अमेरिका के साथ मिलकर टैंक बनाएगा भारत, टू प्लस टू वार्ता में रक्षा सहयोग के रोडमैप पर विस्तृत चर्चा
नई दिल्ली, एजेंसी: भारत और अमेरिका मिलकर टैंक व दूसरे युद्धक वाहनों का निर्माण करेंगे। इस बारे में प्रस्ताव अमेरिका की तरफ से ही आया था, जिसे भारत ने स्वीकार कर लिया है। 10 नवंबर, 2023 को दोनों देशों के बीच हुई टू प्लस टू वार्ता में इसको लेकर बात हुई और फैसला किया गया कि आपसी सहयोग से सेना में इस्तेमाल होने वाले युद्धक वाहनों (टैंक आदि) को विकसित किया जाएगा और सह निर्माण किया जाएगा। इसके लिए दोनों देशों ने एक संयुक्त कार्य समूह गठित करने का भी फैसला किया है। भारत और अमेरिका के रक्षा व विदेश मंत्रियों के बीच हुई इस बैठक में रक्षा सहयोग को लेकर कई मुद्दों पर बातचीत हुई है। वार्ता के बाद प्रेस कान्फ्रेंस में रक्षा सचिव गिरिधर अरमाने ने इस बात की जानकारी दी और बाद में अमेरिका के रक्षा मंत्री लायड आस्टिन ने भी पत्रकारों से अलग से हुई एक बातचीत में इसकी पुष्टि की।
टू प्लस टू वार्ता में आस्टिन के अलावा अमेरिकी टीम में विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन, भारत में अमेरिका के राजदूत एरिक गार्सेटी के अलावा कुछ दूसरे अधिकारी थे। भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व विदेश मंत्री एस जयशंकर, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, विदेश सचिव विनय क्वात्रा, रक्षा सचिव अरमाने, अमेरिका में भारत के राजदूत तरणजीत सिंह संधु व कुछ दूसरे अधिकारी कर रहे थे। आस्टिन ने कहा कि हम साथ मिलकर एक युद्धक वाहन बनाना चाहते हैं और यह बहुत ही महत्वपूर्ण परियोजना होगी। भारत को अत्याधुनिक एमक्यू-9बी ड्रोन देने के सवाल पर आस्टिन ने कहा कि इस बारे में सही समय पर घोषणा होगी। जहां तक अमेरिका की बात है तो वह भारत की रक्षा क्षमता को मजबूत बनाने में जो भी मदद की दरकार है, उसे उपलब्ध करा रहा है। यह भी सुनिश्चित किया जा रहा है कि इसमें देरी ना हो।
38 देशों के संयुक्त समुद्री बल में शामिल होगा भारत
टू प्लस टू वार्ता से पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अमेरिकी समकक्ष आस्टिन से द्विपक्षीय वार्ता भी हुई है। इसकी एक खास बात यह रही कि भारत ने संयुक्त समुद्री बल (सीएमएफ) में शामिल होने की रजामंदी जता दी है। इसका मुख्यालय बहरीन में है। अमेरिका और इसके कुछ प्रमुख नाटो देशों की अगुआई में गठित 38 देशों का यह संगठन अरब सागर, हिंद महासागर, ओमान की खाड़ी, लाल सागर और अदन की खाड़ी के क्षेत्र में कानून सम्मत व्यवस्था कायम रखने का काम करता है। ब्रिटेन, अमेरिका, जर्मनी, ग्रीस, इटली, आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, सऊदी अरब, ओमान, बहरीन, थाइलैंड, तुर्किये और पाकिस्तान जैसे देश इसके सदस्य हैं। भारत अब इसका पूर्णकालिक सदस्य होगा। यह सदस्य देशों के बीच समुद्री क्षेत्र में गैर कानूनी गतिविधियों की रोकथाम के अलावा आपसी सहयोग का भी मंच प्रदान करता है।
अमेरिकी सैनिकों के सामान लौटाए
उधर, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान पूर्वोत्तर राज्यों में मारे गए अमेरिकी सैनिकों के कुछ सामान अमेरिकी रक्षा मंत्री को भेंट की। द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान कई अमेरिकी सैनिक जापान के साथ युद्ध करते हुए असम के आस पास मारे गए थे। इनकी वर्दियां व दूसरे सामान बाद में मिले, जिसे अभी तक सुरक्षित करके रखा गया है। भारत विशेष संवेदना दिखाते हुए इन्हें अमेरिका को लौटा रहा है।
कनाडा में खालिस्तानी गतिविधियों पर चिंता
विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने कहा, बैठक में भारत ने कनाडा में खालिस्तानी गतिविधियों पर चिंता जताई। उन्होंने कहा, मूल्य, आपूर्ति शृंखला प्रतिभूतिकरण, अंतरिक्ष साझेदारी और आतंकवाद से निपटने की दिशा में किए साझा प्रयास द्विपक्षीय संबंधों का हिस्सा हैं।
20वीं बैठक अगले साल
मंत्रियों ने आतंकवाद से मुकाबले पर भारत-अमेरिका संयुक्त कार्य समूह की 20वीं बैठक और पांचवीं पदनाम वार्ता अगले साल की शुरुआत में बुलाने का फैसला किया। दोनों पक्ष 2024 में होमलैंड सुरक्षा वार्ता के अगले संस्करण की प्रतीक्षा कर रहे हैं, जहां नेता सुरक्षा सहयोग को आगे बढ़ाएंगे।