Kaithal News: भाजपा के कर्मबीर कौल बने कैथल जिला परिषद अध्यक्ष, जानें कैसे बाजी मारी

कैथल में कर्मबीर कौल ने जिला परिषद चेयरमैन बनने के बाद रोड शो निकाला।

नरेन्द्र सहारण, कैथल। Kaithal News: कैथल जिला परिषद अध्यक्ष पद का चुनाव जो कई सप्ताह से चर्चाओं में था, अंततः छोटी दिवाली के दिन बुधवार को सफलतापूर्वक संपन्न हो गया। इस चुनाव में भाजपा समर्थित पार्षद कर्मबीर कौल को सर्वसम्मति से नया अध्यक्ष चुना गया, जबकि जजपा समर्थित पूर्व अध्यक्ष दीपक मलिक को 16 दिन पहले ही अविश्वास प्रस्ताव के कारण पद से हटाया गया था। 21 में से 19 पार्षदों ने इस चुनाव में भाग लिया, जिसमें सभी ने कौल के समर्थन में मतदान किया। इस दौरान बैठक में जिला परिषद के डिप्टी सीईओ रितू लाठर, पूंडरी के विधायक सतपाल जांबा, भाजपा के पूर्व जिला अध्यक्ष अशोक गुर्जर और वर्तमान जिला अध्यक्ष मुनीष कठवाड़ सहित अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे।

चुनाव प्रक्रिया और विवाद की पृष्ठभूमि

कर्मबीर कौल जो पहले कैथल जिला परिषद के उपाध्यक्ष थे, का नाम इस बार अध्यक्ष पद के लिए सबसे आगे था। वे लंबे समय से दीपक मलिक उर्फ दीप मलिक के खिलाफ असंतोष के नेतृत्वकर्ता के रूप में देखे जा रहे थे। मलिक के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की शुरुआत इसी असंतोष का नतीजा थी, जो जुलाई 2023 में 15 पार्षदों द्वारा डीसी के पास शपथ पत्र सौंपने के बाद शुरू हुई। इस प्रस्ताव के बाद, प्रशासन ने 19 जुलाई को बैठक बुलाई, लेकिन मलिक ने इसे चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में मामला दायर कर दिया, जिसमें दावा किया गया कि बैठक बुलाने में नियमों का पालन नहीं हुआ है।

हाईकोर्ट ने बैठक के दिन वोटिंग कराने का आदेश दिया, लेकिन फैसले तक परिणाम घोषित करने पर रोक लगा दी। जुलाई में हुए मतदान में 17 पार्षदों ने अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया, जबकि मलिक अनुपस्थित रहे। अगस्त में हाईकोर्ट ने प्रशासन के पक्ष में फैसला सुनाया, लेकिन आचार संहिता के चलते परिणाम जारी नहीं हो सका। अंततः 14 अक्टूबर को, डीसी की अध्यक्षता में मतगणना हुई और मलिक के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव पारित होने पर उनकी कुर्सी चली गई।

जजपा-भाजपा में सत्ता की खींचतान

जनवरी 2023 में जिला परिषद अध्यक्ष पद के चुनाव को लेकर जजपा और भाजपा के बीच काफी खींचतान देखने को मिली। दोनों दलों ने अपने उम्मीदवारों के समर्थन में जोर-आजमाइश की, लेकिन आखिरकार जजपा समर्थित दीपक मलिक को अध्यक्ष पद मिला। हालांकि, पद संभालने के साथ ही उनकी कठिनाइयां शुरू हो गईं। सदन की पहली ही बैठक में मलिक से अनुदान बांटने का अधिकार छीन लिया गया और यह शक्ति उपाध्यक्ष कर्मबीर कौल को दे दी गई। बाद में कुछ समय के लिए मलिक को यह अधिकार फिर से मिला, लेकिन उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप और अनुदान वितरण में भेदभाव के आरोपों के कारण उन्हें पार्षदों का समर्थन खोना पड़ा।

14 अक्टूबर को गई थी दीप मलिक की कुर्सी

 

2023 में जिला परिषद चेयरमैन चुने गए दीप मलिक की 14 अक्टूबर को कुर्सी छीन गई थी। उनके खिलाफ पार्षद अविश्वास प्रस्ताव लेकर आए थे। विश्वास प्रस्ताव के लिए 12 जुलाई को 15 पार्षदों ने DC को शपथ पत्र सौंप थे, जिसके बाद प्रशासन ने 19 जुलाई को मीटिंग बुलाई थी।

 

कौल का निर्विरोध अध्यक्ष चुना जाना

अध्यक्ष पद के चुनाव में कर्मबीर कौल का निर्विरोध चुना जाना इस बात को दर्शाता है कि उनके पास अधिकांश पार्षदों का समर्थन था। कौल के समर्थन में 19 में से सभी उपस्थित पार्षदों का वोट पड़ना उनकी लोकप्रियता का प्रमाण है। अब कौल को अगले 20 दिनों के भीतर उपाध्यक्ष पद के चुनाव का सामना करना पड़ेगा।

कौल ने अपने निर्वाचन के बाद कहा कि जिला परिषद अध्यक्ष के पद पर अस्थिरता के कारण विकास कार्यों में रुकावट आई थी। उन्होंने सभी पार्षदों को साथ लेकर पूरे जिले में समान रूप से विकास कार्यों को प्राथमिकता देने का संकल्प लिया। उन्होंने जिला के सभी पार्षदों का आभार व्यक्त किया, जिन्होंने उन पर विश्वास जताया।

गांव में खुशी का माहौल

कौल के निर्वाचन के बाद ढांड में उनके गांव में खुशी की लहर दौड़ गई। ग्रामीणों ने फूल मालाओं के साथ कौल का स्वागत किया और मिठाइयां बांटी। ग्रामीणों के बीच इस अवसर को उत्सव की तरह मनाया गया, जिसमें नृत्य और गाने का माहौल रहा। कौल ने अपने गांववासियों और समर्थकों को संबोधित करते हुए कहा कि वे सभी को धन्यवाद देना चाहते हैं, खासकर मुख्यमंत्री नायब सैनी, सांसद नवीन और विधायक सतपाल जांबा का, जिनके समर्थन से वे जिला परिषद अध्यक्ष के पद तक पहुंचे हैं।

कौल का भविष्य का एजेंडा

कौल ने अपने पदभार संभालने के साथ ही सभी पार्षदों को आश्वासन दिया कि वे विकास कार्यों को प्राथमिकता के साथ आगे बढ़ाएंगे। उनका कहना था कि उनकी प्राथमिकता पूरे जिले में समान रूप से विकास कार्यों का संचालन करना है, ताकि किसी भी वार्ड में विकास की कमी न रहे। उन्होंने कहा कि अविश्वास प्रस्ताव के कारण कई विकास कार्य रुके हुए थे, जिन्हें अब तेजी से पूरा किया जाएगा। उनके अनुसार, वे सभी पार्षदों के साथ मिलकर एकजुटता से कार्य करेंगे ताकि कैथल जिला प्रगति की ओर बढ़ सके।

कौल के इस संकल्प और ग्रामीणों के समर्थन से यह स्पष्ट है कि वे अपनी नई जिम्मेदारियों को निभाने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। अध्यक्ष पद के रूप में उनकी यह भूमिका कैथल जिले में एक नई शुरुआत का प्रतीक मानी जा रही है।

 

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