों से निकलना दूभर हो गया था। इससे पहले ऐसी भयावह गर्मी की स्थिति वर्ष 2002 में बनी थी, जब प्रदेश में लगातार 17 दिनों तक लू चली थी। पिछले साल की उस भीषण गर्मी की तुलना में इस साल मई का मौसम किसी वरदान से कम नहीं रहा।
जून की भीगी-भीगी शुरुआत के संकेत
मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार, मई के बाद जून महीने की शुरुआत भी वर्षा के साथ होने की पूरी संभावना है। रविवार, 1 जून को प्रदेश के 20 जिलों में वर्षा का ‘येलो अलर्ट’ जारी किया गया है। इन जिलों में पंचकूला, अंबाला, यमुनानगर, कुरुक्षेत्र, करनाल, महेंद्रगढ़, रेवाड़ी, गुरुग्राम, फरीदाबाद, मेवात (नूंह), पलवल, कैथल, जींद, पानीपत, सोनीपत, हिसार, भिवानी, चरखी दादरी, रोहतक और झज्जर शामिल हैं। इन जिलों में हल्की से मध्यम वर्षा के साथ कुछ स्थानों पर तेज हवाएं भी चल सकती हैं।
इसके अतिरिक्त, 2 जून की रात से एक नया पश्चिमी विक्षोभ उत्तर भारत में सक्रिय होने की संभावना है, जिसका प्रभाव हरियाणा में 4 जून तक देखने को मिलेगा। इस पश्चिमी विक्षोभ के प्रभाव से प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में एक बार फिर झमाझम वर्षा होने की उम्मीद है। यह बारिश न केवल गर्मी से और राहत दिलाएगी, बल्कि खरीफ फसलों की बुवाई के लिए भी अनुकूल परिस्थितियां तैयार करेगी।
मानसून की चाल और कृषि पर प्रभाव
मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि वर्तमान में मानसून की प्रगति और रफ्तार संतोषजनक है। हालांकि, जून के मध्य में मानसून की गति में कुछ अल्पकालिक ठहराव (ब्रेक) आ सकता है, लेकिन इसके बावजूद इस वर्ष हरियाणा में अच्छी बारिश होने की संभावना प्रबल है। हरियाणा में मानसून के पहुंचने का सामान्य समय 24 से 29 जून के बीच माना जाता है। इस वर्ष जिस प्रकार प्री-मानसून वर्षा हो रही है, उसे देखते हुए मौसम विशेषज्ञ मानसून के समय से कुछ पहले पहुंचने के भी कयास लगा रहे हैं। हालांकि, मानसून का आगमन कई जटिल वायुमंडलीय परिस्थितियों पर निर्भर करता है, और इसके बारे में सटीक भविष्यवाणी करना अभी जल्दबाजी होगी।
मई में हुई इस अप्रत्याशित और रिकॉर्ड तोड़ वर्षा का कृषि पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ने की उम्मीद है। इससे भूमि में नमी का स्तर बढ़ा है, जो आगामी खरीफ फसलों जैसे धान, कपास, बाजरा आदि की बुवाई के लिए फायदेमंद होगा। साथ ही, भूजल स्तर के पुनर्भरण में भी इससे मदद मिलेगी। किसानों को भी भीषण गर्मी और सिंचाई पर अत्यधिक निर्भरता से कुछ राहत मिली है।
विशेषज्ञों की राय और आगे का दृष्टिकोण
मौसम विशेषज्ञों के अनुसार, इस वर्ष पश्चिमी विक्षोभों की आवृत्ति और तीव्रता अपेक्षाकृत अधिक रही है, जिसके कारण मई महीने में इतनी अधिक वर्षा देखने को मिली है। अल नीनो का प्रभाव समाप्त होने और ला नीना की स्थितियां बनने की संभावना भी मानसून के लिए सकारात्मक संकेत दे रही है। हालांकि, जलवायु परिवर्तन के इस दौर में मौसम के मिजाज में अप्रत्याशित बदलाव आम होते जा रहे हैं।
सुखद आश्चर्य
कुल मिलाकर हरियाणा में मई 2025 का महीना मौसम के लिहाज से एक सुखद आश्चर्य लेकर आया है। पिछले साल की झुलसा देने वाली गर्मी के विपरीत इस साल हुई रिकॉर्ड वर्षा ने न केवल 17 साल का कीर्तिमान तोड़ा है, बल्कि आम लोगों को भी बड़ी राहत प्रदान की है। जून महीने की शुरुआत भी बारिश के साथ होने की संभावना इस राहत को जारी रखने का संकेत दे रही है। आने वाले दिनों में पश्चिमी विक्षोभ और फिर मानसून की वर्षा प्रदेश को कितना तरबतर करती है, यह देखना बाकी है, लेकिन फिलहाल मौसम के इस बदले हुए मिजाज ने हरियाणावासियों के चेहरों पर मुस्कान जरूर ला दी है। यह उम्मीद की जा रही है कि यह अनुकूल मौसमी स्थितियां कृषि उत्पादन के लिए भी लाभकारी सिद्ध होंगी और प्रदेश में खुशहाली लाएंगी।