हरियाणा सचिवालय : जहां से चलती पूरी सरकार, वहां बूंद-बूंद पानी को तरसता रहा स्टाफ, जानें वजह

नरेन्द्र सहारण, चंडीगढ़: Haryana Secretariat Chandigarh: सेक्टर एक स्थित हरियाणा सचिवालय…जहां से पूरी सरकार चलती है…मुख्यमंत्री से लेकर संतरी और अफसर से लेकर कर्मचारी तक सब यहां बैठते हैं। बुधवार को मंत्रियों से लेकर मुख्य सचिव और अतिरिक्त मुख्य सचिवों सहित तमाम अधिकारियों के स्टाफ बेबस नजर आए। साहब ने जब भी मेहमानों या फिर अपने लिए चाय-पानी मांगा तो सिर्फ जवाब यही मिला- सर, लस्सी पी लो। सचिवालय में कल से पानी नहीं आया। ऐसे में चाय कहां से बनाएं। मेहमान आए तो उनसे अनुरोध किया गया, बाऊ जी, लस्सी से ही काम चला लो।
पानी के एक जग के लिए कर्मचारी सिफारिश कराते दिखे
बुधवार दोपहर ढाई बजे तक पूरे सचिवालय में बुरी स्थिति थी। किसी भी मंजिल पर न वाशरूम में पानी था और ना पीने के लिए कहीं दो बूंद पानी। पानी नहीं होने से सभी फ्लोर पर बनी रसोई में भी झूठे बर्तन पड़े देखे गए। ऐसे में सचिवालय का स्टाफ खुद को बेबस महसूस कर रहा था। कुछ सरकारी विभागों के कर्मचारियों ने अपने स्तर पर कैंपर का जुगाड़ भी किया, लेकिन उसे लेकर भी स्टाफ में झगड़े होते रहे। नौबत यह थी कि पानी के एक जग के लिए कर्मचारी अपने साहब से फोन पर सिफारिश कराते दिखे। स्थिति यह थी कि मेहमानों की चाय-पानी के साथ खातिरदारी करने में मंत्रियों से लेकर अफसर तक असहाय नजर आए। दरअसल, मंगलवार दोपहर बाद सचिवालय में पानी को छत पर रखी टंकियों तक पहुंचाने वाला मुख्य पाइप फूट गया था, जिससे सारी मुसीबत खड़ी हो गई।
करीब ढाई बजे पाइप लाइन को दुरुस्त किया गया
बुधवार दोपहर तक सचिवालय में पानी के लिए हाहाकार मचा रहा। हालांकि सुबह से कर्मचारी पाइप को ठीक करने में लगे थे, लेकिन बात बन नहीं पाई। करीब ढाई बजे पाइप लाइन को दुरुस्त कर दिया गया, जिसके बाद स्थिति सामान्य हो सकी।
पंजाब से कैसे मांगे पानी, आज तक एसवाईएल का तो दिया नहीं
हरियाणा और पंजाब के सचिवालय एक ही परिसर में हैं। हरियाणा सचिवालय के एक सरकारी विभाग में पहुंचे सज्जन ने साहब के सेवादार से कहा कि आपके पास पानी नहीं है तो कोई बात नहीं। पंजाब के किसी दफ्तर से ही थोड़ा पानी ले आओ, ताकि चाय-पानी का कुछ जुगाड़ हो सके। इस पर सेवादार ने चुटकी ली कि रहने दो साहब, पंजाब ने आज तक एसवाईएल का पानी तो दिया नहीं। मुझसे पानी की बात कहलवाकर झगड़ा कराओगे क्या?
जब सरकार के दरबार में यह हाल तो आमजन की कौन सुनेगा
भिवानी के गांवों में पेयजल किल्लत की शिकायत लेकर एक नेताजी मंत्री के पास पहुंचे थे। आठवीं मंजिल पर गलियारे में घूमते इन सज्जन को जैसे ही सचिवालय में पानी की समस्या के बारे में पता चला तो यह कहकर वापस हो लिए कि जब अफसरों के दरबार में यह हाल है तो गांव-कस्बों की कौन सुध लेगा। उनके साथ आए दूसरे व्यक्ति ने उन्होंने रोका कि पानी न सही, कोई दूसरा काम ही करा लेते हैं। मूड खराब करने से कुछ नहीं होगा। इसके बावजूद वह सज्जन नहीं माने और पैर पटकते हुए वहां से निकल लिए।
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