Kaithal News: रूस-यूक्रेन युद्ध में मारे गए भाई की अस्थियां लेने गया कलायत का युवक खाली हाथ लौटा

रवि का परिवार उनके शव का इंतजार कर रहा है

नरेन्‍द्र सहारण, कैथल : Kaithal News: हरियाणा के कैथल जिले के गांव मटौर में एक परिवार के लिए यह साल बेहद दुखदाई साबित हुआ, जब रूस-यूक्रेन युद्ध में मारे गए उनके बेटे रवि की अस्थियां लाने के लिए गया उसका भाई अजय मौण खाली हाथ वापस लौट आया। क्रिसमस अवकाश और मृत्यु प्रमाणपत्र की अनुपलब्धता के कारण अजय को रूस में अधिकारियों से अस्थियां नहीं मिल पाईं। अधिकारियों ने उसे फरवरी में वापस आने को कहा है, जिससे परिवार और गांव के लोग अस्थियों के इंतजार में और लंबे समय तक प्रतीक्षा करने को मजबूर हैं।

अस्थियां लाने में देरी का कारण

 

अजय मौण ने बताया कि रवि के मृत्यु प्रमाणपत्र के बिना रूसी अधिकारियों ने अस्थियां सौंपने में असमर्थता जताई। क्रिसमस और नववर्ष के अवकाश के कारण कार्यालय बंद थे, जिसके चलते औपचारिकताएं पूरी नहीं हो सकीं। अब उसे फरवरी में दोबारा रूस जाने के लिए कहा गया है।

एजेंट के झूठे वादे और युवकों की दुर्दशा

 

गांव मटौर के सात युवकों को अच्छी नौकरी का प्रलोभन देकर एक एजेंट ने रूस भेजा था। रवि उन सात युवकों में शामिल था। एजेंट ने उन्हें ड्राइवर और सफाईकर्मी के रूप में नौकरी दिलाने का वादा किया था। लेकिन रूस पहुंचने के बाद उन्हें मात्र 10 दिन के प्रशिक्षण के बाद यूक्रेन के खिलाफ युद्ध में झोंक दिया गया। इनमें से रवि को गोली लगी और उसकी मौत हो गई। जुलाई में उसकी मौत की जानकारी परिवार को मिली।

परिवार की स्थिति और प्रशासन की लापरवाही

 

रवि के परिवार ने उसकी विदेश यात्रा के लिए अपनी जमीन बेच दी थी। मौत की सूचना मिलने के बाद भी परिवार को केवल रवि के बारे में जानकारी मिली है। बाकी छह युवक आज भी लापता हैं। परिवार ने जिला प्रशासन और विदेश मंत्रालय से कई बार गुहार लगाई, लेकिन मामले में अपेक्षित प्रगति नहीं हो सकी।

भारतीय दूतावास ने रवि के शव की पहचान के लिए डीएनए परीक्षण की मांग की थी। रवि की मां पहले ही गुजर चुकी थीं और पिता गंभीर बीमारियों से जूझ रहे हैं। ऐसे में बड़े भाई अजय मौण ने डीएनए परीक्षण के लिए सहमति दी।

रवि की अंतिम बातचीत

 

अजय मौण ने बताया कि रवि ने 12 मार्च को उनसे आखिरी बार फोन पर बात की थी। रवि ने बताया था कि छह मार्च से उन्हें युद्ध में शामिल कर दिया गया है। इसके बाद से रवि का कोई पता नहीं चला। जुलाई में उसकी मौत की सूचना परिवार को दी गई।

गांव और परिवार में शोक का माहौल

 

रवि की मौत की खबर के बाद से मटौर गांव में शोक का माहौल है। परिवार और गांव के लोग उसकी अस्थियां गांव की माटी में लाने का इंतजार कर रहे हैं। अजय का कहना है कि जब तक रवि की अस्थियां घर नहीं लौटतीं, परिवार के दर्द का अंत नहीं होगा।

अस्थियां लौटाने में देरी पर सवाल

 

अजय मौण के रूस से खाली हाथ लौटने के बाद यह सवाल उठने लगे हैं कि आखिरकार इतनी देरी क्यों हो रही है। प्रशासनिक प्रक्रियाओं और विदेश मंत्रालय के प्रयासों में ढिलाई ने परिवार के संकट को और बढ़ा दिया है।

स्थानीय प्रशासन की भूमिका

 

स्थानीय प्रशासन ने रवि के परिवार को आश्वासन दिया था कि वे उनकी हर संभव मदद करेंगे। लेकिन अस्थियों को लाने में हो रही देरी से यह सवाल खड़ा हो गया है कि इस पूरे मामले में प्रशासन ने कितनी गंभीरता से कदम उठाए।

एजेंटों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग

 

यह मामला एजेंटों के झूठे वादों और अवैध गतिविधियों को उजागर करता है। रवि और अन्य युवकों को धोखे से युद्ध क्षेत्र में भेजने वाले एजेंटों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की जा रही है। गांववालों का कहना है कि ऐसे एजेंटों पर नकेल कसना जरूरी है ताकि भविष्य में कोई और परिवार इस तरह के दर्द का सामना न करे।

रवि की अस्थियां कब लौटेंगी?

 

रवि के परिवार और गांव के लोगों को अब फरवरी तक का इंतजार करना होगा। अजय मौण ने कहा कि वह फरवरी में दोबारा रूस जाकर रवि की अस्थियां लेने का प्रयास करेगा। परिवार और गांववालों को उम्मीद है कि इस बार उन्हें निराशा का सामना नहीं करना पड़ेगा।

न्याय और समाधान की अपील

 

यह घटना केवल एक परिवार की कहानी नहीं, बल्कि उन सभी परिवारों की पीड़ा को दर्शाती है जो बेहतर भविष्य के सपने के साथ अपने बच्चों को विदेश भेजते हैं। सरकार और प्रशासन को चाहिए कि वे इस मामले में तेजी से कार्रवाई करें और सुनिश्चित करें कि ऐसे दुखद हालात दोबारा न हों।

 

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