जेल में बंद अमृतपाल सिंह ने कैसे हासिल की पंजाब की खडूर साहिब सीट से जीत

नरेन्द्र सहारण चंडीगढ पंजाब की चर्चित लोकसभा सीट खडूर साहिब से ‘वारिस पंजाब दे’ संगठन के नेता अमृतपाल सिंह की बड़ी जीत ने पंजाब के राजनीतिक गलियारों में एक नई चर्चा छेड़ दी है.

 

अमृतपाल सिंह अपने साथियों के साथ फिलहाल राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत असम की डिब्रूगढ़ जेल में बंद हैं.अमृतपाल सिंह की जीत की ख़बर मिलते ही खडूर साहिब के लोग मतगणना केंद्र के बाहर जमा हो गए.उनकी जीत की घोषणा के बाद लोकसभा क्षेत्र के कई गांवों के गुरुद्वारों में भी कड़ाह प्रसाद का प्रबंध किया गया.

 

लोग जहां अमृतपाल सिंह की बड़ी जीत का जिक्र कर रहे थे वहीं फरीदकोट लोकसभा क्षेत्र से सरबजीत सिंह खालसा की जीत को भी ‘पंथिक सोच’ की जीत करार दे रहे थे.सरबजीत सिंह खालसा भारत की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या करने वाले बेअंत सिंह के पुत्र हैं.

 

अमृतपाल सिंह की जीत के बाद हलके के लोगों में खुशी का माहौल जरूर था लेकिन इस खुशी को जश्न के तौर पर नहीं मनाया गया,अमृतपाल सिंह के पिता तरसेम सिंह ने वोटों की गिनती से एक दिन पहले लोगों से अपील की थी कि वे अमृतपाल सिंह की जीत पर जश्न न मनाएं. मतगणना केंद्र के बाहर जुटे लोगों ने सतनाम वाहेगुरु का जाप करते हुए पैदल मार्च कर जीत पर खुशी ज़ाहिर की.

 

अमृतपाल सिंह ने खडूर साहिब सीट पर 404,430 वोट हासिल किए. वे दूसरे नंबर पर आए कांग्रेस उम्मीदवार कुलबीर सिंह ज़ीरा से 197,120 मतों से चुनाव जीते हैं. यह पंजाब की लोकसभा सीटों में किसी भी उम्मीदवार द्वारा दर्ज की गई जीत का सबसे बड़ा मार्जिन है.

 

राजनीतिक गलियारों में ये भी चर्चा हो रही है कि पंजाब के माझा क्षेत्र के लोगों ने कांग्रेस पार्टी को जिताने में अपनी रुचि दिखाई है.इसी कड़ी के तहत गुरजीत सिंह औजला ने अमृतसर से और सुखजिंदर सिंह रंधावा ने गुरदासपुर लोकसभा क्षेत्र से जीते हैं.

 

हरपाल सिंह खारा पेशे से वकील हैं और वह राजनीतिक मामलों के विशेषज्ञ भी हैं.

 

खारा कहते हैं, “खडूर साहिब लोकसभा क्षेत्र पंजाब का माझा क्षेत्र का अहम हिस्सा है लेकिन यहां के लोगों ने अपनी पंथिक सोच जाहिर कर आम आदमी पार्टी, कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल को हराया है.”

 

कुछ जानकार कह रहे हैं कि अमृतपाल सिंह की जीत से साफ़ हो गया है कि पंथिक नेतृत्व की बागडोर किसके हाथ में जाएगी.

 

हरपाल सिंह खारा कहते हैं, “अमृतपाल सिंह के जेल से बाहर आने के बाद पंजाब में सियासी तौर पर पंथिक हल्कों के बीच एक नई धड़ेबंदी बन सकती है. ये नया गुट आगामी 2027 के विधानसभा चुनावों में अपनी उपस्थिति महसूस करा सकता है.”

 

खडूर साहिब की लोकसभा सीट को पंथिक सीट के नाम से जाना जाता रहा है. इसकी वजह है इस संसदीय क्षेत्र में सिखों की बड़ी आबादी है. चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक़, खडूर साहिब सीट में 75.15 फीसदी आबादी सिख है.

 

भारत में वर्ष 2011 में हुई अंतिम जनगणना के अनुसार विधान सभा क्षेत्र खडूर साहिब में 93.33 प्रतिशत सिख धर्म को मानने वाले रहते हैं.

 

सियासी हलके भी इस बात से हैरान हैं कि अमृतपाल सिंह ने पंजाब की सत्ताधारी पार्टी आम आदमी पार्टी के अलावा अन्य पार्टियों के दिग्गज नेताओं को भी हरा दिया है.

 

इस जीत का दिलचस्प पहलू यह है कि लोकसभा के लिए पर्चा दाखिल करने की डेडलाइन ख़त्म होने से कुछ घंटे पहले ही अमृतपाल सिंह ने अपना नामांकन पत्र दाख़िल करवाया था.

 

मौजूदा पंजाब सरकार के कैबिनेट मंत्री लालजीत सिंह भुल्लर को आम आदमी पार्टी ने खडूर साहिब लोकसभा से उम्मीदवार बनाया था.

 

आप के कैबिनेट मंत्री के मैदान में उतरने के बाद, शिरोमणि अकाली दल ने वरिष्ठ अकाली नेता विरसा सिंह वल्टोहा और कांग्रेस पार्टी ने पूर्व विधायक कुलबीर सिंह जीरा को मैदान में उतारा था.

 

जब अमृतपाल सिंह जेल में थे तो उनके समर्थकों ने खडूर साहिब लोकसभा क्षेत्र के तहत आने वाले नौ विधानसभा क्षेत्रों में जमकर प्रचार किया.

