कामेडी कलाकार ख्याली सहारण ने राजस्थान से मुंबई में कैसे बनाई जगह, अर्श से फर्श तक का रहा सफर

नरेन्द्र सहारण। ख्याली सहारण राजस्थान, भारत के हास्य अभिनेता और हंसी चैंपियन हैं। उन्होंने हंसी की चुनौती में सफलता की राह बनाई और उसके बाद वह अपनी गुदगुदाने वाली कॉमेडी के लिए जाने जाते हैं।
प्रारंभिक जीवन
ख्याली राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले के गांव 18 एसपीडी बड़ोपल के रहने वाले हैं। वह बेहद गरीब परिवार से आते हैं। उनके पिता दौलत राम सहारण थे। वह सबसे छोटा बेटे थे। एक छोटे कद का इंसान, जिसमें अपने वन-लाइनर्स से दर्शकों को हंसाने की अपार क्षमता है। ख्याली ऐतिहासिक राज्य राजस्थान से हैं। लोगों का मनोरंजन करने की उनकी सबसे पुरानी यादें स्कूल में अपने दोस्तों, सहपाठियों और शिक्षकों के सामने हास्य प्रस्तुतियां करना थीं। शुरुआती दिनों में उन्हें जो लोकप्रियता और प्रशंसा मिली, वह ख्याली के लिए स्टैंड-अप कॉमेडी को अपने पेशे के रूप में चुनने का निर्णायक कारक था।
वह गंगानगर शुगर मिल में चौकीदार के पद पर कार्यरत थे। वहां उन्होंने अपना एक हाथ खो दिया। इस मुश्किल घड़ी में उनकी मदद की प्रेमपुरा गांव के समाज सुधारक अनिल चौधरी ने, जिन्होंने उनका इलाज कराया। उन्होंने शुगर मिल की नौकरी छोड़ दी और एक रामलीला पार्टी में शामिल हो गए, जहां दिन में वे इस पार्टी में काम करते थे और रातें फुटपाथ पर गुजारते थे।
चंडीगढ़ चले गए
जब वह रामलीला शो में अपनी प्रतिभा दिखा रहे थे तो उन्होंने एक एनआरआई रोहित बत्रा को प्रभावित किया, जो उन्हें चंडीगढ़ ले गए। वह 2000 में चंडीगढ़ चले गए। उन्होंने रोहित बत्रा के साथ स्टेज मास्टर और लाफ्टर आर्टिस्ट के रूप में काम किया।
हंसी की चुनौती
एक बार दिल्ली में ख्याली एक थिएटर में स्टेज शो में लगे हुए थे, जहां कुमार शानू को आना था। कुमार शानू लेट हो गए और इसी वक्त ख्याली कॉमेडी करने लगे। संयोग से उन्होंने वहां मौजूद स्टार वन चैनल की टीम को प्रभावित किया जिन्होंने उन्हें ऑडिशन के लिए मुंबई बुलाया। यह 2006 की बात है जब ख्याली मुंबई चले आए और लाफ्टर चैलेंज के जरिए सुर्खियों में आए।
प्रसिद्ध कलाकार
उन्होंने कई राज्य स्तरीय कॉमेडी प्रतियोगिताओं में जयपुर का प्रतिनिधित्व किया है। उन्होंने टीवी शो की एंकरिंग भी की है. उन्होंने दो कॉमेडी शो – स्टार वन चैनल पर द ग्रेट इंडियन लाफ्टर चैलेंज और सोनी एंटरटेनमेंट टेलीविजन चैनल पर कॉमेडी सर्कस में भाग लिया।वह सब टीवी चैनल पर आने वाले कॉमेडी शो कॉमेडी का किंग कौन के प्रतियोगियों में से एक थे। राज्य स्तरीय कॉमेडी प्रतियोगिताओं में जयपुर का प्रतिनिधित्व करने के बाद, ख्याली अपनी कॉमेडी को दैनिक जीवन के अनुभवों और लोगों के साथ अपनी बातचीत के इर्द-गिर्द बुनते हैं। ख्याली ने देश भर में विभिन्न कॉमेडी शो की एंकरिंग की है और पूरे 2 घंटे तक स्टैंड-अप कॉमेडी का रिकॉर्ड बनाया है। हाल ही में उन्होंने मशहूर फिल्म ‘सिंह इज किंग’ में काम किया और उन पर गाना ”भूतनी के..” फिल्माया गया। उनके बेटे भी टीवी विज्ञापनों में आ रहे हैं।
समाज सेवा में
ख्याली अपनी जन्मस्थली 18 एसडीपी को एक शिक्षा केंद्र बनाना चाहते हैं। उन्होंने अपने दादा स्वर्गीय चौधरी रावत राम सहारण के नाम पर एक ट्रस्ट बनाया है। इस प्रोजेक्ट में उनकी करीब डेढ़ करोड़ रुपये खर्च करने की योजना है। उनका लक्ष्य गरीब बच्चों को मुफ्त शिक्षा देना है। प्रसिद्ध गांधीवादी विचारक, दार्शनिक और समाज सुधारक, पशु अधिकार कार्यकर्ता नरेश कादयान ने ख्याली सहारण को पशु अधिकार और कल्याण आंदोलन में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया और ख्याली अब पशु अधिकार कार्यकर्ता भी हैं, भारत में पीएफए हरियाणा।
