जानें क्‍यों अमेरिका में 19 फरवरी से पहले सीजेरियन डिलीवरी की मची है होड़, दंपती खतरे उठाने को हैं तैयार

वाशिंगटन : अमेरिका में जन्मसिद्ध नागरिकता का अधिकार एक समय से विवाद का विषय बन चुका है। हाल ही में, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक कार्यकारी आदेश के माध्यम से इस अधिकार को संशोधित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण घोषणा की। उनका शब्द बंधन स्पष्ट था: 19 फरवरी के बाद जिन बच्चों के माता-पिता न तो अमेरिकी नागरिक होंगे और न ही वैध स्थायी निवासी उन्हें नागरिकता नहीं दी जाएगी। इस ऐलान ने भारतीय दंपतियों के बीच अस्पतालों में सीजेरियन डिलीवरी (सी-सेक्शन) की होड़ लगा दी है, ताकि उनके नवजात बच्चों को अमेरिकी नागरिकता मिल सके।

जोखिम भरा हो सकता है

यह समाचार अब कई डॉक्टरों में चिंता का विषय बन गया है। भारतीय दंपतियों को समझाया जा रहा है कि समयपूर्व प्रसव यानी सीजेरियन डिलीवरी को चिकित्सीय कारणों के बिना कराना जोखिम भरा हो सकता है। डॉ. अविनाश गुप्ता, जो अमेरिकन एसोसिएशन आफ फिजिशियन आफ इंडियन ओरिजिन (एएपीआइ) के क्षेत्रीय निदेशक हैं, ने बताया कि उन्हें इस संबंध में कई मामले सुनने को मिले हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि गैर-चिकित्सीय कारणों से जल्दी सी-सेक्शन कराने से मां और बच्चे दोनों के स्वास्थ्य पर गंभीर खतरे हो सकते हैं।

अमेरिकी संविधान का अनुच्छेद 14 जन्म के आधार पर नागरिकता का अधिकार देता है, जो कि इस देश में एक अद्वितीय विशेषता है। यह नियम स्पष्ट करता है कि यदि बच्चे का जन्म अमेरिका में होता है, तो वो अपने माता-पिता की नागरिकता की स्थिति के बिना ही अमेरिकी नागरिक है। हालांकि, ट्रंप के नए आदेश को 22 राज्यों ने संघीय अदालतों में चुनौती दी है, जिससे यह स्पष्ट है कि इस विषय ने राजनीतिक और कानूनी जटिलताओं का सामना किया है।

शिशुओं के सेहत को लेकर गंभीर चिंताएं

डॉ. गुप्ता ने कहा, “समय से पहले जन्म लेने वाले शिशुओं को कई स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।” यह सच है कि अत्यधिक जोखिम के कारण अस्पतालों में जो सीजेरियन डिलीवरी हो रही हैं, उनमें शिशुओं की सेहत को लेकर गंभीर चिंताएं उठने लगी हैं। गैर-चिकित्सीय सी-सेक्शन के कारण नवजात शिशुओं को सांस लेने में कठिनाई, इन्फेक्शन और अन्य जटिलताओं का सामना करना पड़ सकता है। इसके अलावा, माएं भी लंबे समय तक अस्वस्थ रह सकती हैं, जिससे पुनर्वसन की प्रक्रिया प्रभावित होती है।

चिंता का माहौल

सिर्फ भारतीय दंपतियों में ही नहीं, बल्कि अन्य देशों के नागरिकों में भी इस आदेश के कारण चिंता का माहौल है। जिन दंपतियों की योजना अमेरिका में बच्चे पैदा करने की थी, वे अब एक अनिश्चितता में हैं। वे अस्पतालों की ओर जा रहे हैं और डॉक्टरों से समय पूर्व सीजेरियन डिलीवरी की अनुमति मांग रहे हैं, जिससे मामले की जटिलता बढ़ रही है। कानून और चिकित्सा की इस जटिल मिश्रण में डॉक्टर अपने पेशेवर नैतिकता और मरीज़ों की इच्छाओं के बीच संतुलन बनाने की कोशिश कर रहे हैं।

हालांकि, अमेरिका में मेडिकल सिस्टम में इस तरह की परिस्थितियों के प्रबंधन पर विभिन्न दृष्टिकोण हो सकते हैं। कुछ डॉक्टर इसे एक नैतिक दुविधा मानते हैं, जबकि अन्य इसे एक कानूनी मुद्दा बताते हैं। यह सभी डॉक्टरों पर निर्भर करता है कि वे चिकित्सीय दृष्टिकोण को प्राथमिकता देते हैं या अपने मरीज़ों की इच्छाओं को स्वीकार करते हैं।

कानूनी मुद्दा

आम लोगों के बीच इस विषय पर चर्चा बढ़ रही है, लेकिन तथ्य ये है कि नागरिकता का अधिकार एक संवैधानिक मामला है। यदि यह पॉलिसी वास्तव में लागू होती है, तो इसका प्रभाव केवल भारतीय दंपतियों पर ही नहीं, बल्कि अमेरिका में रहने वाले अन्य अप्रवासी समुदायों पर भी पड़ेगा।

यह स्पष्ट है कि सियासी कश्मकश के अलावा स्वास्थ्य और सुरक्षा के मुद्दे भी गहरे जुड़ चुके हैं। यदि ट्रंप का आदेश अदालत में खारिज हो जाता है तो स्थिति में कुछ राहत मिल सकती है। लेकिन अगर यह लागू होता है, तो अस्पतालों में संक्रामक रोगों से लेकर मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं तक का सामना करना पड़ सकता है। डॉक्टर जो अब सीज़ेरियन डिलीवरी की होड़ में हैं, वे जल्द ही अपने चिकित्सीय नैतिकता और पेशेवर सिद्धांतों के बीच एक कठिन चुनाव का सामना करेंगे।

नई नैतिकता और स्वास्थ्य चिंताएं बढ़ीं

 

व्यक्तिगत स्तर पर भारतीय दंपतियों द्वारा यह निर्णय लेना कि कब और कैसे अपने बच्चे को जन्म देना है, उन्हें एक नई नैतिकता और स्वास्थ्य चिंताओं के बीच संतुलन साधना होगा। चिकित्सा विशेषज्ञों का कहना है कि जब तक यह मामला अदालतों में लड़ा जा रहा है, तब तक वर्तमान स्थिति में किसी भी प्रकार की नकारात्मक स्वास्थ्य प्रभावों से बचने का प्रयास करना चाहिए।

इस प्रकार अमेरिका में जन्मसिद्ध नागरिकता का यह विवाद केवल एक कानूनी मुद्दा नहीं है, बल्कि यह दवा, स्वास्थ्य, नैतिकता और समाज के कई अन्य पहलुओं पर भी एक बड़ा प्रभाव डाल सकता है। समाज को इस विषय पर गंभीरता से सोचना होगा, ताकि स्वस्थ और सुरक्षित जन्म प्रक्रिया सुनिश्चित की जा सके।

 

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