जानें कब पैसों को खर्च करने को लेकर थोड़ी सतर्क हुईं शर्मिला टैगोर

मुंबई, BNM News: अभिनेता और अभिनेत्रियों की फीस की बराबरी को लेकर बहस अब भी होती है। अभिनेत्री शर्मिला टैगोर का मानना है कि दौर अब का हो या पहले का, महिलाओं को अपने कमाए पैसे बचाना और निवेश करना जरूरी है। वह बताती है कि जब सैफ (सैफ अली खान) पैदा हुए थे, तब मैं पैसों को खर्च करने को लेकर थोड़ी सतर्क हुई थी। उससे पहले पैसों के बारे में नहीं सोचती थी।

एक ड्रेस लेने जाती थी, 15 ले आती थी, जिसमें से 13 पहनती भी नहीं थी। पिछली सदी के सातवें दशक की बात है। मैं लास एंजिलिस गई थी। होटल में वहां क्रेडिट कार्ड चलता है। मेरे पास कार्ड ही नहीं था। सब मेरी ओर घूरकर देख रहे थे। मेरे जो मेजबान वहां थे। उन्हें अपना कार्ड देना पड़ा। तब इतनी फीस भी नहीं मिला करती थी। मुझे याद है जब मैंने सत्यजीत राय (फिल्मकार) के साथ फिल्म की थी, तो पिताजी ने फीस लेने से इंकार कर दिया था। तब सत्यजीत राय ने मुझे एक साड़ी, घड़ी और पांच हजार रुपये दिए थे। उन पैसों से मैंने सोना खरीदा था।

जब पहली हिंदी फिल्म कश्मीर की कली की थी, तो उसके लिए पच्चीस हजार रुपये मिले थे। फिल्म के निर्माता-निर्देशक शक्ति सामंत के साथ मैं दूसरी फिल्म भी करने वाली थी। उन्होंने तब मुझे कहा था कि इस बार पैसे के बदले अगर मैं तुम्हें जमीन दे दूं, तो चलेगा। वह मुझे अजीब लगा था। खैर, निवेश को लेकर मैं कभी इतनी सतर्क नहीं थी, जितना कोरोना काल में टाइगर (शर्मिला के पति और पूर्व क्रिकेटर मंसूर अली खान पटौदी) के जाने के बाद हुई। जहां सलाहकार निवेश करने के लिए कहते है, अब मैं सवाल पूछती हूं। मैं यही कहूंगी कि महिलाओं को अपने पैसे बचाकर निवेश करना चाहिए। इसमें कोई अपराधबोध की बात नहीं है।

 

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