ओआईपीए के ब्रांड एंबेसडर हैं
अभिनय की दुनिया में मुकाम हासिल करना आसान नहीं होता। खासकर जब कोई छोटे से गांव या कस्बे से आया हो। लेकिन, ख्याली सहारण ने मुश्किल हालात का सामना करते हुए एक छोटे से गांव से निकल कर कॉमेडी की दुनिया में अपनी एक खास पहचान बनाई है। बता दें कि कॉमेडियन ख्याली सहारण का जन्म राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले के छोटे से गांव 18-सीपीडी में एक बेहद गरीब परिवार में हुआ था। ख्याली सहारण का परिवार भेड़-बकरिया चराकर गुजारा करता था। भेड़-बकरियां चराकर ख्याली के परिवार ने उन्हें बड़ी मुश्किल से 10वीं तक पढ़ाया था।
कपड़ा मशीन में कुचल गया था हाथ
5वीं तक की पढ़ाई ख्याली ने अपने गांव में की। लेकिन, उससे आगे पढ़ने के लिए वह हर रोज 8 किलोमीटक तक पैदल चलकर दूसरे गांव जाते थे। यहां से उन्होंने 10वीं तक की पढ़ाई पूरी की। पढ़ाई-लिखाई पूरी करने के बाद ख्याली सहारण ने महज 16 साल की उम्र में गंगानगर जिले का रुख किया। यहां उन्होंने शुरुआत में जेसीटी कपड़ा मिल में करीब 6 साल नौकरी की। नौकरी करने के साथ-साथ वह थिएटर भी करते रहे। लेकिन, कपड़ा मिल में काम करते समय उनका एक हाथ मशीन में चला गया और बुरी तरह कुचला गया।
हाथ की टूट गईं थी 13 हड्डियां
उस वक्त ख्याली सहारण के हाथ की 13 हड्डियां टूट गईं थीं और उन्हें करीब 13 महीने अस्पताल में भर्ती रहना पड़ा था। इस दौरान हाथ के 7 ऑपरेशन भी हुए थे, लेकिन उन्हें कभी हिम्मत नहीं हारी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ख्याली सहारण ने प्रण किया कि भीख मांगने से अच्छा तो वो कॉमेडी के क्षेत्र में ही मेहनत करेंगे। साल 2000 में ख्याली सहारण चंडीगढ़ आ गए। ख्याली सहारण की मानें तो प्लाजा में पांच मिनट की परफॉर्मेंस के लिए वो ऑर्गनाइजर्स के कहने पर वेन्यू पर झाड़ू लगाता थे।
एंकरिंग से की अपने करियर की शुरुआत
आर्टिस्ट्स को चाय पिलाते और बर्तन भी साफ करते थे। तब जाकर कहीं पांच मिनट मिलते और आज उसी की वजह से बॉलीवुड तक पहुंचे। ख्याली सहारण ने साल 2006 में अपना पहला ऑडिशन दिया। अपने पहले ही ऑडिशन में ख्याली सिलेक्ट हो गए और मुंबई चले गए। उसके बाद ख्याली ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। आपको बता दें, ख्याली ने अपने करियर की शुरुआत एंकरिंग से की थी और वे अब तक 20 से अधिक देशों में कॉमेडी शो कर चुके हैं। वहीं, उन्हें हिंदी फिल्मों में भी कई मौके मिले हैं। बॉम्बे टू गोवा, सिंह इज किंग, मुस्करा के देखे जरां और भावनाओं को समझो ख्याली की मुख्य फिल्में हैं।
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हनुमानगढ़ में खोला एक स्कूल
ख्याली सहारण मीडिया को दिए अपने एक इंटरव्यू के दौरान बताया था कि उन्होंने पढ़ाई करते वक्त सोच लिया था कि जिंदगी में कभी पैसा आएगा तो कुछ ऐसा काम करूंगा, जहां बच्चे पढ़ाई के साथ-साथ अपनी इच्छाएं भी पूरी कर सकें। उन्होंने कहा कि अब मेरा वो सपना हकीकत में बदल गया है। दरअसल, ख्याली ने टीवी, फिल्में और स्टेज शोज कर जो पैसा कमाया था उससे राजस्थान के हनुमानगढ़ में एक बोर्डिंग स्कूल खोला है। 16 एकड़ में बना यह स्कूल चौथी से लेकर 10वीं क्लास तक है।