 

उनके चुनाव प्रचार की कमान मानवाधिकार कार्यकर्ता परमजीत कौर खालरा के हाथ में थी.

 

परमजीत कौर खालरा ने कहा कि उन्होंने मानवाधिकार और ड्रग्स के मुद्दे पर अमृतपाल के पक्ष में वोट मांगे.

 

खालरा ने कहा है, “हम ड्रग्स और अमृतपाल सिंह की अवैध हिरासत के बारे में गांव-गांव, घर-घर, गली मोहल्ले में लोगों के पास गए. अमृतपाल सिंह की इस बड़ी जीत का महत्व आने वाले दिनों में समझ आएगा. ये सत्तारूढ़ दल और उन शक्तियों के लिए एक सबक है जिन्होंने मानवाधिकारों के मूल्यों की धज्जियां उड़ाकर अमृतपाल सिंह को जेल में डाला है.”

 

बता दें कि परमजीत कौर खालरा ने साल 2019 में इसी सीट से लोकसभा चुनाव लड़ा था लेकिन वह सफल नहीं हो सकी थीं.

 

अमृतपाल सिंह की जीत के बाद उनकी मां बलविंदर कौर ने कहा, “यह जीत अमृतपाल सिंह की नहीं बल्कि परमजीत कौर खालरा की है.

 

खडूर साहिब के लोगों के मुताबिक नशा सबसे बड़ा मुद्दा था. बलविंदर कौर इसी इलाक़े के गांव खारा की रहने वाली हैं.

 

उन्होंने कहा कि अमृतपाल सिंह उनका भतीजा लगता है. उन्होंने बताया, “अमृतपाल सिंह ने उस समय नशा विरोधी अभियान चलाया जब हमारे युवा नशे की चपेट में आ रहे थे और अपनी जानें दे रहे थे. जब अमृतपाल सिंह के अभियान के कारण कई युवाओं ने नशा छोड़ दिया तो माँओं ने राहत की सांस ली थी.”

 

वे कहती हैं, “मुझे लगता है कि सियासतदां समाज से ड्रग्स को खत्म नहीं करना चाहते. यही कारण है कि उन्होंने अमृतपाल सिंह को हिरासत में लिया और डिब्रूगढ़ जेल भेज दिया.”

 

अमृतपाल सिंह के नामांकन दाख़िल करने से पहले इस सीट से शिरोमणि अकाली दल (अमृतसर) के महासचिव हरपाल सिंह बलेर ने अपना नॉमिनेशन दाख़िल किया था.

 

लेकिन अमृतपाल के नामांकन के बाद बलेर ने अपना नामांकन वापिस ले लिया था. हरपाल सिंह बलेर अमृतपाल सिंह की बड़ी जीत को ‘पंथिक सोच’ की जीत बताते हैं.

 

अपना नामांकन वापिस लेने के बाद बलेर अमृतपाल सिंह के पक्ष में प्रचार किया था.

 

बलेर ने  बताया, “हमने ड्रग्स की बिक्री में राजनीतिक लोगों की मिलीभगत का मामला जनता की अदालत में उठाया. जनता ने ये बात समझी और अमृतपाल की जीत पक्की हो गई.”

 

इस हलके के लोग कहते हैं कि यहां का खेमकरण इलाका पाकिस्तान की सीमा से सटा हुआ है और वहीं से नशे की आमद बढ़ती जा रही है.”

 

गुरप्रीत सिंह खडूर साहिब लोकसभा क्षेत्र की पट्टी विधानसभा में रहते हैं.

 

गुरप्रीत नशे की लत पर चिंता जताते हुए वह कहते हैं, “पिछले कुछ सालों में हमारे गांव में कई युवाओं की नशे की वजह से मौत हो गई है. जब अमृतपाल सिंह ने नशा विरोधी अभियान और अमृत संचार कार्यक्रम चलाया तो कुछ ही समय में युवा नशा छोड़ने की ओर बढ़ने लगे. हम सभी इससे ख़ुश थे.”

 

गुरप्रीत को उम्मीद है कि अमृतपाल सिंह जेल से बाहर आने के बाद भी नशे के ख़िलाफ़ अपना अभियान जारी रखेंगे.

 

अमृतपाल सिंह की जीत सुनिश्चित करने में हलके के युवाओं ने अहम भूमिका निभाई है. जगदीप सिंह पट्टी इलाके के एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं.

 

उनका कहना है कि अमृतपाल सिंह के पक्ष में चुनाव प्रचार के दौरान सिर्फ नशे और बेरोज़गारी को मुद्दा बनाया गया था.

 

जगदीप सिंह कहते हैं, “चुनाव प्रचार के दौरान हमने अपने विरोधियों के ख़िलाफ़ कोई बयानबाज़ी नहीं की. सवाल अमृतपाल सिंह की जीत का नहीं है. अब हमारा लक्ष्य यह होगा कि हम कैसे अमृतपाल सिंह का हाथ थामें और युवाओं को नशे की लत से बाहर निकालें.”

 

अमृतपाल सिंह की मां बलविंदर कौर और मानवाधिकार कार्यकर्ता परमजीत कौर खालड़ा ने खडूर साहिब लोकसभा क्षेत्र से अमृतपाल सिंह की जीत का प्रमाण पत्र प्राप्त किया.

 

बलविंदर कौर ने कहा है कि वे छह जून को स्वर्ण मंदिर में अखंड पाठ किया जाएगा और उसके बाद ही अगली रणनीति तय की जाएगी.

 

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